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आखिरकार भारतलाल के लिए हारुननिशां बनी मालती, 20 साल पहले हुई थी दोस्‍ती फिर लिव इन रिलेशनशिप

रायबरेली में 45 वर्षीय भारतलाल के लिए हारुननिशां बनी मालती। बिना शादी के लिव इन रिलेशनशिप की तरह एक ही घर में रह रहे थे। दोनों का 18 साल का बेटा अकेला भी है।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Fri, 28 Feb 2020 04:39 PM (IST)Updated: Sat, 29 Feb 2020 08:34 AM (IST)
आखिरकार भारतलाल के लिए हारुननिशां बनी मालती, 20 साल पहले हुई थी दोस्‍ती फिर लिव इन रिलेशनशिप
आखिरकार भारतलाल के लिए हारुननिशां बनी मालती, 20 साल पहले हुई थी दोस्‍ती फिर लिव इन रिलेशनशिप

रायबरेली, जेएनएन। सुनने में जरा अटपटा भले लगे, लेकिन प्यार करने वालों को इससे क्या वास्ता। वे अपनी रीति-नीति खुद ही तय कर लेते हैं। यह शहरी या महानगरीय सोच वाले पढ़े-लिखे किसी युवा की कहानी नहीं है, बल्कि खांटी गंवई अंदाज वाले करीब 45 वर्षीय भारतलाल के जीवन की सच्चाई है। रास्ते में ही समाज के सामने घुटने टेक देते हैं। जाति और धर्म से अलग हटकर ऐसा ही एक मामला सामने आया है। जिसमें अलग-अलग धर्म को मानने वाले की 20 साल पहले हुई दोस्‍ती फिर बिना शादी लिव इन रिलेशनशिप में रहने के बाद अंतत: गरूवार को एक बंधन में बंध ही गए। 

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भारतलाल के लिए हारुननिशां बनी मालती

मामला ऊंचाहार तहसील के पयागपुर नौदरा का मामला है। यहां के निवासी भारतलाल (45) और की दोस्ती कारीब 20 साल पहले हारुननिशां से हो गई। लेकिन, सामाजिक ताने-बाने से ऊपर जाकर बड़ा फैसला करने की उनकी हिम्मत न हुई। वे उससे ब्याह नहीं कर पाए। उधर हारुननिशां का निकाह उसके घरवालों ने बिरादरी में ही एक दूसरे युवक से कर दिया। हारुननिशां चली तो गई वहां, किंतु मन नहीं लगा। कुछ दिनों बाद वह भारतलाल के पास आ गई। तब भारत ने उसे अपने ही घर में रख लिया। दोनों बिना शादी के लिव इन रिलेशनशिप की तरह एक ही घर में रहने लगे। वक्त बीता दोनों से एक बेटा भी हुआ। माता-पिता ने उसका नाम भी रखा...'अकेला'।

 

यह अकेला ऐसा नाम था। जो हिंदु-मुसलमान दोनों वर्गों में स्वीकारा जाने लगा। इधर, बेटा जब 18 साल का हुआ, गांव के बूढ़े बुजुर्गों ने हिंदू रीति-नीति का हवाला भी दिया। भारत को बताया गया कि बेटे के ब्याह से लेकर अन्य सारी लोकरीत निभाने के लिए हारुननिशां से ब्याह वाली औपचारिकता निभानी होगी। फिर क्या था, गरीबी के बीच जीवन यापन करने वाले भारत लाल ने शादी की मुहुर्त निकलवाई। 27 फरवरी गुरुवार को धूमधाम से अपने गांव में पूरे हिंदू विधि-विधान से विवाह किया। हारुननिशां भी सात फेरे लेकर मालती बन गई। घरवालों का कहना है कि भारत और हारुननिशां ने अपने दिल की सुनीं। उन्हें दुनियादारी से मतलब नहीं।

 

गांव वालों ने धूमधाम से कराई शादी, लोगों ने दिया आशीर्वाद 

गांव वालों के सहयोग से दोनों के विवाह समारोह में सारी व्यवस्थाएं मुकम्मल तरीके से की गयी। 20 साल बाद और उम्र के इस पड़ाव में हुई शादी के बावजूद दोनों की खुशियां देखते ही बन रही थी। हारुननिशां अब मालती बनकर भारतलाल की अर्धांगनी बन चुकी थी। गांव वालों ने भी दोनों को आशीर्वाद देते हुए इस विवाह समारोह को यादगार बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इस शादी की चर्चा आसपास के क्षेत्र में जोरों पर है।


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