आपदा में अवसर: पति का रोजगार हुआ लाॅकडाउन तो महिलाओं ने संभाली गृहस्थी, काढ़े से की कमाई
उन्हाेंने उप्र राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के समूह से जुड़कर काढ़ा बनाना शुरू कर दिया। उनकी जिंदगी ही बदल गई। काढ़ा ही नहीं वह मास्क भी बनाती हैं। एक महीने में आठ से 10 हजार रुपये कमा रही हैं।
लखनऊ, [जितेंद्र उपाध्याय]। राजधानी की सरोजनीनगर ब्लॉक की परवल पश्चिम निवासी प्रियंका के पति फास्ट फूड का ठेला लगाते थे। कोरोना संक्रमण के चलते लाॅकडाउन हुआ तो ठेला तो छोड़िए सुरक्षा के चलते घर से बाहर निकलना प्रतिबंधित हो गया। दो बच्चों के साथ घर का खर्च चलाना मुश्किल हो गया था। उन्हाेंने उप्र राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के समूह से जुड़कर काढ़ा बनाना शुरू कर दिया। उनकी जिंदगी ही बदल गई। काढ़ा ही नहीं वह मास्क भी बनाती हैं। एक महीने में आठ से 10 हजार रुपये कमा रही हैं। अकेली प्रियंका ही नहीं रसूलपुर की संगीता व हबीबुल निशा समेत लखनऊ की 427 ग्रामीण महिलाएं मास्क, काढ़ा व सिलाई करके अपना परिवार चला रही हैं। लखनऊ ही नहीं प्रदेश के अन्य जिलों की महिलाएं समूह से जुड़कर लाॅकडाउन में अपनी गृहस्थी चला रहीं हैं।
एक पैकेट पर मिलते हैं 15 रुपये
काढ़ा बनाने के राज्य परियोजना प्रबंधक आचार्य शेखर ने बताया कि लखनऊ समेत मुजफ्फरनगर, हरदोई, लखनऊ, देवरिया और सोनभद्र बड़े स्तर पर काढ़ा बनाया जा रहा है। अन्य जिलों में जैसे उन्नाव, प्रयागराज, कानपुर देहात, शामली, बुलंदशहर, सुलतानपुर, अंबेडकर नगर, चंदौली, वाराणसी, झांसी, बांदा, चित्रकूट, कन्नौज, ललितपुर में महिला सदस्यों को प्रशिक्षित किया गया है। अन्य जिलों में मास्क सैनिटाइजर बनाकर महिलाएं अपने पैरों पर खड़ी हैं। 100 ग्राम के एक पैकेट पर 15 रुपये मिलते हैं। 50 रुपये की लागत आती है और 65 रुपये में काढ़ा बिकता है।
ऐसे बनता है काढ़ा
दालचीनी, तुलसी, मुनक्का, काली मिर्च व सोंठ को उचित मात्रा में मिलाकर 100 ग्राम का एक पैकेट तैयार किया जाता है जिसे गरम पानी में उबालकर लगभग सात ग्राम का मिश्रण एक बार के काढ़े के लिए प्रयोग में लाया जाता है। उसमे शहद और नींबू मिलाकर इस्तेमाल किया जा सकता है। एक समूह द्वारा दिन भर में 10 से 15 किलो का मिश्रण तैयार होता है और 150 पैकेट बनते हैं।
'मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर महिलाएं काढ़ा बना रही हैं। प्रदेश में पांच हजार समूहों की 13976 महिलाएं मास्क के साथ ही काढ़ा बना रही हैं। एक करोड़ मास्क बनाकर वितरण किया जा चुका है। करीब चार करोड़ रुपये महिलाओं के खाते में भेजा जा चुका है और भेजने की तैयारी चल रही है।' -सुजीत कुमार, निदेशक, राज्य ग्रमीण आजीविका मिशन
कुछ प्रमुख जिलों में जुड़ी महिलाओं की संख्या
- वाराणसी-907, प्रयागराज 830, बलिया-781,अंबडेकर नगर -633, खीरी-506, संतकबीर नगर 504, आजमगढ़-452, शामली-450,लखनऊ-427, सुलतानपुर-423, सिद्धार्थनगर-423, बलरामपुर-421, बहराइच-160, बाराबंकी-114, हरदोई-125, श्रावस्ती-112, सीतापुर-125, अमेठी-26