गरमाएगा मंदिर मुद्दाः विहिप को चुनावी घोषणा के पहले चाहिए राम मंदिर
लोकसभा चुनाव से पहले मंदिर मुद्दा गरमाएगा। विहिप का साफ कहना है कि हमें मंदिर से नीचे कुछ भी मंजूर नहीं है वह भी चुनाव की घोषणा के पहले।
लखनऊ (जेएनएन)। लोकसभा चुनाव से पहले मंदिर मुद्दा और गरमाएगा। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) का साफ कहना है कि हमें मंदिर से नीचे कुछ भी मंजूर नहीं है वह भी चुनाव की घोषणा के पहले। शिवसेना भी इस मुद्दे को उठाने में जुटी है। संतों समेत मंदिर आंदोलन से जुड़े कई नेताओं का भी सुर यही है।दिल्ली में पांच अक्टूबर को हुई मंदिर उच्चाधिकार समिति की बैठक में विहिप और इससे जुड़े संत अपनी कार्ययोजना की घोषणा कर चुके हैं। 15 अक्टूबर के बाद से हर राज्य में राज्यपाल को ज्ञापन देने से इसकी शुरुआत भी हो जाएगी। नवंबर में हर संसदीय क्षेत्र में विहिप कार्यकर्ता और संत अयोध्या में मंदिर निर्माण का संकल्प लेंगे। दिसंबर में इसी मकसद से देश भर के प्रमुख धार्मिक स्थलों पर यज्ञ, पूजा और अनुष्ठान होंगे। इलाहाबाद के कुंभ में धर्म संसद में भी इस पर विचार होगा।
अयोध्या आ सकते उद्धव
विहिप के इस एजेंडे के अलावा और लोग भी मंदिर को लेकर अपने-अपने राजनीतिक लाभ-हानि के हिसाब से आंदोलन और बयान देने में जुटे हैं। शिवसेना इसके लिए अयोध्या में उद्धव ठाकरे को लाने की तैयारी कर रही है। शिवसेना के सांसद संजय राउत माहौल का जायजा लेने और मंदिर के बारे में सेना का रुख साफ करने यहां चुके हैं। राउत ने कहा था कि आरक्षण में पदोन्नति और एसएसटी एक्ट के लिए कानून आ सकता है तो करोड़ों हिंदुओं की आस्था से जुड़े राम मंदिर पर क्यों नहीं?
डॉ.तोगडिय़ा की सक्रियता बढ़ी
विहिप के पूर्व अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ.प्रवीण तोगडिय़ा कुछ माह के अंतराल पर अयोध्या और लखनऊ में सुर्खियां बन रहे हैं। उनके भी सुर विहिप जैसे ही है। विहिप के लोग भले ही खुलकर डॉ.तोगडिय़ा के साथ न हों, पर अंदरखानें संगठन में उनसे सहानुभूति रखने वाले बहुत हैं। यह वही लोग हैं जो मंदिर मुद्दे पर भाजपा के रुख से असहमत हैं। इस मुद्दे पर अयोध्या के तपस्वी छावनी के संत स्वामी परमहंस दास आमरण अनशन के जरिये सबका ध्यान अपनी ओर खींच चुके हैैं। अयोध्या पहुंचने के बाद वह दिसंबर में असहयोग आंदोलन और चुनावी आचार संहिता लागू होने के पहले मंदिर निर्माण न शुरू होने पर आत्मदाह की चेतावनी भी दे चुके हैं। राम जन्मभूमि न्यास के वरिष्ठ सदस्य डॉ रामविलास दास वेदांती भी उनकी बातों से सहमति जता चुके हैं।
असमंजस में सरकार
सरकार का रुख इस पर साफ नहीं है। अधिकांश नेता सुप्रीम कोर्ट के फैसले की प्रतीक्षा के पक्षधर हैं, पर हाल ही प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने यह कहकर चौंकाया कि मंदिर के लिए कानून भी एक विकल्प है। ऐसे में मंदिर बने या नहीं, माहौल जरूर बनेगा। विहिप अवध क्षेत्र के प्रांत प्रचारक भोलेंद्र ने कहा कि उम्मीदों वाली इस सरकार ने हिंदू समाज को कुछ नहीं दिया। कम से कम करोड़ों हिंदुओं के आस्था का केंद्र राम मंदिर तो दे दे। इसके लिए हिंदू समाज अब और प्रतीक्षा नहीं कर सकता।