पानी सहेजने में फिर पिछड़ा उत्तर प्रदेश, जल प्रबंधन में 15वां स्थान Lucknow News
चिंताजनक स्थिति समग्र जल प्रबंधन सूचकांक में उत्तर प्रदेश 15 वें स्थान पर। 75 अंक पाकर गुजरात पहले और आंध्र दूसरे पायदान पर।
लखनऊ (रूमा सिन्हा)। जल प्रबंधन मानकों पर उत्तर प्रदेश लगातार तीसरी बार फिसड्डी रहा है। नीति आयोग ने समग्र जल प्रबंधन सूचकांक (कंपोजिट वॉटर मैनेजमेंट इंडेक्स) पर तृतीय रिपोर्ट वर्ष 2017-18 के आंकड़ों के आधार पर जारी की है। इसमें 25 राज्यों व दो केंद्र शासित प्रदेशों में जल प्रबंधन केउपायों की स्थिति को परखने की कोशिश की गई है। रिपोर्ट में देश के 25 राज्यों में से यूपी सहित 17 को गैर हिमालयन राज्यों की सूची में रखा गया है, जबकि शेष आठ हिमालय व पूर्वोत्तर राज्यों की सूची में शामिल है।
रिपोर्ट के अनुसार गैर हिमालयन श्रेणी के 17 राज्यों में शामिल उत्तर प्रदेश 100 में से मात्र 39 अंक पाकर 15वें पायदान पर है। सिर्फ बिहार व झारखंड ही उप्र से पीछे हैं। वहीं 75 अंक पाकर गुजरात पहले एवं 74 अंक के साथ आंध्र प्रदेश दूसरे स्थान पर है।
रिपोर्ट में सभी राज्यों में जल प्रबंधन के हालात को जानने के लिए जिन बिंदुओं का तुलनात्मक अध्ययन किया गया है, उसमें जलाशयों व तालाबों का जीर्णोद्धार, भूजल संसाधनों का संवर्धन, सिंचाई तंत्र के कार्य, वाटरशेड विकास, सहभागी सिंचाई प्रबंधन, खेतों में जल उपयोग के कार्य, ग्रामीण व शहरी जलापूर्ति तथा जल नीति की स्थिति शामिल है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि उप्र जल संसाधनों के लिहाज से सर्वाधिक धनी होने के बावजूद इसके प्रबंधन में फिसड्डी रहा है। यही नहीं, उप्र कृषि उत्पादकता के लिहाज से 10 अग्रणी राज्यों में शामिल है फिर भी अपने जल संसाधनों के प्रबंधन में विफल रहा है।
इन कारकों के चलते फिसड्डी
- तालाबों और जलाशयों केजीर्णोद्धार में निचले पायदान पर
- तालाबों से सिंचाई व्यवस्था कर पाने में भी विफल
- भूजल संवर्धन व इससे जुड़े मैपिंग कार्य में भी प्रदेश सबसे नीचे
- जल स्रोतों, तालाबों, बोरवेल्स, आइडब्ल्यूएमपी जल संचयन कार्यों की जियो टैगिंग की प्रगति बहुत खराब
- गांव में पाइप वाटर सप्लाई में भी उप्र फिसड्डी सहभागी सिंचाई प्रबंधन में भी स्थिति खराब
- सूक्ष्म सिंचाई में भी प्रदेश की स्थिति संतोषजनक नहीं
- जल शक्ति मंत्रालय के लिए भी चुनौती