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लखनऊ के घाटों पर बिखरी छठ की छटा, सूर्य को अर्घ्य देने कोसी भरते पहुंची महिलाएं

छोटी छठ पर व्रती महिलाओं ने डूबते सूर्य को दिया पहला अ‌र्घ्य। लक्ष्मण मेला के छठ घाट पर अस्ताचलगामी सूर्य को व्रती महिलाओं ने दिया अ‌र्घ्य।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Mon, 12 Nov 2018 09:07 PM (IST)Updated: Tue, 13 Nov 2018 01:02 PM (IST)
लखनऊ के घाटों पर बिखरी छठ की छटा, सूर्य को अर्घ्य देने कोसी भरते पहुंची महिलाएं
लखनऊ के घाटों पर बिखरी छठ की छटा, सूर्य को अर्घ्य देने कोसी भरते पहुंची महिलाएं

लखनऊ(जेएनएन)। छठ पर अस्ताचलगामी सूर्य की उपासना के लिए गोमती घाटों पर उमड़ा जन सैलाब हमारी आस्था और विश्वास को और समृद्धि प्रदान कर रहा था। समृद्धि के देव भगवान सूर्य की उपासना के लिए नवाबी शहरी भी तैयार था। सूरज ढलने के पहले बांस की टोकरी में विविध प्रकार के पूजन सामग्री के साथ आए पुरुषों के अंदर जहां पूजन की उत्सुकता नजर आ रही थी तो निर्जला व्रती महिलाएं छठ मइया को समर्पित गीतों का गुलदस्ता पेशकर माहौल को छठ के रंग में रंगने का कार्य कर रही थीं। अंधेरे में समृद्धि के उजाले की कामना का नजारा देखते ही बन रहा था। यह नजारा अकेले लक्ष्मण मेला घाट पर ही नहीं राजधानी के सभी गोमती घाटों और कॉलोनियों में नजर आया।

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लक्ष्मण मेला स्थल के छठ घाट पर आयोजित हुए मुख्य समारोह में शाम से लोगों के आने क्रम शुरू हो गया था। सुनहरी रोशनी से नहाए लाल-पीले रंग के टेंट में जहां गायक अपनी गायकी का जलवा बिखेर रहे थे तो दूसरी ओर घाटों पर बनी सुसुबिता (छठ मइया के प्रतीक) के पास महिलाओं की टोली गीतों संग छठी मइया से पति की दीर्घायु और संतान सुख की कामना कर रही थीं। अब बुधवार को महिलाएं सुबह उदीयमान सूर्य को अघ्र्य देकर व्रत का पारण करेंगी।

गोमती में स्नान फिर किया ध्यान
साथी महिलाओं के संग घाट पर आईं व्रती महिलाओं ने घाट पर पहले स्नान किया और फिर पानी में खड़े होकर डूबते सूर्य को अघ्र्य देकर संतान की सुख की कामना की। सिंघाड़ा, नारियल, फलों के साथ ही सूप, कच्ची हल्दी, मूली व गन्ना समेत पूजन सामग्री को मिट्टी की बनी सुसुबिता पर चढ़ाया और विधि विधान से पूजन कर छठी मइया के गीत गाए। केरवा फरेला घवद से ओहे पे सुगा मंडराय..., देवी मइया सुन लो अरजिया हमार और कांचहि बांस की बहंगिया...जैसे छठ गीतों से माहौल छठ मइया की भक्ति से सराबोर हो उठा।

