Vikram Samvat 2078: भारतीय नव वर्ष का राजा मंगल, छाई रहेगी आर्थिक मंदी
आचार्य आनंद दुबे ने बताया कि चीन की नीतियों के कारण विश्व में तनाव बढ़ेगा । नयी समस्याएं उत्पन्न होंगी ।पश्चिमी सीमा से सटे हुए राष्ट्र में सत्ता परिवर्तन होगा । विभाजन की स्थिति भी सम्भव है।विश्व में युद्ध भी होंगे।
लखनऊ, [जितेंद्र उपाध्याय]। भारतीय नव वर्ष की शुरुआत 13 अप्रैल से हो रही है। इस 2078 विक्रम संवत का राजा मंगल है। वृषभ राशि के चलते आर्थिक मंदी रफ्तार पिछले साल कोरोना की तरह जारी रहेगी। आचार्य शक्ति धर त्रिपाठी ने बताया किज्योतिष के प्रसिद्ध ग्रन्थ 'सूर्य सिद्धान्त' के अनुसार इस सृष्टि का एक चक्र या एक कल्प चार युगों का होता है। इसमें 4,32,00,00,000 वर्ष होते हैं। ऐसे 50 कल्प व्यतीत हो चुके हैं। 51 वां कल्प चल रहा है। इस कल्प में सतयुग, त्रेता, द्वापर के बाद कलियुग के 5122 वर्ष बीत गए हैं, किन्तु 4,26,878 वर्ष शेष हैं । इसी क्रम में 2078 विक्रम संवत की शुरुआत चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 13 अप्रैल दिन मंगलवार को हो रही है। पंडित शक्तिधर त्रिपाठी के अनुसार 'आनन्द' नामक इस सम्वत् के आरम्भ होने के समय सूर्य और चंद्र दोनो ही अश्विनी नक्षत्र पर होंगे।
वर्ष के राजा मंगल का फल : 'भौमे नृपे वह्नि भयं नाराणाम् चौरा कुलम पार्थिव विग्रहश्च। दुखम् प्रजा व्याधि वियोग पीड़ा स्वल्पम् पयो मुंचति वारि वाह:।। अर्थात अग्नि भय , प्रजा की हानि , चोरों ( आतंकियों ) के उत्पात में वृद्धि, संक्रामक एवं रक्त सम्बन्धी रोग से जनता को कष्ट, बिजली गिरने से होने वाली क्षति का सामना करना पड़ सकता है। आचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि वर्ष के मंत्री मंगल का फल 'अवनिजो ननु मन्त्री पदम् गतो भवति दस्यु गदादिज वेदना।' अर्थात जनता में पारस्परिक सद्भाव और विश्वास का अभाव रहेगा। संक्रामक रोगों का दुष्प्रभाव बढ़ेगा। सत्ता सीन नेताओं के प्रभाव में वृद्धि होगी।
समय निवास का फल : इस वर्ष के समय का वास रजक के घर में है । अतः जल की प्रचुरता रहेगी । जल विद्युत परियोजनाएँ प्रगति करेंगी ।
समय के वाहन का फल : वाहन वृषभ है जिसके प्रभाव से यातायात क्षेत्र की योजनाओं को तेज़ी से गति मिलेगी । सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाएगा ।
वर्ष लग्न फल : वर्ष लग्न के फल से विश्व में आर्थिक मंदी का दौर जारी रहेगा । अन्तरिक्ष तकनीक, अस्त्र-शस्त्र, परमाणु ऊर्जा आदि के क्षेत्र में वैज्ञानिक नये आयाम रचेंगे ।
आचार्य आनंद दुबे ने बताया कि चीन की नीतियों के कारण विश्व में तनाव बढ़ेगा । नयी समस्याएं उत्पन्न होंगी ।पश्चिमी सीमा से सटे हुए राष्ट्र में सत्ता परिवर्तन होगा । विभाजन की स्थिति भी सम्भव है ।विश्व में युद्ध भी होंगे । भारत के शासक एक से अधिक नए निर्णय लेंगे।