Vijay Diwas: जब LMG ने मार गिराया था पाक का लड़ाकू विमान, लखनऊ के जांबाजों ने लिखी थी विजय गाथा
Vijay Diwas सन् 1971 के भारत-पाक युद्ध में लखनऊ के नायकों ने अपने शौर्य का प्रदर्शन किया था। आज भी शहीद कॉलोनी में सुनाए जाते हैं जांबाजी के किस्से। इस ऐतिहासिक विजय को हर साल 16 दिसंबर को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।
लखनऊ [निशांत यादव]। Vijay Diwas: सात दिसंबर 1971 वह दिन था। जब पाकिस्तानी लड़ाकू विमान पश्चिमी मोर्चे के पुल बजुआन क्षेत्र में बमबारी कर रहे थे। वहां लखनऊ की 1/11 गोरखा राइफल्स रेजीमेंटल सेंटर की जांबाज टुकड़ी मोर्चा संभाले थी। राइफलमैन धन बहादुर राई अपनी लाइट मशीन गन (एलएमजी) से दुश्मनों पर भारी पड़ थे। इस बीच उनकी रेंज में एक पाकिस्तानी लड़ाकू विमान आ गया। राइफलमैन धन बहादुर राई ने उसे अपने अचूक निशाने से जमीन पर गिरा दिया। गोरखा राइफल की हाउस मैगजीन में दर्ज उपलब्धि यह बताती है कि ऐसा पहली बार हुआ था, जब किसी लड़ाकू विमान को एलएमजी ने मार गिराया था। बुधवार को 1971 के भारत-पाक युद्ध के 49 साल पूरे हो जाएंगे। इस ऐतिहासिक विजय को हर साल 16 दिसंबर को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।
सन् 1971 के युद्ध में लखनऊ के नायकों ने अपने शौर्य का प्रदर्शन किया था। उफनाती नदी के बीच पूर्वी सेक्टर में भारतीय सेना लगातार आगे बढ़ती रही। इस युद्ध में शहर के सात जांबाज बलिदानी हुए थे। वहीं, 23 जांबाज बारूदी सुरंग फटने से घायल हुए थे। इन वीरों की याद में छावनी के मंगल पांडेय रोड पर शहीद कॉलोनी भी बनाई गई। जहां अब उनकी यादें ही रह गई हैं।
वीरता के आगे पाक ने घुटने टेके
एयर चीफ मार्शल स्वरूप कृष्ण कौल
लखनऊ के कश्मीरी मुहल्ले में 20 दिसंबर 1934 को जन्म लेने वाले एयर चीफ मार्शल (अवकाशप्राप्त) स्वरूप कृष्ण कौल ने सन 1971 के भारत-पाक युद्ध में कोमिल्ला, सिलहट और सैदपुर में 200 मीटर करीब तक आकर दुश्मन पर अपने लड़ाकू विमान से बमबारी की। तेजगांव और कुरमटोला की टोह लेने के बाद ढाका में पाकिस्तान के चार लड़ाकू विमानों को मार गिराया।
कर्नल एके सक्सेना
फ्लाइंग ऑफिसर गुंजन सक्सेना के पिता कर्नल एके सक्सेना ने 1971 के युद्ध में अमृतसर में मोर्चा संभाला है। उन्होंने भारतीय सेना के टैंकों की दुश्मन के क्षेत्र में आपूर्ति में अहम भूमिका निभायी। गुंजन पर अभी पिछले दिनों फिल्म भी बनी है।
विंग कमांडर एचएस गिल
इस जांबाज ने पश्चिमी क्षेत्र में फाइटर स्क्वाड्रन को कमांड किया। वह 11 व 12 दिसंबर की पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों पर कहर बनकर टूट पड़े। रात दो पाकिस्तानी विमानों को मार गिराने के बाद उसकी संचार तंत्र यूनिट को तबाह किया, हालांकि इस ऑपरेशन में उनका विमान दुश्मन की एंटी एयरक्राफ्ट गन के हमले से नष्ट हो गया और वह वीर गति को प्राप्त हुए।
जीएस खनका
सिपाही गंभीर सिंह खनका ने कुंबला सेक्टर में अपनी कुमाऊं रेजीमेंट के साथ मोर्चा लिया। वह सात रेजीमेंट की टुकड़ी को कवर देते हुए आगे बढ़ रहे थे। सात दिसंबर की रात रास्ता साफ न होने पर उन्होंने उफनाती नदी को पार किया। संजना मार्केट में पाकिस्तानी सेना से आमने सामने की लड़ाई हुई। एक बारूदी सुरंग फटने से जीएस खनका घायल हो गए।
पाकिस्तान को खदेड़ा
सूबेदार मेजर पान सिंह तोमर ने ढाका के पिनहार में पाकिस्तानी सेना को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया था। पिनहार तक पहुंचने के लिए पान सिंह तोमर की टुकड़ी को उफनाती नदियों के बीच से गुजरना पड़ा। एक पुल क्षतिग्रस्त हुआ तो पैदल कई दिनों तक चलकर वह पिनहार पहुंचे थे।
नायक बने राजा सिंह
सेना 21 राजपूत इंफेंट्री की एक प्लाटून की कमान कर रहे नायक राजा सिंह ने 26 नवंबर 1971 को पूर्वी पाकिस्तान के फकी राहत पुल को पाकिस्तानी सेना के कब्जे मुक्त कराया। वह टुकड़ी साथ आगे का रास्ता बनाते हुए बढ़ रहे थे। इस बीच सिर में एक गोली लगने से वह बलिदानी हो गए। उनकी वीरता के लिए नायक राजा सिंह को परमवीर चक्र मरणोपरांत की संस्तुति उनके कमांडिंग अधिकारी ले. कर्नल एएस अहलावत ने 17 दिसंबर 1971 को किया था। उनको वीर चक्र मिला।
यह हुए बलिदानी
- गार्डमैन मोहम्मदीन
- नायक मोहन सिंह सेना मेडल
- सीएफएन पीएन मिश्र
- हवलदार गोपाल दत्त जोशी
- पेटी ऑफिसर अमृत लाल
- विंग कमांडर एचएस गिल वीर चक्र
- पैराट्रूपर आनंद सिंह विष्ट सेना मेडल
यह हुए थे युद्ध दिव्यांग
- सिपाही कुंडल सिंह
- सिपाही आन सिंह
- सूबेदार पान सिंह तोमर
- सिपाही अजवीर सिंह यादव
- सिपाही चंदर सिंह
- नायक मदन सिंह रावत
- सिपाही अजयपाल शर्मा
- एसडब्ल्यूआर शेख गुलाम मुस्तफा
- सिपाही तुलसीराम
- सिपाही जीएस खनका
- लांस नायक एसडी बहुगुणा
- सिपाही डीसी भट्ट
- नायक शेर सिंह
- पैराट्रूपर जगन्नाथ सिंह
- कैप्टन अरुण कुमार उप्रेती
- नायक यादराम
- सिपाही हरसुख सिंह
- सिपाही दिलीप सिंह
- सिपाही अबुल हसन खां
- सिपाही सज्जन शरण सिंह
- सिपाही रमाशंकर
- हवलदार फखरे आलम खां
- हवलदार कुंवर सिंह चौधरी