प्रदूषण से कम उम्र में लंग कैंसर का खतरा, विशेषज्ञों ने जताई चिंता Lucknow news
केजीएमयू में लंग कैंसर पर कार्यशाला। डॉ. सूर्यकांत ने कहा कि सिगरेट से ज्यादा प्रदूषण फेफड़ों के लिए घातक।
लखनऊ, जेएनएन। धूमपान के साथ-साथ प्रदूषण लंग कैंसर के लिए बड़ा खतरा बन रहा है। सिगरेट-बीड़ी जहां आमतौर पर युवा वस्था से व्यक्ति पीना शुरू करता है। वहीं जहरीली हवा बचपन से ही शरीर में पैबस्त हो रही है। लिहाजा, कम उम्र में ही फेफड़े का कैंसर हो रहा है।
केजीएमयू में लंग कैंसर पर कार्यशाला के दूसरे दिन सत्र का उद्घाटन कानून मंत्री ब्रजेश पाठक ने किया। इस दौरान आयोजक डॉ. सूर्यकांत ने कहा कि सिगरेट से ज्यादा प्रदूषण फेफड़ों के लिए घातक है। व्यक्ति 12 से 14 घंटे सड़क पर रहने से 70 से 80 सिगरेट के बराबर धुआं सांस के जरिये अंदर खींच लेता है।
बच्चों के लिए ज्यादा खतरनाक
बचपन से विषैली हवा अंदर जाने से कम उम्र में लंग (फेफड़े) के कैंसर का खतरा रहता है। वहीं 14 से 18 वर्ष के दरम्यान धूमपान करने से 50 की उम्र तक कैंसर होने की संभावना रहती है। उन्होंने कहा कि फेफड़े के कैंसर के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। पुरुषों में पहले स्थान पर ओरल कैंसर, दूसरे स्थान पर फेफड़े के कैंसर होते हैं।
ये रसायन हैं घातक
डॉ. दिगंबर बेहरा ने कहा कि हवा जहरीली हो चुकी है। इसमें कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फरडाई ऑक्साइड, कार्बन डाई ऑक्साइड समेत कई घातक रसायन हैं। ये सांस के जरिये फेफड़े में पहुंचते हैं। धीरे-धीरे यह कैंसर का कारण बन रहे हैं। वहीं बीडी-सिगरेट पीने से 40 तरह के कैंसर हो रहे हैं। ऐसे में डॉ. सूर्यकांत ने सरकार को पत्र भेजकर तंबाकू प्रतिबंध की मांग की।