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ट्रांसफर-पोस्टिंग के लिए राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल कदाचारः हाईकोर्ट

हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि सरकारी अधिकारी द्वारा ट्रांसफर-पोस्टिंग में राजनीतिक प्रभाव की मदद लेना उत्तर प्रदेश सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली के तहत कदाचार की श्रेणी में आ सकता है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Fri, 28 Sep 2018 10:53 PM (IST)Updated: Sun, 30 Sep 2018 10:52 PM (IST)
ट्रांसफर-पोस्टिंग के लिए राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल कदाचारः हाईकोर्ट
ट्रांसफर-पोस्टिंग के लिए राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल कदाचारः हाईकोर्ट

लखनऊ (जेएनएन)। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने स्पष्ट किया है कि सरकारी अधिकारी द्वारा ट्रांसफर अथवा पोस्टिंग में राजनीतिक प्रभाव की मदद लेना उत्तर प्रदेश सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली के तहत कदाचार की श्रेणी में आ सकता है। कोर्ट ने ट्रांसफर-पोस्टिंग के लिए नेताओं से पत्र लिखाने वाले बीएसए की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि सरकारी अधिकारी के इस कृत्य की सराहना नहीं की जा सकती।

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बीएसए विनय कुमार की याचिका 

यह आदेश जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस आरएन पांडेय की बेंच ने बाराबंकी के बेसिक शिक्षा अधिकारी रहे विनय कुमार की याचिका पर दिया है। याचिका में सात सितंबर के उस ट्रांसफर आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें याची को बाराबंकी के  बीएसए पद से जिला शिक्षा व प्रशिक्षण संस्थान बलरामपुर में सीनियर लेक्चरर के पद पर भेजा गया है। राज्य सरकार की ओर से दलील दी गई कि याची के खिलाफ कुछ शिकायतें मिलने पर सात जून, 2017 को उसका जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, फतेहपुर से तबादला कर के जौनपुर में तैनात किया गया था। इसके बाद उसे छह जुलाई, 2017 को गाजियाबाद भेजा गया। दोबारा उसके खिलाफ शिकायतें मिलने पर दो अगस्त, 2017 को उसे निदेशक, बेसिक शिक्षा, लखनऊ कार्यालय में सम्बद्ध कर दिया गया लेकिन, याची ने दस महीने तक कार्यालय में ज्वाइन ही नहीं किया।

नियुक्त करने का दबाव डाला गया

कोर्ट ने पाया कि इस दौरान पांच अलग-अलग नेताओं द्वारा पत्र लिखकर याची को जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, बाराबंकी के पद पर नियुक्त करने का दबाव डाला गया। चार जुलाई, 2018 को मनचाहे पद पर नियुक्ति मिल भी गई लेकिन, अब उसे डायट, बलरामपुर भेज दिया गया है। कोर्ट ने कहा कि रिकॉर्ड देखने से प्रतीत होता है कि अपनी मनचाही पोस्टिंग के लिए याची ने सरकार पर राजनीतिक दबाव बनाया। कोर्ट ने कहा कि इस रिकॉर्ड को देखते हुए हम कुछ टिप्पणी देना जरूरी समझते हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि समाज को शिक्षित करने का लक्ष्य प्रभावी ढंग से प्राप्त करने के लिए बीएसए से काम में समर्पण की उम्मीद की जाती है। कोर्ट ने कहा कि याची एक युवा अधिकारी है जिसकी वर्ष 2013 में ही नियुक्ति हुई है। हम उम्मीद करते हैं कि याची भविष्य में खुद के ट्रांसफर-पोस्टिंग के लिए राजनीतिक प्रभावों की मदद नहीं लेगा।


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