दिल्ली ही नहीं, लखनऊ के भूजल पर भी संकट
सुप्रीम कोर्ट की चिंता से सबक लेने की जरूरत। सरकार खुद अपने ही आदेश का अनुपालन नहीं कर रही।
लखनऊ [रूमा सिन्हा]। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में दिल्ली में गिरते भूजल स्तर पर गंभीर टिप्पणी करते हुए सरकार सहित केंद्रीय भूजल बोर्ड को आड़े हाथ लिया था। कोर्ट ने निरंतर नीचे जाते भूजल स्तर की रोकथाम के लिए व पानी की खपत कम करने के लिए कुछ न करने पर लताड़ लगाई थी। साथ ही केंद्र से तात्कालिक, मध्यवर्ती व दीर्घकालिक योजनाएं बनाकर शीघ्र लागू करने की हिदायत दी है।
दरअसल न्यायालय ने भले ही दिल्ली के संदर्भ में चिंता व्यक्त की हो, लेकिन हकीकत यह है कि उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के हालात भी बेहद खराब हैं। केवल लखनऊ ही नहीं दिल्ली से सटे नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ आदि शहरों में भी भूजल भंडार की स्थिति अत्यंत चिंताजनक है। अंधाधुंध दोहन से भूजल भंडार किस कदर संकट में हैं, इसका उदाहरण वृंदावन कालोनी है। राज्य भूजल विभाग की रिपोर्ट के अनुसार चौतरफा बहुमंजिला आवासीय भवनों से घिर चुके इस इलाके में अक्टूबर 2012 से जून 2018 के मध्य भूजल स्तर में 12.94 मीटर की गिरावट हुई है। केवल यहीं नहीं दीनदयाल नगर में 10.20, त्रिवेणीनगर में 9.81, महानगर में 9.55, लालबाग में 9.24 मीटर तक की गिरावट दर्ज की गई है। गोमती नगर, इंदिरा नगर, लालकुर्ती, आंचलिक विज्ञान नगरी, अलीगंज व चौक के हालात भी काफी चिंताजनक हैं। दरअसल औद्योगिक क्षेत्र के साथ-साथ निर्माण से लेकर पेयजल तक की जरूरतों को पूरा करने के लिए केवल भूजल का ही इस्तेमाल किया जा रहा है। कहने को तो लखनऊ में गोमती बहती है, लेकिन पेयजल सेक्टर के लिए निर्भरता भूजल भंडारों पर ही है। यहां तक कि निर्माण कार्यो के लिए भी भूजल भंडारों से ही पानी का दोहन किया जाता है। इससे भूजल भंडार जबर्दस्त संकट में हैं। वहीं भूजल संरक्षण की कोशिश फिलहाल हवा-हवाई ही साबित हुई हैं। जिन चंद सरकारी भवनों में वर्षा जल संचयन के इंतजाम किए भी गए हैं देखरेख की कमी के चलते बेकार हो चुके हैं। बारिश का पानी जमीनी जल स्त्रोतों में प्राकृतिक रूप से पहुंच सके इसके लिए शासनादेश है कि फुटपाथ व डिवाइडरों को कच्चा रखे अथवा लूज टाइल्स लगाएं। लेकिन सरकार खुद ही अपने इस आदेश का अनुपालन करने में विफल रही है। ऐसे में बारिश का पानी रिसकर जमीन में जाने की जो थोड़ी बहुत संभावना बची थी वह भी खत्म हो चुकी है।
एक्ट पर टिकी उम्मीद:
भूजल विभाग द्वारा दोहन पर अंकुश लगाने के लिए एक्ट लाए जाने का प्रस्ताव है। प्रस्ताव के मुताबिक उद्योगों व बड़ी तादाद में जल दोहन करने वालों को विभाग से पंजीकरण कराना होगा। बगैर पंजीकरण दोहन करने वालों पर जुर्माना लगाया जाएगा। भूजल विभाग के निदेशक वीके उपाध्याय बताते हैं कि एक्ट में घरेलू उपभोक्ताओं को छोड़ अन्य पर नकेल कसने की तैयारी है। यही नहीं जल संचयन के लिए राज्य भूजल संरक्षण मिशन के तहत सभी विभागों की वर्षा जल संचयन संबंधी योजनाओं को एकीकृत तरीके से संकट ग्रस्त क्षेत्रों में लागू कराया जा रहा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इससे भूजल स्तर में सुधार लाया जा सकेगा।