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UP: प्राइमरी स्कूलों में वाट्सएप बना ऑनलाइन शिक्षा का बड़ा माध्यम, बहुप्रचारित दीक्षा ऐप छूटा पीछे

आनलाइन शिक्षा के लिए बहुप्रचारित दीक्षा ऐप से बच्चे और उनके अभिभावक दूरी बनाए हुए हैं। सर्व शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना कार्यालय की ओर से आइवीआरएस के जरिये शिक्षकों और बच्चों व उनके अभिभावकों से हाल ही में की गई पूछताछ में यह तथ्य सामने आया है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Fri, 13 Nov 2020 06:00 AM (IST)Updated: Fri, 13 Nov 2020 06:00 AM (IST)
UP: प्राइमरी स्कूलों में वाट्सएप बना ऑनलाइन शिक्षा का बड़ा माध्यम, बहुप्रचारित दीक्षा ऐप छूटा पीछे
प्राइमरी स्कूलों में वाट्सएप बना ऑनलाइन शिक्षा का बड़ा माध्यम, बहुप्रचारित दीक्षा ऐप छूटा पीछे

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश के परिषदीय स्कूल कोरोना आपदा काल में बंद हैं। इस दौरान इन विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों की आनलाइन शिक्षा के लिए वाट्सएप सबसे बड़ा माध्यम बन गया है। वहीं, आनलाइन शिक्षा के लिए बहुप्रचारित दीक्षा ऐप से बच्चे और उनके अभिभावक दूरी बनाए हुए हैं। सर्व शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना कार्यालय की ओर से इंटरएक्टिव वायस रिस्पांस सिस्टम (आइवीआरएस) के जरिये शिक्षकों और बच्चों व उनके अभिभावकों से हाल ही में की गई पूछताछ में यह तथ्य सामने आया है।

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इंटरएक्टिव वायस रिस्पांस सिस्टम के जरिये की गई पड़ताल में पता चला कि 98 फीसद शिक्षक बच्चों से वाट्सएप के जरिये जुड़े हैं। ऑनलाइन शिक्षा के लिए वाट्सएप सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला माध्यम है। हालांकि 20 फीसद अभिभावक ऐसे भी पाए गए जो बच्चों की पढ़ाई के लिए वाट्सएप का इस्तेमाल नहीं करते हैं। गौरतलब है कि लाकडाउन होने के साथ ही बेसिक शिक्षा विभाग ने शिक्षकों और बच्चों व उनके अभिभावकों के 88 हजार वाट्सएप ग्रुप तैयार किए थे।

वहीं आनलाइन शिक्षा के लिए केंद्र सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा विकसित और राज्य सरकार की ओर से भी प्रमोट किये जा रहे दीक्षा ऐप का परिषदीय स्कूलों के बच्चे व अभिभावक बहुत सीमित संख्या में इस्तेमाल कर रहे हैं। आइवीआरएस के जरिये पूछताछ में पाया गया कि सिर्फ 11 प्रतिशत बच्चों और उनके अभिभावकों ने इस ऐप को डाउनलोड किया है। वहीं मानव संपदा पोर्टल के माध्यम से 92 फीसद शिक्षक दीक्षा ऐप को डाउनलोड कर चुके हैं। पड़ताल में यह भी मालूम चला कि 28 फीसद बच्चे ई-पाठशाला के तहत तैयार कराई गई शैक्षिक सामग्री दूरदर्शन और रेडियो के जरिये हासिल कर रहे हैं।


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