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यूपी में जीआई उत्पादों को लोकल से ग्लोबल बनाने की कसरत शुरू, वाराणसी के लिए अलग मिशन

यूपी के मुख्य सचिव आरके तिवारी ने जीआई उत्पादों की मार्केटिंग और ब्रांडिंग के साथ निर्यात को बढ़ावा देने के लिए राज्य स्तर पर सक्षम समिति बनाने के निर्देश दिए हैं।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Tue, 30 Jun 2020 12:46 AM (IST)Updated: Tue, 30 Jun 2020 12:46 AM (IST)
यूपी में जीआई उत्पादों को लोकल से ग्लोबल बनाने की कसरत शुरू, वाराणसी के लिए अलग मिशन
यूपी में जीआई उत्पादों को लोकल से ग्लोबल बनाने की कसरत शुरू, वाराणसी के लिए अलग मिशन

लखनऊ, जेएनएन। निश्चित भौगोलिक क्षेत्र के उत्पाद यानी जीआई उत्पादों को लोकल से ग्लोबल बनाने की कसरत उत्तर प्रदेश में शासन स्तर पर शुरू हो गई है। यूपी के मुख्य सचिव आरके तिवारी ने जीआई उत्पादों की मार्केटिंग और ब्रांडिंग के साथ निर्यात को बढ़ावा देने के लिए राज्य स्तर पर सक्षम समिति बनाने के निर्देश दिए हैं। वहीं, वाराणसी के उत्पादों के लिए खासा जोर है। वहां अलग से मिशन जीआई बनारस गठित किया जाएगा।

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वाराणसी और प्रदेश के अन्य जीआई उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के संबंध में सोमवार को मुख्य सचिव आरके तिवारी ने संबंधित अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की। प्रदेश में जीआई (भौगोलिक संकेतक) उत्पादों की समस्याओं का निस्तारण उन्होंने प्राथमिकता पर करने के निर्देश दिए। मुख्य सचिव ने कहा कि इन उत्पादों की ब्रांडिंग व मार्केटिंग से निर्यात को बढ़ावा दिया जा सकता है। समस्याओं के समाधान व निगरानी के लिए उन्होंने राज्य स्तर पर एक सक्षम समिति के गठन का प्रस्ताव तैयार करने को कहा।

मुख्य सचिव आरके तिवारी ने कहा कि वाराणसी में जीआई उत्पादों की मार्केटिंग और ब्रांडिंग के लिए मिशन जीआई बनारस का गठन किया जाए, जिसमें राज्य सरकार के साथ ही भारत सरकार के प्रतिनिधि को भी शामिल किया जाए। वाराणसी मंडल में जीआई उत्पादों से संबंधित समस्याओं के निस्तारण के लिए मुख्य सचिव ने मंडलायुक्त की अध्यक्षता में निगरानी समिति गठित करने को कहा। साथ ही वहां निर्माणाधीन फैसिलिटेशन सेंटर के काम में भी तेजी लाने के निर्देश दिए।

एक अगस्त से कारीगर-बुनकरों को दिलाएं प्रशिक्षण : अंतरराष्ट्रीय बाजार और राष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश के उत्पादों की मांग बढ़ाने के लिए मुख्य सचिव ने पैकेजिंग और डिजाइनिंग पर भी ध्यान देने को कहा। इसके लिए उन्होंने विशेषज्ञों की मदद लेने के निर्देश दिए। उन्होंने एक अगस्त से शारीरिक दूरी के नियमों का पालन करते हुए जिलों में कारीगर और बुनकरों को विशेषज्ञों के द्वारा प्रशिक्षित कराने को कहा। इसमें उन्होंने यूपी इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन का भी सहयोग लेने और प्रशिक्षण के लिए ट्रेनिंग कैलेंडर तैयार करने के निर्देश दिए। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान अपर मुख्य सचिव सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम डॉ.नवनीत सहगल भी उपस्थित थे।


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