कुलपति फोरम: केंद्रीय उच्च शिक्षा राज्य मंत्री महेंद्र नाथ से सवाल-जवाब
जागरण के कुलपति फोरम में कौंधते सवालों को संतुष्ट करते रहे केंद्रीय उच्च शिक्षा राज्यमंत्री महेंद्रनाथ पांडेय के यथोचित जवाब।
लखनऊ (जेएनएन)। जगह-जगह कुकुरमुत्ते की तरह विद्यालय-महाविद्यालय, गांव और शहर की अलग-अलग शिक्षा व्यवस्था, स्ववित्त पोषित विद्यालयों की नियमावली, शिक्षकों का मनरेगा मजदूर से कम वेतन, शिक्षक प्रमोशन का अधर में लटके रहना जैसे तमाम सवाल आज जागरण के कुलपति फोरम में कौंधते रहे। केंद्रीय उच्च शिक्षा राज्यमंत्री महेंद्रनाथ पांडेय ने यथोचित जवाब दिए।
शिक्षा में गुणवत्ता की कमी पर मंथन कर सुधार का संकल्प
- सवाल : नैक के अंतर्गत मानव संसाधन विकास मंत्रालय क्या गांव और शहर की शिक्षा व्यवस्था अलग-अलग करने पर विचार कर रहा है? रूसा (राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान) के अन्तर्गत मानीटरिंग नहीं की जा रही है। महाविद्यालयों को सहयोग भी नहीं मिल रहा है? क्या मानव संसाधन विकास मंत्रालय इसकी मानीटरिंग करेगा?
(विवेक कानपुर)
जवाब : नैक शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए है। कॉलेजों की ग्रेडिंग कर उनका मूल्यांकन किया जाता है। फिलहाल इसे अलग करने का कोई विचार नहीं है। राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के तहत सभी कॉलेजों को मदद दी जा रही है। अगर कहीं पर मदद नहीं मिली तो उसकी कोई समस्या रही होगी।
- सवाल : सेल्फ फाइनेंस शिक्षकों के लिए कोई नियमावली नहीं है। विश्व विद्यालय मनमानी से प्राइवेट कॉलेज खोलने की मान्यता देते चले जा रहे हैं, लेकिन शिक्षकों की कोई चिंता नहीं करते है। शिक्षकों का वेतन मनरेगा के मजदूर और माली से भी कम है। हमारी स्थिति दयनीय है, क्या सरकार इस पर ध्यान देगी? (डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र)
जवाब : मैं आपके दर्द से वाकिफ हूं। विसंगतियां जरूर हैं उनको दूर करने का प्रयास किया जाएगा। रही बात बड़ी संख्या में खुल रहे प्राइवेट कॉलेजों की। यह सही है कि कुकुरमुत्ते की तरह कॉलेज खुल रहे हैं इन पर लगाम लगायी जायेगी ताकि शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित नहीं हो। नयी शिक्षा नीति में सबको दायरे में लाया जाएगा।शिक्षकों को लेकर भी सरकार चिंतित है।
- सवाल : स्ववित्तपोषित कॉलेजों का शिक्षा के प्रसार में बड़ा योगदान है। राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के तहत इन कॉलेजों के लिए क्या प्रोवीजन है। (विनय त्रिवेदी)
जवाब : बेशक स्ववित्तपोषित कॉलेजों का योगदान है। सरकार की मंशा साफ है कि कॉलेजों के बीच प्रतिस्पर्धा हो जिससे गुणवत्ता बढ़े। नयी नीति में इन तमाम बिंदुओं को समाहित किया जाएगा ताकि सुनियोजित तरीके से स्ववित्तपोषित कॉलेज भी बराबर से योगदान दें सकें।
- सवाल : शिक्षकों के प्रमोशन लंबे समय तक लटके रहते हैं (धु्रव त्रिपाठी)
जवाब : प्रमोशन में जहां पर किसी तह की विसंगतियां होगी उनको दूर किया जाएगा।