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यूपी-एमपी केन-बेतवा जल बंटवारे का विवाद अब अंतिम चरण में, पानी की जरूरत का प्लान तैयार

बहुप्रतीक्षित केन-बेतवा लिंक परियोजना में मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के पानी के बंटवारे का विवाद अब अंतिम चरण में है। इसी माह केंद्रीय जल संसाधन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की अध्यक्षता में बैठक प्रस्तावित है। इसमें दोनों राज्यों से पानी की जरूरत का प्लान लेकर अंतिम फैसला लिया जाएगा।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Sun, 01 Nov 2020 10:01 PM (IST)Updated: Mon, 02 Nov 2020 06:27 AM (IST)
यूपी-एमपी केन-बेतवा जल बंटवारे का विवाद अब अंतिम चरण में, पानी की जरूरत का प्लान तैयार
केन-बेतवा जल बंटवारे का विवाद अब अंतिम चरण में

लखनऊ, जेएनएन। बहुप्रतीक्षित केन-बेतवा लिंक परियोजना में मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के पानी के बंटवारे का विवाद अब अंतिम चरण में है। इसी माह केंद्रीय जल संसाधन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की अध्यक्षता में बैठक प्रस्तावित है। इसमें दोनों राज्यों से पानी की जरूरत का प्लान लेकर अंतिम फैसला लिया जाएगा। शेखावत ने इसी साल सितंबर में हुई बैठक में दोनों राज्यों से यह प्रस्ताव मांगा था। मध्य प्रदेश जल संसाधन विभाग ने यह प्रस्ताव तैयार कर लिया है, जो अनुमोदन के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजा गया है। परियोजना से उत्तर प्रदेश को रबी सीजन में 700 एमसीएम (मिलियन क्यूबिक मीटर) और खरीफ सीजन में 1000 एमसीएम पानी देना प्रस्तावित है।

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दैनिक जागरण के सहयोगी अखबार नईदुनिया के अनुसार पानी के बंटवारे को लेकर केन-बेतवा लिंक परियोजना 15 साल से अस्तित्व में नहीं आ पा रही है। वर्ष 2005 में दोनों राज्यों के बीच पानी का बंटवारा कर दिया गया था, पर बाद में उत्तर प्रदेश की मांग बढ़ गई और विवाद हो गया। इस कारण मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में पीने के पानी और सिंचाई के पानी की समस्या भी हल नहीं हो रही है।

इस विवाद को सुलझाने के लिए सितंबर में शेखावत ने दोनों राज्यों के जल संसाधन मंत्री और अधिकारियों की बैठक बुलाई थी। इसमें मंत्री शेखावत ने इस विवाद की वजह से परियोजना में देरी पर नाराजगी भी जताई थी और दोनों राज्यों से अक्टूबर तक पानी का प्लान मांगा था। 29 अक्टूबर को फिर बैठक प्रस्तावित थी, जो मध्य प्रदेश में उपचुनाव के कारण स्थगित कर दी गई। अब यह बैठक दीपावली बाद होगी। जिसमें दोनों राज्य अपनी कार्ययोजना रखेंगे। जल संसाधन विभाग के प्रमुख अभियंता एमएस डाबर इस मामले में कुछ भी बताने को तैयार नहीं हैं।

ज्यादा पानी दिया, तो नहीं होगी सिंचाई : सूत्र बताते हैं कि मध्य प्रदेश जल संसाधन विभाग ने पानी की जरूरत की योजना में स्पष्ट किया है कि रबी सीजन में उत्तर प्रदेश को 700 एमसीएम और खरीफ में 1000 एमसीएम पानी दे पाएंगे। इससे ज्यादा पानी दिया, तो मध्य प्रदेश के हिस्से के 4.47 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई के लिए पानी कम पड़ जाएगा। विभाग का यह भी तर्क है कि परियोजना में जंगल, जमीन और वन्यप्राणियों के लिए रहवास क्षेत्र का नुकसान मध्य प्रदेश को उठाना है, तो पानी पर पहला हक भी हमारा है।

ऐसे बढ़ी पानी की मांग : वर्ष 2005 में उत्तर प्रदेश को रबी फसल के लिए 547 एमसीएम और खरीफ फसल के लिए 1153 एमसीएम पानी देना तय हुआ था। अप्रैल 2018 में उत्तर प्रदेश की मांग पर रबी फसल के लिए 700 एमसीएम पानी आवंटन की सहमति बनी। वहीं केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश के 788 एमसीएम पानी देना तय किया। इसके बाद भी जुलाई 2019 में उत्तर प्रदेश ने 930 एमसीएम पानी मांग लिया। इतना पानी देने के लिए मध्य प्रदेश तैयार नहीं है।


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