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Ayodhya Ram Mandir News: राम मंदिर में बेतार होगी ब‍िजली की व्यवस्था, विशेषज्ञों से हुई गहन चर्चा

मंदिर के अंदर सामान्य दिनों में प्रकाश की व्यवस्था एवं विशेष अवसरों पर विशेष तरह की प्रकाश व्यवस्था सहित मंदिर के बाहरी भाग में प्रकाश की संभावनाओं की समीक्षा की गई। सुरक्षा प्रबंधों में भी अत्याधुनिक तकनीक पर जोर होगा।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Tue, 19 Oct 2021 11:23 PM (IST)Updated: Wed, 20 Oct 2021 11:37 AM (IST)
Ayodhya Ram Mandir News: राम मंदिर में बेतार होगी ब‍िजली की व्यवस्था, विशेषज्ञों से हुई गहन चर्चा
राम मंदिर निर्माण समिति के दूसरे दिन कई अहम बि‍ंदुओं पर विमर्श।

अयोध्‍या, जागरण संवाददाता। रामजन्मभूमि पर बनने वाले मंदिर में विद्युत व्यवस्था बेतार होगी। यह व्यवस्था मंदिर निर्माण में प्रयुक्त प्रस्तर खंडों को ध्यान में रख कर सुनिश्चित की जा रही है क्योंकि सामान्य भवनों की तरह पाषाण निर्मित इमारत में तार संयोजित करने के लिए छेद करना आसान नहीं होगा। यह जानकारी रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय ने दी। वे सर्किट हाउस में राम मंदिर निर्माण समिति की दूसरे दिन की बैठक के बाद पत्रकारों से वार्ता कर रहे थे।

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उन्होंने बताया कि बैठक में बेतार की लाइटि‍ंग, स्पीकर, सीसीटीवी कैमरा के जानकार विशेषज्ञों से इस संदर्भ में विस्तार से चर्चा भी हुई। इस दौरान मंदिर के अंदर सामान्य दिनों में प्रकाश की व्यवस्था एवं विशेष अवसरों पर विशेष तरह की प्रकाश व्यवस्था सहित मंदिर के बाहरी भाग में प्रकाश की संभावनाओं की समीक्षा की गई। सुरक्षा प्रबंधों में भी अत्याधुनिक तकनीक पर जोर होगा। चंपतराय ने बताया कि सुरक्षा व्यवस्था में मैनपावर कम से कम और तकनीक का अधिकाधिक प्रयोग होगा, ताकि सुरक्षा व्यवस्था के चलते दर्शनार्थियों को किसी अड़चन का सामना न करना पड़े। बैठक की अध्यक्षता राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने की। बैठक में ट्रस्ट के सदस्य डा. अनिल मिश्र के अलावा मंदिर निर्माण की कार्यदायी संस्था टाटा कंसल्टेंसी इंजीनियर्स व एलएनटी के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे।

पौराणिक महत्व की मूर्तियों का होगा संयोजन : राममंदिर के अंदर की दीवारों, परकोटे, प्लि‍ंथ व स्तंभों पर मूर्तियों के निर्माण का भी विधान संयोजित किया जा रहा है। बैठक में इस पर विस्तार से चर्चा की गई। मंदिर के विभिन्न हिस्सों में संयोजित मूर्तियां भगवान विष्णु के दशावतार, नवग्रह, शक्ति पीठ आदि से जुड़ी पौराणिक परंपरा की होंगी और यह सुनिश्चित करने के लिए मूर्ति शास्त्र के विशेषज्ञों की भी राय ली जा रही है।


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