यूपी में लॉकडाउन की अवधि में बढ़ी यूरिया की खपत, सभी जिलों में 20 बड़े खरीदारों की होगी जांच
उत्तर प्रदेश में लॉकडाउन की अवधि अप्रैल से जुलाई माह के बीच यूरिया की खपत में पिछले वर्ष की तुलना में 35 प्रतिशत वृद्धि होने से खरीफ सीजन में संकट होने आशंका बढ़ी है।
लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश में लॉकडाउन की अवधि अप्रैल से जुलाई माह के बीच यूरिया की खपत में पिछले वर्ष की तुलना में 35 प्रतिशत वृद्धि होने से खरीफ सीजन में संकट होने आशंका बढ़ी है। इसे देखते हुए यूपी सरकार ने प्रत्येक जिले में यूरिया के 20 बड़े खरीददारों की जांच कराने का फैसला लिया है। इसके अलावा यूरिया की बिक्री को शत प्रतिशत पीआएस मशीन (पाइंट आफ सेल मशीन) के जरिए करने के आदेश दिए हैं। गत वर्ष की अपेक्षा इस बार प्रदेश में पांच लाख मीट्रिक टन यूरिया की खपत बढ़ी है। यानि इस वर्ष अब तक 20.42 लाख मीट्रिक टन यूरिया का वितरण किया जा चुका है, पिछले वर्ष से पांच लाख मीट्रिक टन खपत अधिक है।
अपर मुख्य सचिव देवेश चतुर्वेदी ने सभी जिलाधिकारियों को भेजे पत्र में कहा है कि गत एक अप्रैल से 31 जुलाई तक प्रत्येक जिले में यूरिया खाद के 20 बड़े खरीददारों को चिन्हित किया जाए। उनकी भूमि और यूरिया की जरूरत का सत्यापन करके 20 अगस्त तक रिपोर्ट प्रेषित की जाए। उक्त सभी सूचनाओं को भारत सरकार के डैश बोर्ड पर भी अपलोड करना होगा।
उल्लेखनीय है कि गत वर्ष की अपेक्षा इस बार प्रदेश में पांच लाख मीट्रिक टन यूरिया की खपत बढ़ी है। अब तक 20.42 लाख मीट्रिक टन यूरिया का वितरण किया जा चुका है। सूत्रों का कहना है कि कोरोना संकट को देखते हुए इस बार यूरिया की तस्करी व जमाखोरी बढ़ने की आशंका है। नेपाल व अन्य पडौसी राज्यों में प्रदेश से यूरिया की तस्करी होना कोई नयी बात नहीं है।
विक्रेताओं को दर्शाना होगा दैनिक स्टाक : यूरिया की कालाबाजारी को रोकने के लिए सख्त हुए कृषि विभाग ने सभी खाद विक्रेताओं को दैनिक स्टाक की स्थिति को सार्वजनिक करने के निर्देश दिए है। खाद खरीदने वाले किसान से जोत बही व आधारकार्ड की छायाप्रति भी अनिवार्य रूप से लेनी होगी। साथ उर्वरक का वितरण पीओएस मशीनों से होगा। कृषि व राजस्व विभाग की संयुक्त टीम नियमित निरीक्षण व छापे डालने का काम करेंगी। निरीक्षण के दौरान स्टाक का मिलान पीओएस मशीन के आधार पर ही किया जाएगा।
लॉकडाउन में तस्करी बढ़ने की आशंका : कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस बार अप्रैल, मई, जून माह में अच्छी वर्षा होने कारण यूरिया की खपत में वृद्धि हुई है। जबकि सूत्रों का कहना है कि यूरिया की तस्करी पर अंकुश न लग पाने के कारण यूरिया का उठान अधिक हुआ। नेपाल व बिहार के सीमावर्ती इलाको में उत्तर प्रदेश से यूरिया तस्करी होना कोई नयी बात नहीं है। इस बार लॉकडाउन में तस्करी बढ़ने की आशंका जताते हुए किसान कुलदीप सिंह का कहना है कि उर्वरक विक्रेताओं द्वारा बिक्री की छूट का दुरुपयोग करने से इनकार नहीं किया जा सकता।
छापे डालने के निर्देश : अपर मुख्य सचिव देवेश चतुर्वेदी ने बताया कि सभी उर्वरक विक्रेताओं को बिना पीओएस मशीन के यूरिया को बिक्री करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा किसानों को उर्वरक बेचने से पहले जोत बही व आधार कार्ड भी देखना होगा। खाद की कालाबाजारी न होने व कमी न हो पाने के लिए नियमित निरीक्षण करना होगा।