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UPPCL PF Scam : EOW ने निजी कंपनी DHFL के तत्कालीन अधिकारी समेत सात और आरोपितों को किया गिरफ्तार

UPPCL PF Scam डीएचएफल की लखनऊ शाखा में तैनात अमित की आरोपित सचिव ट्रस्ट पीके गुप्ता व उनके बेटे अभिनव गुप्ता से सांठगाठ थी और ब्रोकर फर्में बनवाने में भी उसकी भूमिका थी।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Sat, 07 Dec 2019 08:58 AM (IST)Updated: Sat, 07 Dec 2019 08:58 AM (IST)
UPPCL PF Scam : EOW ने निजी कंपनी DHFL के तत्कालीन अधिकारी समेत सात और आरोपितों को किया गिरफ्तार
UPPCL PF Scam : EOW ने निजी कंपनी DHFL के तत्कालीन अधिकारी समेत सात और आरोपितों को किया गिरफ्तार

लखनऊ, जेएनएन। बिजली कर्मियों के पीएफ घोटाले में आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (ईओडब्ल्यू) ने शुक्रवार को निजी कंपनी (दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड) डीएचएफएल के तत्कालीन रीजनल सेल्स मैनेजर अमित प्रकाश समेत सात आरोपितों को गिरफ्तार किया है। डीएचएफल की लखनऊ शाखा में तैनात अमित की आरोपित सचिव ट्रस्ट पीके गुप्ता व उनके बेटे अभिनव गुप्ता से सांठगाठ थी और ब्रोकर फर्में बनवाने में भी उसकी भूमिका थी। पीएफ घोटाले में अब तक कुल 12 आरोपित गिरफ्तार किए गए हैं। 

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डीजी ईओडब्ल्यू डॉ.आरपी सिंह ने बताया कि जांच के दौरान अहम साक्ष्य जुटाने के बाद आरोपित अमित प्रकाश, डीएस ट्रेडर्स व अंबा इंटरप्राइजेज के संचालक मनोज कुमार अग्रवाल, आटोवेब फर्म के संचालक विकास चावला, सोरिंजटेक सर्विसेज के संचालक संजय कुमार, चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) श्याम अग्रवाल, टैक्स कंसलटेंट अरुण जैन व पंकज गिरि उर्फ नीशू को गिरफ्तार किया गया है। अरुण व पंकज खुद को सीए होने का दावा करते थे। जांच में सामने आया कि डीएचएफएल के पूर्व कर्मी अमित के जरिए ही ब्रोकर फर्मों को कमीशन की रकम ट्रांसफर कराई जाती थी। आरोपित मनोज कुमार अग्रवाल की दो फर्मों को करीब 3.44 करोड़ रुपये कमीशन मिला था, जिसमें 1.12 करोड़ रुपये पीएनबी हाउसिंग की ओर से दिए गए थे।

मनोज ने काले धन को सफेद करने के लिए अभिनव व आशीष की सांठगाठ से ब्रोकर फर्म बनाई थी। विकास चावला ने सीए श्याम अग्रवाल के साथ मिलकर ऑटोवेब नाम से ब्रोकर फर्म बनाई थी और 4.12 करोड़ रुपये कमीशन हासिल किया था। देशी शराब के कारोबारी संजय कुमार ने अपनी काली कमाई को ठिकाने लगाने के लिए सोरिंज टेक सर्विसेज नाम से ब्रोकर फर्म बनाई थी। उसे करीब 4.28 करोड़ रुपये कमीशन मिला था। संजय ने भी सीए श्याम के जरिए फर्म बनाई थी, जिसमें श्याम की पत्नी भी पार्टनर थी। सीए ने सात ब्रोकर फर्में बनवाई थीं। अरुण जैन की भूमिका भी फर्जी कंपनियां बनाने में है। एक ब्रोकर फर्म का पता तक तस्दीक नहीं हो सका।

गर्लफ्रेंड के नाम पर बनाई छदम पहचान

आरोपित पंकज गिरि ने अपनी गर्लफ्रेंड नीशू के नाम पर कई फर्जी आइडी बनवा रखी थीं और नीशू के छदम नाम का भी इस्तेमाल करता था। जांच में ईओडब्ल्यू को उसकी दो पहचानों ने खूब छकाया। वह पंकज गिरि के नाम से गाजियाबाद में रह रहा था। उसका पासपोर्ट भी इसी नाम पर बना है। पंकज ने मेरठ में एक सिपाही के घर किराये पर कमरा लेकर आफिस खोला था और नीशू के नाम से फर्जी कंपनी बनाई थी। हिमाचल प्रदेश व हरियाणा पुलिस को भी नीशू की तलाश है।


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