कोसी भरते हुई घाट पहुंची महिलाएं
व्रती महिलाएं जहां नंगे पैर ही घाट पर पहुंच रही थीं तो दूसरी ओर मन्नत पूरी होने पर लेटकर परिक्रमा करते हुए लोग घाट पर पहुंचे। सूर्य अस्त होने से पहले पहुंचने की उत्सुकता देखते ही बन रही थी। बैंड बाजे की धुन पर लोग थिरकते हुए न केवल घाट पर छठ की छटा बिखेरी बल्कि आतिशबाजी संग डूबते सूर्य की आराधना संग आतिशबाजी की। बटलर कालोनी निवासी पार्वती अपनी ननद रजनी और ज्योति के सटा कोसी भरते (घर से जमीन में लेटकर घाट तक पहुंची) हुए आईं तो सभी व्रतियों की निगाहें बरबस उनकी ओर खिंची चली आईं। पार्वती ने बताया कि बेटी पूजा को नौकरी मिलने की मन्नत पिछली बार छठ मइया से मांगी थी और वह पूरी हो गई, इसलिए जमीन में लेटकर घाट तक आईं हूं। हाथ में कलश पर जलते दीपक के साथ बेटी और परिवार के अन्य सदस्य ढोल ताशे पर थिरकते हुए घाट तक आए तो पूरा माहौल उल्लास में तब्दील हो गया।

आस्था का महापर्व सहयोग और प्रेम का उत्सव भी है। फिजा में पकवानों की खुशबू प्रकृति के साथ का अहसास होता है। चार दिवसीय इस पर्व की शुरुआत हो चुकी है। सूरज नजाकत नफासत के शहर-ए-लखनऊ में मंगलवार को छठ नजारा दिखाई दी। भोजपुरी छठ गीतों से गुंजायमान वातावरण में महिलाएं अस्ताचलगामी सूर्य को अ‌र्घ्य दिया। 

 

नंगे पैर घाट तक जाती हैं व्रती महिलाएं
रसियाव खाकर महिलाओं ने सोमवार से शुरू कर दिया। कलावती ने बताया कि मंगलवार को बेटा या पति बांस की टोकरी में मौसमी फल व सब्जियों को छह, 12 व 24 की संख्या में लेकर नदी या तालाबों के किनारे जाते हैं। छठ गीत गाती व्रती महिलाओं के संग अन्य महिलाएं घाट तक जाती हैं। मिट्टी की सुसुबिता (छठ मइया का प्रतीक) बनाकर पुरोहितों के सानिध्य में पूजा होती है। गन्ने के साथ ही दूध व गंगा जल से डूबते सूर्य को अ‌र्घ्य दिया जाता है। दूसरे दिन बुधवार उगते सूर्य की उपासना और अ‌र्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाएगा।

 

पूजन में विशेष 
छठ पर्व पर परिवार में जितने पुरुष होते हैं उतने सूप से पूजा की जाती है। गाय का दूध, गन्ना, सिंघाड़ा, संतरा, सेब, मूली, नींबू, कच्ची हल्दी व चावल का बना लड्डू और रक्षा सूत्र के पुरोहित व पूज्यनीय विधि विधान से पूजन कराते हैं। महिलाएं ऐसी साड़ी या धोती पहनती हैं जिसमे काले रंग का प्रयोग न हो। मनोकामना पूर्ण होने पर कुछ लोग बैंड बाजे ही धुन पर थिरकते हुए घाट तक जाते हैं। डूबते सूर्य को अ‌र्घ्य देने के साथ ही घाटों पर आतिशबाजी भी होती है। कुछ लोग घाट पर ही रात बिताते हैं तो कुछ घर वापस आते हैं, लेकिन रातभर छठ मइया के गीत गाने की परंपरा है।

 

इसलिए मनाई जाती है छठ

छठ पर्व मनाने के पीछे कई मान्यताएं हैं। श्रीराम के लंका विजय के बाद रामराज्य की स्थापना के लिए मां जानकी ने पहली बार उपवास करके भगवान सूर्य को अ‌र्घ्य दिया था। इसके साथ ही द्रोपदी ने परिवारी जनों की कुशलता के लिए और समृद्धि की कामना के लिए छठ व्रत रखा था। पुराणों की मान्यता के अनुसार राजा प्रियवद को कोई संतान नहीं थी। पुत्र प्राप्ति यज्ञ, उसके बाद उसकेप्राणों को लेकर देवी पूजन-व्रत को भी आधार बताया गया है। राजा ने पुत्र इच्छा से देवी षष्ठी का व्रत रखा और पुत्र की प्राप्ति हुई।

