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Winery Units: किसानों की आय बढ़ाने के लिए यूपी में अब लगेंगी वाइनरी इकाइयां, बढ़ेंगे रोजगार के नए अवसर

Winery Units उत्तर प्रदेश सरकार फल उत्पादक किसानों की उपज का सदुपयोग व उनकी आय बढ़ाने के लिए वाइनरी स्थापित कराएगी। इससे जहां एक ओर वाइन उद्योग को बढ़ावा मिलेगा वहीं दूसरी ओर किसानों की उपज का उचित मूल्य उन्हें मिल सकेगा।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Tue, 28 Sep 2021 07:30 AM (IST)Updated: Tue, 28 Sep 2021 05:16 PM (IST)
Winery Units: किसानों की आय बढ़ाने के लिए यूपी में अब लगेंगी वाइनरी इकाइयां, बढ़ेंगे रोजगार के नए अवसर
किसानों की आय बढ़ाने और रोजगार पैदा करने के लिए अब उत्तर प्रदेश में वाइनरी इकाइयां स्थापित की जाएंगी।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार किसानों की आय दोगुना करने को प्रयासरत है। विभिन्न योजनाओं के माध्यम से नगदी फसलों के उत्पादन पर जोर दिया जा रहा है, इनमें फल और सब्जी की खेती अहम है। शासन ने विभिन्न प्रकार के फलों को प्रसंस्कृत कर किसानों को उचित मूल्य दिलाये जाने के लिए वाइनरी की स्थापना करने का निर्णय लिया है।

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वाइन उत्पादक इकाइयों की स्थापना के लिए गन्ना संस्थान लखनऊ की बैठक में अपर मुख्य सचिव आबकारी संजय आर भूसरेड्डी ने बताया कि वाइनरी स्थापित करने से संबंधित नियमावली 1961 व फिर वर्ष 2001 में घोषित की जा चुकी है, लेकिन उत्तर प्रदेश में अभी तक एक भी वाइनरी इकाई की स्थापना नहीं हो पाई है, जबकि महाराष्ट्र के नासिक व पुणे में कई वाइनरी इकाइयां स्थापित की जा चुकी हैं। वहां के किसानों की आय को बढ़ाने में ये काफी मददगार साबित हो रहा है।

इसी को देखते हुए प्रदेश सरकार फल उत्पादक किसानों की उपज का सदुपयोग व उनकी आय बढ़ाने के लिए वाइनरी स्थापित कराएगी। इससे जहां एक ओर वाइन उद्योग को बढ़ावा मिलेगा, वहीं दूसरी ओर किसानों की उपज का उचित मूल्य उन्हें मिल सकेगा। उद्योगों की स्थापना से प्रदेश में रोजगार के नये अवसर भी बढ़ेंगे और सरकार को वाइन की बिक्री से राजस्व भी मिल सकेगा।

अपर मुख्य सचिव आबकारी संजय आर भूसरेड्डी ने अन्य प्रदेशों से आये प्रतिनिधियों को वर्ष 2021-22 की आबकारी नीति में वाइन उत्पादक इकाइयों की स्थापना व प्रोत्साहन के लिए बनाये गए प्रविधानों से अवगत कराया। उन्हें बताया गया कि प्रदेश में सब-ट्रापिकल फलों जैसे आम, जामुन, कटहल, अमरूद, अंगूर, लीची, आंवला, पपीता आदि का अत्यधिक उत्पादन होता है, जिसकी खपत पूरी तरह से नहीं हो पाती है। फलों के समुचित भंडारण की सुविधा के अभाव में रख-रखाव न हो पाने से भारी मात्रा में फल शीघ्र खराब होते रहते हैं, जिससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है, उन्हें अपनी उपज का समुचित लाभ भी नहीं मिल पाता।

बैठक में आबकारी आयुक्त सेंथिल पांडियन सी., अपर आबकारी आयुक्त (प्रशासन), संयुक्त निदेशक (सांख्यिकी) व उप आबकारी आयुक्त लाइसेंसिंग, प्रयागराज भी शामिल हुए। बैठक में आल इंडिया वाइन प्रोड्यूशर एसोसिएशन के अध्यक्ष सहित विभिन्न प्रदेशों की वाइन उत्पादक इकाईयों मेसर्स इंडो स्प्रिट, गाडसन आर्गेनिक्स फार्म, बरेली, मेसर्स गुड ड्राप सेलर, मेसर्स सुला विनियार्ड के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।


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