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छूने से ही नहीं अगर लगातार घूरा भी तो हो सकती है ये सजा

एनबीआरआइ में सेक्सुअल हरेसमेंट ऑफ वूमेन एट वर्क प्लेस प्रीवेंशन प्रोहिबिटेशन एंड रिड्रेसल विषय पर आयोजित हुई कार्यशाला।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Tue, 26 Mar 2019 05:32 PM (IST)Updated: Tue, 26 Mar 2019 05:32 PM (IST)
छूने से ही नहीं अगर लगातार घूरा भी तो हो सकती है ये सजा
छूने से ही नहीं अगर लगातार घूरा भी तो हो सकती है ये सजा

लखनऊ, जेएनएन। कार्य स्थल पर होने वाले सेक्सुअल हरेसमेंट की पहचान होनी चाहिए। हमारे यहां अभी भी कार्य स्थलों पर बनी हुई हरेसमेंट सेल में काम करने वाले लोगों की सेक्सुअल हरेसमेंट की पहचान नहीं है। सेक्सुअल हरेसमेंट केवल छूने से ही नहीं बल्कि लगातार घूरने और अश्लील बात करने से भी होता है। वर्क प्लेस में हर सेक्टर के अलग-अलग सेक्सुअल हरेसमेंट की पहचान होनी चाहिए। यह जानकारी सुप्रीम कोर्ट के पूर्व एडवोकेट प्रो.एलआर अग्रवाल ने दी। वे एनबीआरआइ में सेक्सुअल हरेसमेंट ऑफ वूमेन एट वर्क प्लेस (प्रीवेंशन, प्रोहिबिटेशन एंड रिड्रेसल विषय पर आयोजित कार्यशाला में बोल रहे थे।

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प्रो. अग्रवाल ने बताया कि वर्ष 1975 में पहली बार फार्नी नाम की महिला ने इस मुद्दे को उठाया था। वहीं भारत में 1997 में भंवरी देरी केस के बाद सुप्रीम कोर्ट ने पार्लियामेंट से इस पर एक्ट बनाने को कहा। लगभग 15 वर्ष बाद जाकर इस पर एक्ट बना और वर्ष 2013 में निर्भया कांड के बाद इस एक्ट को लागू किया गया।

वर्क प्लेस में जहां भी महिलाएं और लड़कियां काम कर रही हैं उन्हें सेक्सुअल हरेसमेंट को लेकर अपने अधिकार पता होना चाहिए। साथ ही अगर किसी मामले में कोई गवाह न हो तब भी कमेटी के लोगों को एक प्रश्नावली तैयार करके उसे लड़के और लड़की से पूछा जाना चाहिए। वहीं रिपोर्ट का भी समय निर्धारित होना चाहिए। सेक्सुअल हरेसमेंट साबित होने पर आरोपित को तीन साल की सजा का प्राविधान है।    

कार्य स्थल पर होने वाले यौन उत्पीडऩ

कार्यस्थल पर महिलाओं को जबरन परेशान करना, उनके साथ अश्लील बातें करना और छेड़छाड़ करना, शरीर को छूने का प्रयास करना, गंदे मैसेज या फोन करना, गंदे इशारे करना आदि जैसे कृत्य यौन उत्पीडऩ की श्रेणी में आते हैं।

हर तीन में से एक महिला सेक्सुअल हरेसमेंट का शिकार

हर तीन में से एक महिला वर्क प्लेस में सेक्सुअल हरेसमेंट का शिकार होती है। कार्यस्थल  को लेकर ऑक्सफेम की रिपोर्ट में भी आया है कि इंडिया में हरेसमेंट के 17 प्रतिशत मामले दर्ज हुए हैं। वहीं नेशनल सेंपल सर्वे ऑफिस (एनएसएसओ) की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 28 फीसद महिलाएं अपने जीवनकाल में हिंसा का शिकार हुई हैं। कार्यशाला में कार्यस्थल में हर तरह की सेक्सुअल हरेसमेंट की विडियो क्लिप दिखाई गई और उस पर सवाल जवाब भी पूछे गए। कार्यक्रम का उद्घाटन एनबीआरआइ के निदेशक प्रो. एक के बारिक ने किया व आयोजन डॉ.विधु साने ने किया।  


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