बिना इंजन की ट्रेन दौड़ाने का सपना हुआ पूरा, 220 किमी प्रति घंटे से चलेगी 'वंदे भारत' Lucknow News
वंदे भारत ट्रेन 18 बनाने में आई कठिनाइयों को आइसीएफ चेन्नई के सेवानिवृत्त जीएम सुधांशु मणि ने किया साझा।
लखनऊ, जेएनएन। देश में यूरोपियन स्टाइल में बिना इंजन वाली ट्रेन को दौड़ाने का सपना वर्ष 1980 में देखा गया। यह सपना केवल 18 महीने में अक्टूबर 2018 में साकार हो सका। यह कम ही लोग जानते हैं कि देश की पहली बिना इंजन वाली सेमी हाई स्पीड ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस, जिसे ट्रेन 18 प्रोजेक्ट नाम दिया गया था, उसे इंटीग्रल कोच फैक्ट्री चेन्नई की मेहनतकश वेल्डर, फिटर महिला रेलकर्मियों ने मिलकर पूरा करने में अहम योगदान दिया। इस समय वंदे भारत एक्सप्रेस 180 किमी प्रति घंटे की गति से दौड़ सकती है। जबकि, इस ट्रेन की तकनीक में मामूली संशोधन कर इसे 220 किलोमीटर प्रतिघंटे की गति से दौड़ाया जा सकता है। यह जानकारी ट्रेन 18 के जनक आइसीएफ चेन्नई के सेवानिवृत्त जीएम सुधांशु मणि ने दी।
उत्तर प्रदेश इंजीनियर्स एसोसिएशन की ओर से लोक निर्माण विभाग के अंवेषणालय भवन में आयोजित व्याख्यान में सुधांशु मणि ने कहा कि अप्रैल 2017 में ऐसी ट्रेन बनाने को लेकर आइसीएफ के अधिकारियों के साथ मंथन किया गया। तब कोई भी इस प्रोजेक्ट में साथ आने को तैयार नहीं था। तत्कालीन सीआरबी ने मेरे प्रोजेक्ट को मंजूरी दी और 200 करोड़ रुपये का बजट दिया।
यूरोप की एक कंपनी को 22 करोड़ रुपये में ट्रेन 18 की डिजाइन का काम दिया। उस कंपनी को आइसीएफ बुलाकर पूरी डिजाइन पर अपने अधिकारियों के साथ काम किया गया। इसके बाद इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल और स्टोर अनुभाग के श्रेष्ठ अधिकारियों की टीम दिनभर इस काम में जुटनी शुरू हो गई। रात में कांफें्रस में सभी से उस दिन की प्रोग्रेस की डिटेल ली जाती थी। सुधांशु मणि ने बताया कि हाई स्पीड ट्रेन जापान जरूर दे रहा है, लेकिन उससे यह करार होना चाहिए कि वह भारत में आकर अपनी डिजाइन को साझा करे।