विजय दिवस : ...वतन पर मिटने वालों का यही बाकी निशां होगा Lucknow news
धूमिल हो रही 1971 के भारत-पाक युद्ध के जांबाजों की स्मृति आज भी शहीद कॉलोनी में रहता है जांबाजों का परिवार
लखनऊ [निशांत यादव]। पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में सिपाही अजयपाल शर्मा अपनी जान की परवाह किए बिना ही बारूदी सुरंग के ऊपर चलकर साथियों के साथ दुश्मन के करीब तक पहुंचे। उफनाती नदियां भी जांबाजों का रास्ता नहीं रोक सकीं। अजय पाल शर्मा अब दिवंगत हो गए हैं। उनकी शौर्यगाथा आज भी छावनी की उस शहीद कॉलोनी में जीवंत है, जहां उनके जैसे 16 जांबाजों का परिवार रहता है।
सन 1971 में भारत-पाक युद्ध के दौरान शहर के जांबाजों ने अपने पराक्रम से पाकिस्तान को नतमस्तक कर दिया था। पाकिस्तानी सेना ने 16 दिसंबर को आत्मसमर्पण कर दिया। युद्ध में शहर के सात जांबाज शहीद हो गए। जबकि, 23 जांबाज बारूदी सुरंग फटने और गोलीबारी में घायल हुए। इन जांबाजों के लिए 1972 में शहीद कॉलोनी बनाई गई थी। हालांकि, अब भी शहीदों के परिवारीजनों को इन घरों का स्वामित्व नहीं मिल सका है।
बंकर खाली कराया
बांग्लादेश में ढाका के करीब सिपाही अजवीर सिंह यादव ने अपनी यूनिट के साथ धावा बोलकर पाकिस्तानी सेना के कब्जे से एक बंकर खाली कराया था। सिपाही अजवीर सिंह यादव की पत्नी राजकुमारी और पुत्र सर्वेश सिंह यादव व राकेश सिंह यादव सहित आठ सदस्यों का परिवार है।
बारूदी सुरंग भी न डिगा सकी
ब्रिगेड ऑफ गाड्र्स रेजीमेंट की आठवीं बटालियन के सिपाही अजय पाल शर्मा की टुकड़ी 23 नवंबर 1971 को हिल्ली सेक्टर की नावापाड़ा चौकी पर कब्जा करने के लिए आगे बढ़ी। बारूदी सुरंग के विस्फोट से उनका दाहिने पैर का घुटने तक का हिस्सा उड़ गया था। सिपाही अजय पाल शर्मा का पिछले साल देहांत हो गया।
पाकिस्तान को खदेड़ा
ढाका के पिनहार में पाकिस्तानी सेना को खदेडऩे में सूबेदार मेजर पान सिंह तोमर ने अहम भूमिका निभाई थी। पिनहार तक पहुंचने के लिए पान सिंह तोमर को उफनाती नदियों के बीच से गुजरना पड़ा। एक पुल क्षतिग्रस्त हुआ तो पैदल कई दिनों तक चलकर वह पिनहार पहुंचे थे।
मिला वीरता पदक
21 राजपूत इंफेंट्री की एक प्लाटून की कमान संभालते हुए नायक राजा सिंह 26 नवंबर 1971 को पूर्वी पाकिस्तान के फकी राहत पुल को पाकिस्तानी सेना के कब्जे से हटाते हुए आगे बढ़ रहे थे। उनकी टुकड़ी ने पुल से पाकिस्तानी कब्जे को हटाकर भारतीय सेना के लिए आगे का रास्ता बनाया। इस बीच सिर में एक गोली लगने से वह शहीद हो गए। उनकी वीरता के लिए नायक राजा सिंह को परमवीर चक्र (मरणोपरांत) की संस्तुति उनके कमांडिंग अधिकारी ले. कर्नल एएस अहलावत ने 17 दिसंबर 1971 से की थी। उनको वीर चक्र प्रदान किया गया।
आसमान में बिखेरा जलवा
एयर चीफ मार्शल सेवानिवृत्त स्वरूप कृष्ण कौल (तब विंग कमांडर) ने बमवर्षक स्क्वाड्रन के साथ कोमिल्ला, सिलहट और सैदपुर से शत्रु क्षेत्रों के फोटो महज 200 फीट की ऊंचाई से भारी गोलीबारी के बीच लिए। उन्होंने तेजगांव और कुरमटोला हवाई अड्डों के ऊपर भी टोह लेने का काम पूरा किया। ढाका में पाकिस्तान के चार विमानों को मार गिराया। जबकि, विंग कमांडर एचएस गिल ने पश्चिमी क्षेत्र में तीन से 13 दिसंबर तक कई सफल ऑपरेशन किए। विंग कमांडर गिल ने 11 और 12 दिसंबर को दो पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों एफ-104 को मार गिराया। पाकिस्तान में सिग्नल यूनिट को उड़ाकर वहां की संचार प्रणाली को ध्वस्त कर दिया। हालांकि पाकिस्तानी एयर क्राफ्ट गन ने उनके विमान को निशाना बना दिया और वह वीर गति को प्राप्त हुए।
सन 1971 में भारत-पाक युद्ध में इन्होंने दी थी शहादत
- शहीद गार्डमैन मोहम्मदीन
- शहीद नायक मोहन सिंह (सेना मेडल)
- शहीद सीएफएन पीएन मिश्र
- शहीद हवलदार गोपाल दत्त जोशी
- शहीद पेटी ऑफिसर अमृत लाल
- शहीद विंग कमांडर एचएस गिल (वीर चक्र)
- शहीद पैराट्रूपर आनंद सिंह विष्ट (सेना मेडल)
युद्ध में यह हुए थे युद्ध दिव्यांग
- सिपाही कुंडल सिंह
- सिपाही आन सिंह
- सूबेदार पान सिंह तोमर
- सिपाही अजवीर सिंह यादव
- सिपाही चंदर सिंह
- नायक मदन सिंह रावत
- सिपाही अजयपाल शर्मा
- एसडब्ल्यूआर शेख गुलाम मुस्तफा
- सिपाही तुलसीराम
- सिपाही जीएस खनका
- लांस नायक एसडी बहुगुणा
- सिपाही डीसी भट्ट
- नायक शेर सिंह
- पैराट्रूपर जगन्नाथ सिंह
- कैप्टन अरुण कुमार उप्रेती
- नायक यादराम
- सिपाही हरसुख सिंह
- सिपाही दिलीप सिंह
- सिपाही अबुल हसन खां
- सिपाही सज्जन शरण सिंह
- सिपाही रमाशंकर
- हवलदार फखरे आलम खां
- हवलदार कुंवर सिंह चौधरी