कामचलाऊ व्यवस्था से चल रहा यूपी का पशुपालन विभाग, एक चिकित्सक पर कई अस्पतालों का भार
उत्तर प्रदेश के पशुपालन विभाग में कनिष्ठ अधिकारियों को अतिरिक्त प्रभार देकर निदेशक से लेकर जिलों में पशु चिकित्साधिकारी जैसे महत्वपूर्ण पदों पर काम कराया जा रहा है।
लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश के पशुपालन विभाग में कनिष्ठ अधिकारियों को अतिरिक्त प्रभार देकर निदेशक से लेकर जिलों में पशु चिकित्साधिकारी जैसे महत्वपूर्ण पदों पर काम कराया जा रहा है। उत्तर प्रदेश में कुल 2202 पशु चिकित्सालयों में से लगभग 400 में पशु चिकित्साधिकारी तैनात नहीं है। इस कारण अनेक स्थानों पर एक पशु चिकित्साधिकारी को अनेक चिकित्सालयों का काम देखना पड़ रहा है। उदाहरण के लिए कुशीनगर में दो दर्जन पशु चिकित्सालयों में केवल चार पशु चिकित्सक तैनात हैं। इस कामचलाऊ व्यवस्था से विभागीय कामकाज प्रभावित हो रहा है।
उत्तर प्रदेश के पशुपालन विभाग में लंबे समय से विभागीय पदोन्नति प्रक्रिया पूरी नहीं होने से निदेशक, अपर निदेशक ग्रेड-1 व 2, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी, संयुक्त निदेशक, उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी आदि पदों पर प्रभार व्यवस्था लागू है। पिछले करीब एक वर्ष से विभाग को स्थायी निदेशक भी नहीं मिल पाया है। अगले आदेश तक महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारी संभालने वाले अधिकारियों से अधिक भला न होने का आरोप लगाते हुए कान्हा गोवंश सेवक परिषद के संयोजक डॉ. आरके सिंह का कहना है कि अधिकारियों की कमी के चलते गोवंश संवर्धन योजनाओं को जमीनी असर नहीं दिख रहा है।
मुख्यमंत्री को लिखी चिठ्ठी : उत्तर प्रदेश पशु चिकित्सा संघ ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर प्रदेश में मानकों के अनुसार पशु चिकित्साधिकारी की तैनाती और नियमानुसार समयबद्ध तरीके पदोन्नति प्रक्रिया पूरी किए जाने की मांग की है। संघ के अध्यक्ष डॉ. राकेश कुमार ने बताया कि विभाग में अतिरिक्त प्रभार की व्यवस्था से विभागीय कार्य पूर्ण दक्षता व क्षमता से नहीं हो पा रहा है। इससे सरकार के साथ पशुधन व जनहित भी प्रभावित होता है। पशु चिकित्सा अधिकारी के ऊपर पहले से चार गुना ज्यादा काम है क्योंकि पिछले छह वर्ष से कोई नियुक्ति नहीं हुई। उन्होंने विभागीय पदोन्नति व रिक्त पदों पर भर्ती जल्द कराने की मांग की है।