UPSC 2018: 9वीं रैंक हासिल कर IAS बनीं गुंजन, टॉपर्स ने शेयर किए सफलता के राज
सिविल सेवा परीक्षा 2018 के परिणाम जारी राजधानी की आयुषी सिंह ने हासिल की 86वीं रैंक।
लखनऊ, जेएनएन। संघ लोक सेवा आयोग(यूपीएससी) ने सिविल सेवा परीक्षा 2018 का परिणाम शुक्रवार शाम जारी कर दिया। घोषित परिणामों में शहर के मेधावियों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए सफलता हासिल की। शहर की गुंजन द्विवेदी ने 9वीं रैंक और आयुषी सिंह ने 86 वीं रैंक हासिल करते हुए आइएएस बन शहर का मान बढ़ाया। इनके अलावा शक्ति मोहन अवस्थी ने 154 वीं रैंक, विधु शेखर ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 173वीं रैंक हासिल की।
कटारिया बीटेक तो देशमुख बीई
अनुसूचित जाति से आने वाले कनिष्क कटारिया ने कंप्यूटर साइंस में बी. टेक किया है। उन्होंने वैकल्पिक विषय के रूप में गणित लिया था। महिलाओं में शीर्ष आने वाली सृष्टि जयंत देशमुख, राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, भोपाल से केमिकल इंजीनियरिंग में बी.ई हैं। दूसरे स्थान पर आने वाले अक्षत जैन आइआइटी गुवाहाटी से इंजीनियरिंग में स्नातक हैं। जयपुर निवासी अक्षत के पिता आइपीएस अधिकारी हैं ।
दस लाख से ज्यादा थे आवेदन
परीक्षा के लिए कुल 10,65,552 उम्मीदवारों ने आवेदन सौंपा था। कुल 4,93,972 ही परीक्षा में शामिल हुए। लिखित (मुख्य) परीक्षा के लिए कुल 10,468 उम्मीदवार सफल हुए थे।
एक हार को विराम न मानें : गुंजन द्विवेदी (9वीं रैंक)
शहर के आशियाना के सेक्टर आई निवासी गुंजन द्विवेदी कहती हैं सफलता के लिए समर्पण जरूरी है। सौ प्रतिशत समर्पण सौ प्रतिशत सफलता। एक हार को विराम न मानें। उन्होंने सेंट एग्निस से 93 प्रतिशत अंकों के साथ हाईस्कूल और लोरेटो कांवेंट से इंटरमीडिएट में 91 प्रतिशत अंक हासिल किए। उसके दिल्ली विवि के दौलतराम कॉलेज से आगे की पढ़ाई की। स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद आगे की पढ़ाई रोक सिविल सेवा की तैयारी का मन बनाया। वह कहती हैं परीक्षा की तैयारी के लिए एक साल का प्लान पहले ही बना लिया था। उसे गंभीरता से फालो किया। वह अपनी इस सफलता का श्रेय अपने माता-पिता के साथ पूरे परिवार के साथ बहन को विशेषरूप से देती हैं।
जितनी प्रबल इच्छा, परिणाम भी उतना अच्छा (86 रैंक)
लखनऊ विश्वविद्यालय के सामने स्थित स्टर्लिग अपार्टमेंट निवासी आयुषी सिंह अपनी इस सफलता के श्रेय अपनी मां पुष्पा सिंह और आइपीएस पिता जयप्रकाश सिंह को देती हैं। आयुषी का कहना है कि सफलताएं मेहनत और शुभकामनाओं पर निर्भर करती हैं। आप निराश न हों, अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ते रहें, सफलता खुद चलकर आएगी। वे कहती हैं कि इच्छा को हमेशा प्रबल बनाए रखें। जितनी प्रबल इच्छा होगी, परिणाम भी उतने ही अच्छे आएंगे। उन्होंने मिरांडा हाउस दिल्ली विवि से बीए ऑनर्स किया। साल 2014 से उन्होंने सिविल सेवा की तैयारी का इरादा किया। शुरुआती तीन साल में उन्हें सार्थक सफलता हासिल नहीं हुई। मगर ध्यान लक्ष्य पर केंद्रित रखा और चौथे प्रयास में शानदार सफलता हासिल की।
मेहनत से मिली सफलता: शक्ति मोहन(154वीं रैंक)
शहर के साउथ सिटी निवासी शक्ति मोहन अवस्थी कहते हैं कि ईमानदारी से की गई मेहनत कभी व्यर्थ नहीं जाती। वे कहते हैं कि लक्ष्य निर्धारित कर आगे बढ़ते रहें, सामान्य ज्ञान व मॉक टेस्ट पर फोकस बनाए रखें। बेसिक्स पर पकड़ मजबूत रखें। सफलता निश्चित मिलेगी। शक्ति मोहन के पिता शील मोहन अवस्थी नेशनल इंश्योरेंस कंपनी रायबरेली में प्रशासनिक अधिकारी हैं और मां उषा गृहिणी हैं। शक्ति ने पिछले वर्ष आइआरएस क्वालिफाई किया था। इससे पहले उन्होंने बीआईटी मेश्र रांची से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। फिर अल्जीरिया में मल्टीनेशनल कंपनी में कुछ दिन नौकरी की। इसके बाद साल 2015 से उन्होंने इस ओर रुझान किया। तीसरे प्रयास में उन्होंने यह सफलता हासिल की। वह इस सफलता का श्रेय अपने बाबा ब्रज मोहन अवस्थी को देते हैं।
लक्ष्य पर रहे केंद्रित : विधु शेखर (173 वीं रैंक)
शहर के सरोजनी नायडू मार्ग निवासी विधु शेखर कहते हैं कि लक्ष्य केंद्रीत कड़ी मेहनत सफलता का रास्ता तैयार करती है। पिछले वर्षो के प्रश्नपत्र व सेलेबस पर मजबूत पकड़ बनाई। इस परीक्षा को निकालने के लिए अच्छे से तैयारी करनी पड़ती है। शेड्यूल बनाकर तैयारी उन्होंने हाईस्कूल व इंटरमीडिएट लामार्ट्स ब्वायज से किया। टिपल आईटी इलाहाबाद से बीटेक किया। उसके बाद 2016 से जुलाई 2017 तक नोएडा की एक सॉफ्टवेयर कंपनी में जॉब की। साथ ही सिविल की तैयारी दिल्ली में रह कर की। उन्होंने दूसरे प्रयास में सफलता हासिल की। विधू के पिता प्रो निशीथ राय व मां अनीता राय गृहणी हैं।
पहले प्रयास में हासिल की सफलता: अवंति चतुर्वेदी (122 वीं रैंक)
लामार्टिनियर गल्र्स कॉलेज की छात्र रहीं अवंति चतुर्वेदी कहती हैं कि परिश्रम कभी व्यर्थ नहीं जाता। 2017 में उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा का रुख किया और पहले प्रयास में ही उन्होंने सफलता अपने नाम कर ली। अवंति के पिता असित कुमार चतुर्वेदी लखनऊ उच्च न्यायालय में वरिष्ठ अधिवक्ता हैं ।
कड़ी मेहनत पर करें विश्वास: कृति (389वीं रैंक)
कृति पांडेय कड़ी मेहनत व टाइम मैनेजमेंट को अपनी सफलता का मंत्र बताती हैं। उन्होंने वर्ष 2017 में भी यूपीएससी परीक्षा पास की थी। वह अभी आइआरएस अधिकारी हैं। कृति के पिता राजेश पाण्डेय बरेली के डीआईजी हैं।