UPTET 2021 Paper Leak: शिक्षा विभाग और प्रश्नपत्र मुहैया कराने वाली संस्था पर ही उठ रही अंगुली
UPTET 2021 Paper Leak यूपीटीईटी का विवादों से गहरा नाता है। परीक्षाओं के साथ गड़बड़ियों के दाग निरंतर गहराते रहे हैं। वजह जिम्मेदारों ने गलतियों से सबक लेने की जगह अनदेखी की। 2011 में पहली बार हुई इस परीक्षा पर गंभीर आरोप लगे थे।
लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपीटीईटी) का विवादों से गहरा नाता है। परीक्षाओं के साथ गड़बड़ियों के दाग निरंतर गहराते रहे हैं। वजह, जिम्मेदारों ने गलतियों से सबक लेने की जगह अनदेखी की। 2011 में पहली बार हुई इस परीक्षा पर गंभीर आरोप लगे और शिक्षा महकमे के बड़े अफसर को सींखचों के पीछे पहुंचना पड़ा। दस बरस बाद ये परीक्षा फिर उसी मुहाने पर है, पेपर लीक में नकल माफिया व साल्वर गैंग से अधिक अंगुली विभाग और प्रश्नपत्र मुहैया कराने वाली संस्था पर ही उठ रही है।
यूपीटीईटी 2020 में कोरोना संक्रमण की वजह से नहीं कराई जा सकी। अभ्यर्थी नई शिक्षक भर्ती घोषित होने की आस लगाए हैं, इसीलिए अर्हता परीक्षा में दावेदारों की संख्या 21.65 लाख से अधिक हो गई। ये हाल तब है जब यूपीटीईटी को आजीवन मान्य किया जा चुका है, यानी आवेदकों में वे अभ्यर्थी शामिल नहीं हैं, जिन्होंने पूर्व में परीक्षा उत्तीर्ण किया है। लंबे समय से इम्तिहान होने की राह देखने वालों को पेपर लीक होने से निराश होना पड़ा है। परीक्षा संस्था ऐसे चाक-चौबंद इंतजाम नहीं कर सकी, ताकि पेपर लीक की गुंजाइश ही न रहे, उल्टे संस्था की शुचिता पर ही सवाल है कि आखिर पेपर कहां छप रहे ये बात चुनिंदा लोगों को पता होता है, तब नकल माफिया सेंध लगाने में कैसे सफल हो गए? असल में, शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार की अनदेखी से घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रहीं।
इन मामलों में नहीं हुई कार्रवाई
कंप्यूटर टीआर में फेरबदल : माध्यमिक शिक्षा परिषद ने प्रदेश की पहली शिक्षक पात्रता परीक्षा टीईटी 2011 में कराई थी। इस परीक्षा में युवाओं को उत्तीर्ण कराने के लिए लाखों रुपये लेकर रिजल्ट तैयार हुआ। परीक्षा में फेल करीब 400 अभ्यर्थियों को उत्तीर्ण करने के लिए कंप्यूटर एजेंसी के टेबुलेशन रिकार्ड (टीआर) में बदलाव हुआ। इसमें किन लोगों की शह पर हेराफेरी हुई और किसे इसका लाभ मिला उस पर पर्दा है?
एलटी ग्रेड शिक्षक बनने में धांधली : यूपी बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय के कर्मियों ने प्रयागराज के कुछ विद्यालयों के टेबुलेशन रिकार्ड में हेराफेरी करके बाहरी युवाओं को उम्दा अंकों से उत्तीर्ण कर दिया। अधिकांश को एलटी ग्रेड शिक्षक के रूप में नौकरी मिली, प्रकरण खुलते ही वे फरार हो गए। तत्कालीन बोर्ड सचिव शैल यादव ने 2016 में जांच कमेटी गठित की, रिपोर्ट सौंपी गई, कार्रवाई नहीं हुई। इसी तरह से 2012 की एलटी ग्रेड भर्ती की पत्रावली अब तक खोजी नहीं जा सकी है।
68500 भर्ती की कापी जांचने वालों का कार्रवाई नहीं : परिषदीय स्कूलों की 68500 शिक्षक भर्ती परीक्षा की कापी बदली व मूल्यांकन में गड़बड़ियां हुई थीं, तत्कालीन परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव सहित कई अफसर निलंबित हुए। अब तक राजकीय इंटर कालेज व राज्य विज्ञान संस्थान के करीब 32 शिक्षकों पर कार्रवाई नहीं हो सकी है, क्योंकि उसकी जांच पूरी होने का नाम ले रही।