एक्सपायरी डेट के सिलिंडर में रिसाव से लगी आग, एक की मौत
लखनऊ। वाराणसी के भेलूपुर थाना क्षेत्र के एक घर में गैस रिसाव से लगी आग से एक बच्चे की मौत हो
लखनऊ। वाराणसी के भेलूपुर थाना क्षेत्र के बड़ी गैबी आज सुबह करीब 25 वर्ष पुराने एक्सपायरी डेट के गैस सिलिंडर से हुई गैस रिसाव के चलते आग लग गई। इस आग में गंभीर रूप से झुलसे डेढ़ वर्षीय मासूम रिताशु की मौत हो गई जबकि माता-पिता, बहन और मामा समेत छह लोग गंभीर रूप से झुलस गएं। झुलसे लोगों को पुलिस ने क्षेत्रीय लोगों की मदद से मंडलीय अस्पताल कबीरचौरा में भर्ती कराया है। डाक्टरों के मुताबिक आग की चपेट में आने से छह लोगों में से तीन की हालत गंभीर बनी है।
चंदौली के कटियापुर गाव निवासी राजेंद्र चौहान परिवार के साथ बड़ी गैबी में एक किराये के मकान में रहते हैं। सात वर्ष से राजेंद्र यहा रहकर राजगीर का काम करते हैं। आज सुबह राजेंद्र चौहान हर्ष गैस एजेंसी महमूरगंज पहुंचे और बुकिंग के आधार पर मिला गैस सिलिंडर लेकर वापस लौटे। रसोई में पत्नी चूल्हे पर भोजन बना रही थी। इस दौरान सिलिंडर बदलने के लिए राजेंद्र ने 'यों ही उसकी सील तोड़ी, उसमें से तेजी से गैस रिसने लगी। जब तक राजेंद्र व पत्नी कुछ समझते, पहले से जल रहे चूल्हे की आग तक गैस पहुंच गई और देखते ही देखते पूरे कमरे में आग फैल गई। रसोई में मौजूद राजेंद्र का डेढ़ वर्षीय बेटा रिताशु और पाच वर्ष की बेटी रेखा आग की चपेट में आ गए। दंपती शोर मचाते हुए ब'चों को बचाने के लिए आग में कूद पड़े। दूसरे कमरे में मौजूद राजेंद्र के साले हरिओम व साथ में काम करने वाला एक और राजगीर संजीव भी आग की लपटों में कूद पड़े। शोर सुनकर बगल में रहने वाले अन्य किरायेदार लालबहादुर भी आ गए। आग की लपटें देखकर अगल-बगल हड़कंप मच गया। पड़ोस में रहने वालों ने फायर ब्रिगेड को सूचना दी और मदद के लिए भागे। कमरे में पानी, बालू फेंककर किसी तरह आग पर काबू पाया। गनीमत थी कि सिलिंडर में विस्फोट नहीं हुआ वरना कई जानें जा सकती थी। बाद में क्षेत्रीय लोगों ने सिलिंडर को तालाब में ले जाकर फेंक दिया। सूचना मिलने पर एसपी समेत कई आला अधिकारी मौके पर पहुंचे थे।
आग इतनी भयानक थी कि डेढ़ वर्ष के रिताशु ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। 30 वर्षीय राजेंद्र, 28 वर्षीय मिंता देवी, हरिओम, संजीव, रेखा और किरायेदार को पुलिस ने एंबुलेंस से कबीरचौरा अस्पताल में भर्ती करवाया। आग की चपेट में आने से बुरी तरह झुलसे राजेंद्र व मिंता देवी की आखों के सामने सुबह का भयावह मंजर बार-बार आ रहा था, उनकी आखें सब कुछ कह रही थीं मगर दोनों ही बोल पाने की स्थिति में नहीं थे।
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मार्केट में कैसे आया यह सिलिंडर
घटना का कारण बना गैस सिलिंडर इंडियन ऑयल कारपोरेशन का है। इसपर खुदी तारीख बताती है कि ये अगस्त 1990 को बना था। कंपनी के क्षेत्रीय प्रबंधक राजीव रंजन के अनुसार 2000 के पहले बने सिलिंडरों को सात और 2000 के बाद बने सिलिंडरों को दस वर्ष बाद कबाड़ घोषित कर नष्ट कर दिया जाता है, री-साइकिलिंग की जाती है। इस नियम के तहत उक्त सिलिंडर को तो मार्केट में ही नहीं होना चाहिए था। श्री रंजन के अनुसार मामला गंभीर है और जाच की जा रही है कि उक्त सिलिंडर इतने बैरियर्स को तोड़ मार्केट में पहुंचा कैसे।