बाजारों में दिखी रौनक, खूब हुई खरीदारी

सोमवार को बाजार गुलजार रहे। महानगर, अमीनाबाद, आलमबाग व निशातगंज समेत सभी मुख्य बाजारों में सिंघाड़ा, नारियल, फलों के अलावा सूप,  हरी हल्दी, मूली व गन्ने समेत पूजन सामग्री की खरीदारी की। परिवार में जितने पुरुष होते हैं उतने सूप से पूजा की जाती है। गाय का दूध, गन्ना, सिंघाड़ा, संतरा, सेब, मूली, नींबू, कच्ची हल्दी व चावल का बना लड्डू और रक्षा सूत्र की खरीदारी की।


एसएसपी ने लिया जायजा
एसएसपी लखनऊ कलानिधि नैथानी ने छठ पर्व के अवसर पर घाटों की सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया। छठ पूजा पर मनाये जाने वाले घाटों व घाटो पर लगाई गई बैरिकेटिंग की जांच की। पूजा के दौरान यातायात व्यवस्था सुगम बनी रहे इसलिए घाटों के आसपास व सड़कों पर ट्रैफिक पुलिसकर्मियों की 2 शिफ्टों में ड्यूटी लगाने का आदेश दिया। सांस्कृतिक पंडाल के आसपास महिला पुलिस कर्मियों की ड्यूटी व गुंडा दमन दल की भी ड्यूटी सादे कपड़ों में लगाई गई। इसके साथ ही घाटों के आसपास एसडीआरएफ के जवान भी तैनात किये गये। गोताखोरो को भी लगाया गया, जिससे किसी प्रकार की अप्रिय घटना को रोका जा सके।

भोजपुरी भाषा व भोजपुरी एकेडमी का सपना होगा साकार
इस मौके पर डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि आज यहां जो नजारा है, पहले ऐसा नहीं हुआ करता था। शुरुआत में गिने-चुने लोग ही इस तट पर पूजा करने आते थे। फिर अखिल भारतीय भोजपुरी समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रभुनाथ राय जी ने जब लक्ष्मण पार्क में छठ मेला मनाए जाने की बात कहीं तो नगर निगम द्वारा यहां पर छठ मेला लगने लगा। हालांकि, शुरुआत में काफी मुश्किलें भी आईं। पूर्व की सरकारों ने यहां केवल पेड़ लगाने की बात कही व छठ मेला लगाने से मना भी किया। पर, नगर निगम और प्रभुनाथ राय प्रयास से यह संभव हुआ। डिप्टी सीएम सहित लोकसभा सांसद जगदम्बिका पाल, मेयर संयुक्ता भाटिया, कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, राज्यसभा सांसद अशोक बाजपेयी आदि ने भोजपुरी अकादमी के निर्माण व भोजपुरी भाषा को संविधान की आठवीं सूची में शामिल करने का आश्वासन दिया।

सम्मानित हुए अतिथि
इस मौके पर बेसिक शिक्षा मंत्री अनुपमा जायसवाल, पूर्व जज सीबी पांडेय, भाजपा नेता अनिल सिंह, पूर्व डीजीपी बृजलाल, इंडियन ऑयल के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर अरुण कुमार गंजू व चीफ जनरल मैनेजर वीके वर्मा, सहारा इंडिया परिवार के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर अभिजीत सरकार सहित सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह व शॉल देकर सम्मानित किया गया। इस मौके पर भोजपुरी समाज की स्मारिका का भी विमोचन किया गया।

जगदम्बिका पाल हो गए नाराज
अतिथियों को सम्मानित करने के दौरान आयोजकों की ओर से एक छोटी सी चूक भी हो गई। हुआ यूं कि सभी अतिथियों को शॉल व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया, लेकिन इस बीच आयोजक जगदम्बिका पाल को सम्मानित करना भूल गए। सभी अतिथि मंच से चले गए अंत में जगदम्बिका पाल नाराज होकर नीचे उतर आए। हालांकि, इस भूल का अहसास होते ही आयोजकों ने तुरंत उनको मना भी लिया।


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