UPPCL PF Scam : फर्जी खातों के जरिये ठिकाने लगाई कमीशन की रकम, EOW की जांच में सामने आया खेल
UPPCL PF Scam कमीशन के करोड़ों रुपये ठिकाने लगाने के लिए इस्तेमाल किये सात से अधिक फर्जी खातों को चिह्नित किया गया है जिनके संचालकों व मददगार लोगों की तलाश की जा रही है।
लखनऊ, जेएनएन। बिजली विभाग में हुए भविष्य निधि घोटाले (UPPCL PF Scam) में फर्जी नाम-पतों पर खोले गए बैंक खातों के जरिये भी कमीशन के करोड़ों रुपये ठिकाने लगाए गए थे। सात से अधिक फर्जी खातों को चिह्नित किया गया है, जिनके संचालकों व फर्जी खाता खुलवाने में मददगार रहे लोगों की तलाश की जा रही है।
पीएफ घोटाले की जांच में फर्जी खातों का खेल सामने आने के बाद आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (ईओडब्ल्यू) अब कई अन्य बिंदुओं पर भी जांच कर रही है। ब्रोकर फर्मों को मिली कमीशन की रकम का बड़ा हिस्सा फर्जी खातों में भी ट्रांसफर हुआ था। फर्जी खातों से वह रकम दूसरे खातों में भेजी गई थी। बताया गया कि अब तक दो फर्जी खातों के संचालकों की पहचान हो सकी है। इनमें एक आरोपित नीशू ने फर्जी खाता खुलवाया था, जिसे ईओडब्ल्यू गिरफ्तार कर चुकी है। अन्य खाता संचालकों के बारे में छानबीन की जा रही है।
ईओडब्ल्यू जल्द कुछ और आरोपितों की गिरफ्तारी भी कर सकती है। दूसरी ओर ईडी ने भी पीएफ घोटाले में जांच के कदम बढ़ा दिए हैं। विजिलेंस पीएफ घोटाले में गिरफ्तार आरोपित पावर कारपोरेशन के तत्कालीन एमडी एपी मिश्र, निदेशक (वित्त) सुधांशु द्विवेदी व सचिव ट्रस्ट पीके गुप्ता के अलावा बिजली विभाग के तीन-चार इंजीनियरों के खिलाफ भी आय से अधिक संपत्ति की जांच कर रही है। जिन इंजीनियरों के खिलाफ विजिलेंस जांच चल रही है, वे एपी मिश्र के करीबी बताए जा रहे हैं।
आरोपपत्र तैयार करने में जुटी जांच एजेंसी
पीएफ घोटाले में आरोपितों के खिलाफ आरोपपत्र तैयार किए जाने की प्रकिया भी शुरू हो गई है। ईओडब्ल्यू को हालांकि कुछ फोरेंसिक रिपोर्ट के मिलने का इन्तजार है। अब तक जुटाए गए दस्तावेजी साक्ष्यों की भी सिलसिलेवार समीक्षा की जा रही है। माना जा रहा है कि ईओडब्ल्यू जनवरी के प्रथम सप्ताह में आरोपपत्र कोर्ट में दाखिल कर सकती है।
यह है पूरा मामला
बिजली कर्मियों के पीएफ के लगभग 4122.70 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया है। नियम विरुद्ध पीएफ की रकम को निजी कंपनी में निवेश किए जाने के मामले में लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में एफआइआर दर्ज कराई गई थी। शासन ने घोटाले की विवेचना ईओडब्ल्यू को सौंपी थी। घोटाले में अब तक 14 आरोपितों को गिरफ्तार की जा चुकी है, जिनमें तीन चार्टर्ड अकाउटेंट (सीए) व डीएचएफएल का एक पूर्व कर्मचारी भी शामिल है। ईओडब्ल्यू की जांच में सीए के जरिए कई फर्जी ब्रोकर फर्मों का रजिस्ट्रेशन कराने की बात भी सामने आई थी।