बकरीद और गणेश पूजा पर मेरठ, संभल, आगरा और प्रतापगढ़ में तनाव
अराजक तत्वों ने संभल और आगरा में माहौल बिगाडऩे का प्रयास किया। गणेश प्रतिमा विसर्जन यात्रा वाहन पर संभल में अल्पसंख्यकों ने पथराव कर दो लोगों को घायल कर दिया तो आगरा में विसर्जन यात्रा पर मांस का टुकड़ा फेंका गया। यहां कई जगह टकराव की स्थिति बनी। फोर्स की
लखनऊ। गणेश पूजा और बकरीद के मौके पर मेरठ, संभल, आगरा और प्रतापगढ़ में माहौल बिगाडऩे का प्रयास किया। गणेश प्रतिमा विसर्जन यात्रा वाहन पर संभल में अल्पसंख्यकों ने पथराव कर दो लोगों को घायल कर दिया तो आगरा में विसर्जन यात्रा पर मांस का टुकड़ा फेंका गया। यहां कई जगह टकराव की स्थिति बनी। फोर्स की सक्रियता से दोनो ही जगह स्थिति को काबू कर लिया गया।
रविवार को संभल जिले के बहजोई में श्रद्धालु गणेश प्रतिमा को विसर्जित करने के लिए राज घाट जा रहे थे। टाटा गाड़ी काली मंदिर रोड पर पहुंची तो अल्पसंख्यकों ने इसे नई परंपरा बताते हुए अचानक पथराव कर दिया, जिससे टाटा गाड़ी के शीशे टूट गए तथा गाड़ी में बैठी कुंती देवी व उसका नाती प्रशांत घायल हो गए। चालक ने टाटा गाड़ी वापस मोड़ ली। इसके बाद दोनों समुदाय के लोगों में पथराव शुरू हो गया।
फोर्स के साथ थाना प्रभारी राजवीर यादव के समझाने पर भी लोग पथराव करते रहे। आनन-फानन में दुकानों के शटर गिर गए। मामला गंभीर होता देख एसओ ने अधिकारियों से फोर्स की मांग की। लगभग पौन घंटे बाद कई थानों की पुलिस, पीएसी, सहित सीओ, व एसडीएम मौके पर पहुंचे। एसपी और डीएम भी आ गए और प्रतिमा को विसर्जित कराने के लिए पुलिस कर्मियों की सुरक्षा में भेजा गया। डीआइजी ओंकार सिंह ने पहुंचकर आरएएफ का फ्लैग मार्च कराया और पुलिस व पीएसी की तैनाती करायी।
उधर आगरा में मंटोला के नाला महावीर की वाल्मीकि बस्ती से सुबह लगभग साढ़े 11 बजे निकली गणेश प्रतिमा विसर्जन यात्रा पर मांस का टुकड़ा फेंकने से तनाव फैल गया। भाजपाई और हिंदूवादी संगठन के लोगों ने थाने को घेर लिया। लोग इस बात पर गुस्सा थे कि छत से जानबूझकर मांस का टुकड़ा फेंका गया है। अधिकारियों ने लोगों को समझाकर स्थिति संभाल ली। इसके थोड़ी देर बाद नाला महावीर के पास बस्ती में पथराव हो गया। अधिकारी मौके पर पहुंचे और पुलिस-पीएसी की मौजूदगी में विसर्जन यात्रा निकाली गई। उधर शाम को ईदगाह कटघर के पास दूसरे संप्रदाय के लोगों द्वारा डेक बंद कराने को लेकर टकराव हो गया। मारपीट के बाद पथराव हुआ। पुलिस ने यहां भी समय रहते हालात संभाल लिए।
मूर्ति विसर्जन जुलूस में डीजे रोकने पर हंगामा
गणेश मूर्ति विसर्जन जुलूस में डीजे बजाने से रोकने पर नाराज लोगों ने आज जमकर हंगामा किया। प्रतापगढ़ पुलिस का कहना था कि प्रशासन की अनुमति के बिना डीजे नहीं बजाया जा सकता। मामला बढ़ते देख कई चौकी प्रभारी, क्यूआरटी, एक्शन मोबाइल की टीम पहुंच गई, लेकिन लोग मानने को तैयार नहीं थे। लोग पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। इसके बाद जुलूस में शामिल लोग डीएम से मिले। डीएम की अनुमति मिलने के बाद जुलूस आगे बढ़ा और हंगामा शांत हुआ।
मेरठ में सांप्रदायिक तनाव
मेरठ में लालकुर्ती के बकरी मोहल्ला (कसाई मोहल्ला) में बहुसंख्यक संप्रदाय के धार्मिकस्थल से महज 30 कदम की दूरी पर घर के दरवाजे पर भैंस की कुर्बानी से सांप्रदायिक तनाव पैदा हो गया। दोनों ओर से नारेबाजी की गई। हंगामे की सूचना पर कई थानों की पुलिस मौके पर पहुंची और भीड़ को शांतकर घर में कटान कराया। फिलहाल मौके पर कई थानों की पुलिस तैनात की गई है। आज बकरीद का तीसरा दिन था। इसके मद्देनजर कुर्बानी देने को लालकुर्ती के बकरी मोहल्ला स्थित धार्मिकस्थल के पास रहने वाले शालू पुत्र हसीन भैंस खरीदकर लाया। आज सुबह भैंस ने घर के बाहर सड़क पर टक्कर मारकर कई लोगों को घायल कर दिया। इसके बाद भैंस को घर के अंदर ले जाकर शालू आधा दर्जन साथियों के साथ उसकी कुर्बानी देने लगा। भैंस पर जैसे ही फरसा पड़ा, वह आधी गर्दन कटी होने के बावजूद कूदकर भागी। हालांकि उसका आधा शरीर ही घर के बाहर निकल सका और वह गिर गई। इससे खून बहकर सड़क पर बिखर गया। राहगीर और आसपास के दूसरे संप्रदाय के लोगों ने इसका विरोध किया, जिसके बाद मौके पर भीड़ जमा हो गई। धार्मिकस्थल से महज 30 कदम की दूरी पर खुलेआम पशु कटान के विरोध में नारेबाजी शुरू हो गई। इधर, अल्पसंख्यक संप्रदाय के लोग भी जुट गए। बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों ने भीड़ को समझा-बुझा कर शांत किया।
धार्मिकस्थल के पास मिले अवशेष
मेरठ के बकरी मोहल्ले में भैंस कटान के बाद उसके अवशेष को धार्मिकस्थल के नाले में डाल दिया गया था। खून और अवशेष बहते पानी में धार्मिकस्थल के आगे पहुंच गए। कुछ लोगों की नजर जब नाले पर पड़ी तो अवशेष देख दोबारा से माहौल खराब हो गया और पुलिस के खिलाफ नारेबाजी होने लगी। पूरे प्रकरण में लालकुर्ती पुलिस की लापरवाही साफ दिखाई दे रही थी। अगर पुलिस खुलेआम कटान करने वालों पर कार्रवाई करती तो निश्चित ही हंगामा और सांप्रदायिक तनाव को रोका जा सकता था।