क्लीनर किट के उपयोग से उगलने के साथ जहरीली हवा को सोखेंगी भी कारें
पर्यावरणविद् और बरेली कॉलेज के रिटायर्ड प्रोफेसर डीके सक्सेना ने एक ऐसी क्लीनर किट विकसित की है, जो वातावरण में घुले बेहिसाब प्रदूषण को करीब बीस फीसद तक सोखने में माहिर है।
बरेली [दीपेंद्र सिंह]। बढ़ता प्रदूषण देश की बहुत बड़ी समस्या बन चुका है। ऐसे में उम्मीद की एक किरण फूटी है। पर्यावरणविद् और बरेली कॉलेज के रिटायर्ड प्रोफेसर डीके सक्सेना ने एक ऐसी क्लीनर किट विकसित की है, जो वातावरण में घुले बेहिसाब प्रदूषण को करीब बीस फीसद तक सोखने में माहिर है। फिलहाल यह कारों पर फिट करने योग्य है, जिसका कई कंपनियों में सफल ट्रायल भी हुआ है। नतीजे उत्साहजनक हैं। किट दूसरे वाहनों से होने वाला करीब पच्चीस फीसद धुआं सोख रही है। किट की परफॉर्मेंस चेक करने के बाद इसे प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में प्रपोजल के तौर पर भेजा जाएगा।
कार के अगले हिस्से पर ही लगेगी किट
क्लीन किट कार के इंजन में ग्र्रिल के पास फिट होगी, जहां से उसे एयर मिलती है। यह वैसे ही काम करती है, जैसे वैक्यूम क्लीनर। जरूरी ऊर्जा इसे कार के ही इंजन से मिलती है। ऐसे में किट लगी कार आगे चल रही कार या अन्य वाहन से निकलने वाले धुएं को निकलने के फौरन बाद खींचती है। कारों के बीच की दूरी के हिसाब से इसमें कुछ परिवर्तन भी हो सकता है। हालांकि, मानक परिस्थितियों में यह किट बीस से पच्चीस फीसद धुआं सोख लेती है।
साल भर की लागत महज एक हजार
कार में लगाई जाने वाली किट की अनुमानित कीमत करीब एक हजार रुपये है, जो पर्यावरण सुधार और अपने स्वास्थ्य के लिहाज से कोई ज्यादा नहीं है। किट में लगी फोम किसी भी समय कार के अगले हिस्से से निकालकर झाड़कर दोबारा साफ की जा सकती है। अनुमान के मुताबिक, एक बार किट लगाने के बाद साल भर तक चल जाएगी। कार किट की सफलता के बाद दोपहिया वाहन के लिए भी किट तैयार कराने की योजना है।
वाहनों में लगाई जाने वाली किट स्वास्थ्य और प्रदूषित हो रहे पर्यावरण के लिहाज से बेहद उपयोगी है। कुछ कारों में इसका सफल ट्रायल चल रहा है।
- प्रो. डीके सक्सेना, प्रदूषण मॉनीटरिंग और रोकथाम एक्सपर्ट