Move to Jagran APP

Vigyan Bharti : विज्ञान भारती के अधिवेशन में सीएम योगी आदित्यनाथ बोले- ज्ञान जहां से भी आए, उसके लिए अपनी दृष्टि को खुला रखिए; यही है भारतीय दृष्टि

National Conference Of Vigyan Bharti इतने वैज्ञानिक दृष्टिकोण होने के बावजूद हम पिछड़े क्यों। सबसे बड़ा कारण कि हमने ज्ञान को धार्मिक आधार पर स्वीकार किया लेकिन उसे वैज्ञानिक रूप से नहीं सोच पाए। हमारी चीजों को वैज्ञानिक दृष्टि से देखने की आदत नहीं रही है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Sat, 25 Jun 2022 01:56 PM (IST)Updated: Sat, 25 Jun 2022 05:03 PM (IST)
Vigyan Bharti : विज्ञान भारती के अधिवेशन में सीएम योगी आदित्यनाथ बोले- ज्ञान जहां से भी आए, उसके लिए अपनी दृष्टि को खुला रखिए; यही है भारतीय दृष्टि
National Conference Of Vigyan Bharti : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

लखनऊ, जेएनएन। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को लखनऊ में विज्ञान भारती के राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया। डाक्टर अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय (एकेटीयू) में आयोजित अधिवेशन में सीएम योगी आदित्यनाथ ने लोकतंत्र सेनानियों को भी नमन किया।

loksabha election banner

विज्ञान भारती के राष्ट्रीय सम्मेलन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ज्ञान की कोई सीमा नहीं है। ज्ञान जहां से भी आए अपनी दृष्टि खुली रखें और उसको स्वीकार करें। विज्ञान ने हर तरफ विकास कार्य में बड़ी मदद की है। इसका भी श्रेय प्राचीन भारत के मनीषियों को है। जिनकी एक वैज्ञानिक सोच और दृष्टिकोण ने हमको अच्छी सीख दी। मनीषियों ने ही कहा कि कोई भी चीज नष्ट नहीं होती है उसका स्वरूप बदल जाता है। उन्होंने कहा कि केवल मनुष्य और प्राणी में ही नहीं बल्कि हर जन्तु और पेंड-पौधों में भी संवेदनाएं होती है। दुनिया को यह दृष्टि भारतीय वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बसु जो एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भी थे, ने दी थी।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि मैं वैज्ञानिकों से आग्रह करूंगा कि जिस क्षेत्र में आप हैं उसमें लिखने की आदत डालिए, सही जानकारी लिखिए, फिर उस पर चर्चा कीजिए। अपने रिसर्च पब्लिकेशन को आगे बढ़ाने का प्रयास करिए। उन्होंने कहा कि पांच हजार वर्ष पहले गीता का संदेश जितना प्रासंगिक था, आज भी उसका महत्व उसी रूप में है। हम पिछड़े कैसे, क्योंकि हमने अपने ज्ञान को धार्मिक दृष्टि से तो अंगीकार किया, लेकिन उसके व्यावहारिक स्वरूप को अंगीकार करने का प्रयास नहीं किया। अंग्रेजी तिथि में वैज्ञानिक दृष्टि का अभाव है, लेकिन विक्रम संवत में वैज्ञानिक दृष्टि निहित है। ज्ञान जहां से भी आए, उसके लिए अपनी दृष्टि को खुला रखिए, यही भारतीय दृष्टि है, यह अपने आप में एक वैज्ञानिक दृष्टि है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति और परंपरा की आधार भूमि और उसका हृदय स्थल कहे जाने वाले उत्तर प्रदेश में स्वदेशी ज्ञान-विज्ञान की परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए निरंतर क्रियाशील विज्ञान भारती के पांचवें अधिवेशन का आयोजन होना एक सुखद अनुभूति कराता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज हम अंग्रेजी कैलेंडर से भले ही कोई काम करते हैं, लेकिन मांगलिक कार्यक्रम आज भी पंचांग से ही करते हैं। पंचांग पूरी तरह से वैज्ञानिक है। उन्होंने श्रीमद् भागवत गीता को वैज्ञानिक और प्रासंगिक बताया। उन्होंने कहा कि इतने वैज्ञानिक दृष्टिकोण होने के बावजूद हम पिछड़े क्यों। इसका सबसे बड़ा कारण कि हमने अपने ज्ञान को धार्मिक आधार पर स्वीकार किया लेकिन उसे वैज्ञानिक रूप से नहीं सोच पाए। हमारी चीजों को वैज्ञानिक दृष्टि से देखने की आदत नहीं रही है। उन्होंने टिप्पणी की कि विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट बनना चाहते हैं। एसोसिएट, प्रोफेसर बनना चाहते हैं । प्रोफेसर कुलपति बनना चाहते हैं और कुलपति बनने के बाद कहीं और जाना चाहते हैं। इसकी जगह शिक्षकों को वैज्ञानिक सोच और दृष्टि रखने की जरूरत है। वह अपने शोध को सामने रखें उसे प्रकाशित करें। उन्होंने इस दौरान चिकित्सकों पर भी टिप्पणी करते हुए कहा चिकित्सक हर मरीज को एक जैसे ढर्रे पर देखते हैं। उनको भी पता है कि हर मरीज की प्रकृति दूसरी है। वह उसको अलग-अलग तरीके से देखकर अपने अनुभव को और विस्तार दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद को कम महत्व दिया जा रहा था, लेकिन कोरोना ने आयुर्वेद को सिद्ध किया और लोगों ने काढ़ा पीना शुरू किया। उन्होंने शिक्षाविदों तथा वैज्ञानिकों का आह्वान किया कि वह अपने ज्ञान को लिपिबद्ध करें। नेशनल और इंटरनेशनल जर्नल में प्रकाशित करें।

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति वैज्ञानिक दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने वाली है। आज तो हमारे पास संसाधन की कमी नहीं है, बस मजबूत इच्छाशक्ति की कमी है। दो दिन के इस अधिवेशन में वैज्ञानिक दृष्टिकोण और नवाचार को लेकर शिक्षाविद और वैज्ञानिक चर्चा भी करेंगे, और एक प्रस्ताव भी पास करेंगे। अधिवेशन में पोस्टर प्रदर्शनी भी लगाई गई है । जिसमें प्राचीन भारतीय मनीषियों के आविष्कार और उनके योगदान को दर्शाया गया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.