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यूपी में अपराध नियंत्रण में ग्राम प्रहरी न‍िभाएंगे बड़ी भूम‍िका, राज्य विधि आयोग ने की यह खास व्‍यवस्‍था

राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एएन मित्तल ने 21वें प्रतिवेदन के माध्यम से ग्राम प्रहरी के लिए नए कानून का मसौदा प्रदेश सरकार को सौंपा है। इसमें ग्राम प्रहरी के लिए नियुक्ति सेवा शर्तें दायित्व व सामाजिक सुरक्षा का विशेष रूप से उल्लेख किया गया है।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Fri, 03 Dec 2021 10:51 PM (IST)Updated: Fri, 03 Dec 2021 10:51 PM (IST)
यूपी में अपराध नियंत्रण में ग्राम प्रहरी न‍िभाएंगे बड़ी भूम‍िका, राज्य विधि आयोग ने की यह खास व्‍यवस्‍था
दस लाख रुपये तक का बीमा, वर्दी, पहचानपत्र व दिलाने की संस्तुति।

लखनऊ, राज्य ब्यूरो। कानून-व्यवस्था के मोर्चे पर अब ग्राम प्रहरियों की भी बड़ी भूमिका होगी। दूर-दराज गांव तक अब नए अपराधों पर भी पुलिस-प्रशासन की नजर इन सजग प्रहरियों के जरिए रहेगी। मसलन, विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन के मामलों से लेकर मादक पदार्थ व मानव तस्करी जैसी घटनाओं से लेकर संगीन अपराधों तक पर ग्राम प्रहरी नजर रखेंगे और उनके पास अलग वर्दी व पहचानपत्र भी होगा। राज्य मानवाधिकार आयोग ने बदलते सामाजिक परिवेश में कानून-व्यवस्था के लिए सबसे अंतिम व प्रमुख कड़ी ग्राम प्रहरियों की भूमिका को बढ़ाने की संस्तुतियां की हैं। आयोग ने ग्राम प्रहरी के लिए नए कानून का मसौदा राज्य सरकार को सौंप दिया है।

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ग्राम प्रहरी की नियुक्ति व उत्तरदायित्व पूर्व में उत्तर-पश्चिम प्रांत ग्राम एवं सड़क पुलिस अधिनियम- 1873 व अवध कानून अधिनियम 1876 के तहत निर्धारित थे। केंद्र सरकार ने इन कानूनों को वर्ष 2018 में समाप्त कर दिया था। ग्राम प्रहरियों की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए गृह विभाग ने राज्य विधि आयोग से प्रदेश में उनके लिए प्रथक कानून की रूपरेखा तैयार करने का अनुुरोध किया था। आयोग ने अन्य राज्यों में लागू कानूनों, कोर्ट के निर्णयों व सामाजिक पहलुओं पर गहन अध्ययन के बाद प्रस्तावित कानून की रूपरेखा तैयार की है।

राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एएन मित्तल ने 21वें प्रतिवेदन के माध्यम से ग्राम प्रहरी के लिए नए कानून का मसौदा प्रदेश सरकार को सौंपा है। इसमें ग्राम प्रहरी के लिए नियुक्ति, सेवा शर्तें, दायित्व व सामाजिक सुरक्षा का विशेष रूप से उल्लेख किया गया है। आयोग की ओर से ग्राम प्रहरियों की नियुक्ति की जिम्मेदारी जिलाधिकारी को सौंपे जाने को कहा गया है। यह भी कहा गया है कि जिन जिलों में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू है, वहां नियुक्ति का दायित्व पुलिस कमिश्नर संभालें। अब तक पुलिस अधीक्षक ग्राम प्रहरियों की नियुक्ति देख रहे थे। ग्राम प्रहरियों को सामाजिक सुरक्षा दिलाने की संस्तुति के साथ ही उनकी नियुक्ति का गांव अथवा बीट न बदले जाने की बात भी कही गई है।

यह मानक भी जरूरी : ग्राम प्रहरी के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता तय करने की संस्तुति भी की गई है। न्यूनतम आयु व आवश्यक शारीरिक दक्षता के मानक तय किए जाने के साथ ही ग्राम प्रहरियों का मासिक मानदेय नियमित रूप प्रदान किए जाने की सिफारिश भी की गई है। बीते दिनों शासन ने ग्राम प्रहरियों का मानदेय बढ़ाया था।

दस लाख रुपये तक का हो बीमा : ग्राम प्रहरी को सामाजिक सुरक्षा देने की ²ष्टि से उनका दस लाख रुपये तक का बीमा करवाए जाने की सिफारिश की गई है। ताकि किसी घटना अथवा दुर्घटना की स्थिति में उनके आश्रितों को आर्थिक सहायता मिल सके।

वर्दी, प्रशिक्षण व पहचानपत्र मिले : आयोग ने सुरक्षा-व्यवस्था में ग्राम प्रहरियों के महत्व को देखते हुए उन्हें पुलिस व होमगार्ड की तरह प्रशिक्षण के अलावा अलग निर्धारित वर्दी व पहचानपत्र प्रदान किए जाने की संस्तुति भी की है।

तत्काल देंगे सूचना : ग्राम प्रहरी को गांव स्तर की अहम जानकारियों का सूत्रधार बनाने व उनका दायरा बढ़ाने की सिफारिश की गई है। गांव में किसी भी तरह की घटना की सूचना तत्काल पुलिस तक पहुंचाने का वह सीधा माध्यम बनेगा।

आयोग की 10 सिफारिशों पर बन चुका है कानून : राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एएन मित्तल का कार्यकाल चार दिसंबर को पूरा हो रहा है। उन्होंने ग्राम प्रहरी के लिए कानून के मसौदे से पहले राज्य सरकार को 20 प्रतिवेदन भेजे थे, जिनमें 10 पर अमल कर राज्य सरकार कानून बना चुकी है। शेष 10 का शासन स्तर पर परीक्षण कराया जा रहा है।


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