CoronaVirus Lockdown : ट्रक पर सवार गर्भवती को प्रसव पीड़ा, मदद को बढ़े हाथ-हाईवे पर बच्चे को दिया जन्म
CoronaVirus Lockdown महिलाओं ने प्रसव करवाकर पेश की मानवता की मिसाल हाइवे किनारे गूंजी किलकारी। दिल्ली शहादरा से चली और अंबेडकरनगर स्थित गांव जा रही थी महिला।
अयोध्या [राजनारायण पाण्डेय]। CoronaVirus Lockdown : कोरोना वायरस से बचाव के चलते लॉकडाउन जारी है। रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में गए श्रमिकों को मुसीबत की इस घड़ी में अपने शहर की मिट्टी की खुशबू खींचकर घर वापस ला रही है। इसी कड़ी में रविवार सुबह नौ माह की गर्भवती महिला पति के साथ ट्रक पर सवार होकर दिल्ली शहादरा से अंबेडकर नगर के लिए निकली। लखनऊ-गोरखपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर ही महिला को प्रसव पीड़ा होने लगी। तभी महिला की मदद को आस-पास की दुकानों की महिलाएं सामने आई। हाईवे किनारे महिला का प्रसव सफल कराकर मानवता की मिसाल पेश की। करीब तीन घंटे आराम कर महिला बच्चे को लेकर दूसरे ट्रक पर सवार हुई और अपने गांव की तरफ चल पड़ी।
मुसीबत में याद आई अपनी मिट्टी की खुशबू
नौ माह की गर्भवती रूबी (22) अपने पति विमलेश के साथ दिल्ली के शहादरा में रहकर खाद का काम जीवन यापन कर रही थी। विगत 2 महीने से चल रहे लॉकडाउन की वजह से कामकाज ठप हो गया। जिसके चलते परिवार भूखमरी की कगार पर आ गया। ऊपर से पत्नी की डिलीवरी की चिंता भी विमलेश को खाये जा रही थी। घर में एक अन्न का दाना भी न होने पर विमलेश ने अंबेडकरनगर स्थित गांव जमल्दीपुर सईदापुर थाना सम्मनपुर तहसील अकबरपुर निकलने में ही अपनी भलाई समझी।
मदद को बढ़े हाथ, हाइवे किनारे गूंजी किलकारी
शुक्रवार को विमलेश पत्नी रूबी को लेकर साथी सूरज के साथ दिल्ली से निकलकर ट्रक बदलते हुए लखनऊ-गोरखपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर रुदौली के पास पहुंचा। वहीं, उसकी पत्नी रूबी के पेट में दर्द होने लगा और देखते ही देखते उसको असहाय पीड़ा होने लगी। इसपर विमलेश ने ट्रक रुकवाया। हाईवे पर महिला को दर्द में देख आसपास की दुकानों में मौजूद महिलाओं ने मदद को हाथ बढ़ाया। हाइवे के किनारे स्थित एक चबूतरे पर चारो तरफ से पर्दा लगाया। पलक झपते ही रूबी ने बेटे को जन्म दिया। करीब तीन घंटे आराम के बाद महिला पति और बच्चे के साथ दूसरे ट्रक में सवार होकर अपने घर की तरफ रवाना हो गई। प्रसव में उपस्थित महिलाओं ने बताया कि रूबी अपने स्वस्थ बच्चे को साथ में लेकर रवाना हुई और जाते-जाते प्रसव में मौजूद सभी मददगारों को धन्यवाद कहना नहीं भूली।