उत्तर प्रदेश में सेटेलाइट से होगी पराली जलाने की निगरानी, सिस्टम ने शुरू किया काम
सेटेलाइट की मदद से देखी जाएगी खेत में लगी आग, उप्र में प्रयोग शुरू। मोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर ने तैयार किया सिस्टम।
लखनऊ[रूमा सिन्हा]। जैसे जैसे पराली जल रही है, दिल्ली एनसीआर के साथ-साथ उत्तर प्रदेश, पंजाब व हरियाणा में एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) का ग्राफ चढ़ता जा रहा है। किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए तमाम उपायों के फेल होने के बाद अब सेटेलाइट (उपग्रह) के माध्यम से सतत निगरानी शुरू कर दी गई है। उत्तर प्रदेश में भी यह सिस्टम शुरू कर दिया गया है।
उत्तर प्रदेश रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर (आरएसएसी) ने क्रॉप रेजीड्यू ऑटोमेटेड बनिर्ंग मॉनीटरिंग सिस्टम बनाया है। इससे सेटेलाइट की मदद से यह पता लगाया जा रहा है कि किस खेत में कृषि अवशेष (पराली आदि) जलाया गया है। यही नहीं, यह सिस्टम गूगल मैप के जरिए ठीक उस स्थान तक पहुंचा देगा, जहां आग लगाई गई।
क्या है सीआरएबीएमएस: क्रॉप रेजीड्यू ऑटोमेटेड बनिर्ंग मॉनीटरिंग सिस्टम (सीआरएबीएमएस) में खेतों पर पराली या कृषि अवशेष जलाये जाने की सूचना प्रशासन एवं संबंधित अधिकारियों तक पहुंचाने के लिए उपग्रहीय आंकड़ों (मोडिस सेटेलाइट डेटा) का उपयोग सेंटर द्वारा किया जा रहा है। मोडिस सेटेलाइट डेटा 24 घंटों में तीन से पांच बार टेरा एवं एक्वा सेंसर्स द्वारा आग वाले स्थानों का अक्षांश-देशांतर सहित डेटा उपलब्ध कराता है। इसकी मदद से उस स्थान को जहां आग लगी होती है, चिन्हित किया जाता है। गूगल मैप एप्लीकेशन द्वारा उक्त स्थान की लोकेशन एवं रोड मैप लिंक करके मोबाइल द्वारा एसएमएस के माध्यम से संबंधित जनपदीय अधिकारियों को तत्काल सूचना भेज दी जाती है।
24 घंटे निगरानी
रिमोट सेंसिंग सेंटर के निदेशक डॉ. एएल हलधर बताते हैं कि इस मॉनीटरिंग सिस्टम का सेटअप विकसित कर लिया गया है। कृषि संसाधन विभाग के प्रभागाध्यक्ष डॉ. राजेश उपाध्याय व नोडल अधिकारी डॉ. एसपीएस जादौन बताते हैं कि यह सिस्टम 15 अक्टूबर से पूरी तरह एक्टिव हो जाएगा। जहां भी कहीं आग लगाई जाएगी, संबंधित क्षेत्र के जिलाधिकारी सहित अन्य अधिकारियों को एसएमएस पर जानकारी पहुंच जाएगी। यह सिस्टम 24 घंटे निगरानी करेगा।
दिल्ली तक पराली का धुआं आने से रोकें पंजाब-हरियाणा: केंद्र
पराली जलाने की शुरुआती घटनाओं से सतर्क केंद्र ने पंजाब और हरियाणा पर दबाव बढ़ा दिया है। हालांकि दोनों ही राज्यों ने पराली जलाने की घटनाओं में कमी का भरोसा तो दिया है, लेकिन शत-प्रतिशत रोक से हाथ खड़े कर दिए हैं। पंजाब ने पिछले साल के मुकाबले पराली जलाने की घटनाओं में करीब 60 फीसद की कमी, जबकि हरियाणा ने करीब 90 फीसद कमी का भरोसा दिया है। केंद्र ने दोनों राज्यों को दो-टूक समझा दिया है, ‘कुछ भी करो, लेकिन दिल्ली तक पराली का धुआं नहीं आना चाहिए।’