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उत्तर प्रदेश पर बोझ बने ब्रिटिश काल के बहुत से कानून खत्म होंगे

विधि मंत्री ब्रजेश पाठक ने बताया कि अप्रचलित और प्रदेश पर बोझ बने कानूनों की संख्या करीब एक हजार हो सकती है। इन्हें धीरे-धीरे खत्म किया जाएगा।

By Nawal MishraEdited By: Published: Tue, 30 Jan 2018 08:34 PM (IST)Updated: Wed, 31 Jan 2018 05:09 PM (IST)
उत्तर प्रदेश पर बोझ बने ब्रिटिश काल के बहुत से कानून खत्म होंगे
उत्तर प्रदेश पर बोझ बने ब्रिटिश काल के बहुत से कानून खत्म होंगे

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v style="text-align: justify;">लखनऊ (जेएनएन)। निवेश की  संभावनाओं को देखते प्रदेश सरकार ने ऐसे कानूनों को खत्म करने का फैसला किया है जो दस्तावेजों में बेवजह का बोझ बने है। यह कानून अंग्रेजों के शासनकाल में बने थे और भारतीय संविधान के अस्तित्व में आने के बाद इनकी अहमियत न के बराबर रह गई है। उत्तर प्रदेश में ऐसे कानूनों की संख्या लगभग एक हजार है जिन्हें योगी सरकार ने खत्म करने का फैसला किया है। इसके लिए सरकार विधेयक लाएगी। जिन कानूनों को खत्म करने का फैसला किया है, उनमें बड़ी संख्या 1902 में ब्रिटिश शासनकाल में गठित संयुक्त प्रांत (यूनाइटेड प्राविंस) में बनाये गए थे। आजादी के बाद इन कानूनों के स्थान पर दूसरे कानून बनते रहे और धीरे-धीरे ये बेकार और अप्रचलित होते गए। फिर भी प्रदेश की सरकारों ने इन्हें खत्म करने पर ध्यान नहीं दिया।

हर दिन एक कानून खत्म होगा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा कि हर दिन एक कानून खत्म किया जाएगा, राष्ट्रीय विधि आयोग ने इसकी समीक्षा की तो निष्कर्ष सामने आया कि वर्तमान में बहुत से कानूनों की जरूरत नहीं रह गई है। राज्य विधि मंत्री ब्रजेश पाठक के अनुसार विधि आयोग ने सभी राज्यों को सलाह दी थी कि अनुप्रयुक्त हो चुक कानूनों को खत्म किया जाए। इस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर सभी प्रशासकीय विभागों से इनकी सूची मांगी गई है। लगभग एक हजार ऐसे कानून हैं जो खत्म करने के लायक हैं। संबंधित विभागों को इस बारे में अनापत्ति देने के लिए लिखा गया है। उन्होंने बताया कि कई कानून तो ऐसे हैं जिन पर राज्य सरकार ने पूरी नीति ही तय कर दी है। मसलन मिर्जापुर खनन एक्ट की जगह पूरे राज्य का खनन एक्ट है। ऐसा कानूनों का अब कोई मतलब नहीं रह गया है। 

संख्या लगभग एक हजार 

विधि मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार ब्रजेश पाठक ने बताया कि यह कानून अप्रचलित हैं और प्रदेश पर बेवजह का बोझ बने हुए हैं। इनकी संख्या लगभग एक हजार हो सकती है। सरकार इन्हें खत्म करने के लिए विधेयक लाएगी ताकि भ्रम की स्थिति न रहे। प्रदेश में निवेश की अपार संभावनाओं को देखते हुए भी बेवजह के कानूनों से छुटकारा पाना जरूरी है।

खत्म किए जाने वाले दस मुख्य कानून

  • 1-दि अवध स्टेट एक्ट-1869 (1 ऑफ 1869)
  • 2-दि अवध तालुकदार्स रिलीफ एक्ट 1870 (24 ऑफ 1870)
  • 3-दि किंग ऑफ अवध स्टेट एक्ट 1887 (19 ऑफ 1887) 
  • 4-दि किंग ऑफ अवध स्टेट एक्ट 1888 (20 ऑफ 1887) 
  • 5- दि यूनाइटेड प्राविसेंस एक्ट- 1890 (20 ऑफ 1890)
  • 6- दि अवध लाज एक्ट 1876 (18 सन 1876)
  • 7- सेल्स ऑफ लैैंड फॉर रेवेन्यू एरियर्स (1 सन 1845)
  • 8-दि रेंट रिकवरी एक्ट 1853 (6. सन 1852)
  • 9-दि सरायस एक्ट 1867 (22 सन 1863)
  • 10- दि एग्रीकल्चरिस्ट्स लोंस एक्ट 1884 (12 सन 1884)

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