KGMU में VC के चार्ज को लेकर कयास तेज, PGI-लोहिया के निदेशक को मिल सकती है कमान
लखनऊ 14 को समाप्त हो रहा है कार्यकाल सोमवार को हो सकता है फैसला। पीजीआइ-लोहिया के निदेशक को जिम्मेदारी देने पर भी मंथन।
लखनऊ, जेएनएन। केजीएमयू में कुलपति का कार्यकाल कुछ ही दिनों का बचा है। ऐसे में पद के चार्ज को लेकर कयास तेज हो गए हैं। सभी की निगाहें राजभवन पर टिकी हैं। नए कुलपति का कार्यभार वरिष्ठतम प्रोफेसर या फिर पीजीआइ-लोहिया संस्थान के निदेशक को अतिरिक्त कार्यभार सौंपने पर भी मंथन चल रहा है। इसमें लोहिया संस्थान के निदेशक डॉ. एके त्रिपाठी का पलड़ा भारी पड़ रहा है। कारण, उनका केजीएमयू का पुराना अनुभव होना है। उन्होंने वषों तक जहां मेडिसिन विभाग में नौकरी की, वहीं हिमेटोलॉजी विभाग के एचओडी भी रहे।
केजीएमयू में वर्तमान कुलपति प्रो. एमएल बी भट्ट का कार्यकाल पूरा हो रहा है। 14 अप्रैल को उनके तीन वर्ष पूरे हो जाएंगे। वहीं, नए कुलपति के लिए कई दावेदारों ने भी ताल ठोंक रखी है। संस्थान के चिकित्सकों के अलावा दूसरे राज्यों के भी प्रोफेसरों ने कुलपति पद पर दावा ठोंका है। करीब 27 लोगों ने आवेदन किया है। वहीं, कोरोना के कहर के बीच नए कुलपति के चयन पर संदेह जताया जा रहा है।
लविवि की तरह कुल सचिव को कार्यभार देने के कयास
दरअसल, लखनऊ विश्वविद्यालय में कुलपति की नियुक्ति फाइनल न होने तक कुल सचिव को कार्यभार दे दिया गया था। ऐसे में केजीएमयू में भी कुल सचिव को चार्ज देने के कयास लगाए जा रहे हैं। हालांकि केजीएमयू को लेकर राजभवन को स्थाई कुलपति के लिए जल्द फैसला लेना होगा।
कार्यकाल विस्तार की जोर आजमाइश
वर्तमान कुलपति के कार्यकाल के विस्तार को लेकर भी चर्चा गर्म हैं। चिकित्सकों के मुताबिक साहब का प्रयास जारी है। कुछ दिन का कार्य विस्तार दिया जा सकता है। मगर, केजीएमयू में पिछले कुलपतियों को काफी प्रयास के बाद भी कार्य विस्तार नहीं मिला है। अब राजभवन का फैसला सोमवार तक जाएगा। वहीं राजभवन व शासन में कुलपति को लेकर कई पत्र लिखे जा चुके हैं। इसमें किसी वरिष्ठ शिक्षक या योग्य अधिकारी को चार्ज सौंपने की मांग की गई है। इस दौरान कई शिकायती पत्र भी संलग्न किए गए है।