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प्रत्यारोपण में दुनिया से मुकाबले को तैयार यूपी के डॉक्टर

अंग प्रत्यारोपण व अंगदान के मामले में फिसड्डी उत्तर प्रदेश के डॉक्टर इस बाबत कानून बनाने की शासन की पहल से उत्साहित हैं। उनका कहना है कि सरकार संसाधन मुहैया कराए, हम दुनिया से मुकाबला कर चेहरा व हाथ तक बदलने को तैयार हैं।

By Nawal MishraEdited By: Published: Tue, 10 Nov 2015 07:56 PM (IST)Updated: Tue, 10 Nov 2015 08:47 PM (IST)
प्रत्यारोपण में दुनिया से मुकाबले को तैयार यूपी के डॉक्टर

लखनऊ (डॉ.संजीव)। अंग प्रत्यारोपण व अंगदान के मामले में फिसड्डी उत्तर प्रदेश के डॉक्टर इस बाबत कानून बनाने की शासन की पहल से उत्साहित हैं। उनका कहना है कि सरकार संसाधन मुहैया कराए, हम दुनिया से मुकाबला कर चेहरा व हाथ तक बदलने को तैयार हैं।

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अंग प्रत्यारोपण के लिए कोई नीति न होने और शरीर दान को महत्व न मिलने से प्रदेश इस मामले में कई राज्यों की तुलना में खासा पीछे है। दैनिक जागरण की मुहिम के बाद अंगदान के लिए नीति को कानूनी दर्जा दने के सरकार के फैसले से चिकित्सक उत्साहित हैं। अब तक उत्तर प्रदेश में अंग प्रत्यारोपण का जिम्मा महज संजय गांधी परास्नातक आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआइ) ने संभाल रखा है। वहां भी लिवर व दिल-फेफड़े का प्रत्यारोपण करने के विशेषज्ञ होने के बावजूद महज गुर्दा प्रत्यारोपण ही होते हैं। अब शासन की पहल के बाद उम्मीद जगी है तो एसजीपीजीआइ प्रशासन ने भी विविधतापूर्ण अंग प्रत्यारोपण की बात कही है। संस्थान के निदेशक डॉ.राकेश कपूर के मुताबिक संस्थान में प्रस्तावित प्रत्यारोपण केंद्र स्थापित होने के बाद हम प्रत्यारोपण को विस्तार दे सकेंगे। उसके बाद हम किडनी के साथ लिवर व गुर्दे पर तो जोर देंगे ही हाथ व चेहरे प्रत्यारोपित करने की अंतर्राष्ट्रीय पहल से भी कदम से कदम मिलाकर चल सकेंगे। इससे शरीरदान करने वाले एक शरीर के कई अंगों का प्रयोग होगा और उतने ही अधिक लोग लाभान्वित होंगे। अन्य सरकारी व निजी संस्थान भी प्रत्यारोपण की पहल कर रहे हैं किन्तु अनुमति की प्रक्रिया खासी जटिल होने के कारण उन्हें परेशान होना पड़ता है। कई बार तो अनुमति की फाइल चिकित्सा शिक्षा विभाग में ही घूमती रहती है। चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डॉ.अनूप चंद्र पाण्डेय का कहना है कि समयबद्ध ढंग से अनुमति देने की रफ्तार बढ़ाई जाएगी। जो निजी संस्थान इस दिशा में सामने आएंगे, उन्हें भी सरकारी नेटवर्क का हिस्सा बनाया जाएगा।

केजीएमयू बदलेगा दिल

लखनऊ की किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) ने दिल के प्रत्यारोपण की अनुमति के लिए आवेदन किया है। मंजूरी मिलने के बाद वहां हृदय प्रत्यारोपण का काम शुरू हो जाएगा। प्रमुख सचिव ने बताया कि केजीएमयू में दिल के प्रत्यारोपण के साथ ही छह महीने में किडनी प्रत्यारोपण भी दोबारा शुरू कराया जाएगा। केजीएमयू में तो अलग से प्रत्यारोपण विभाग ही है किन्तु नेफ्रोलॉजिस्ट न होने से दिक्कत हो रही है। इसका समाधान शीघ्र ढूंढा जाएगा।

लोहिया में होगी शुरुआत

लखनऊ के ही डॉ.राम मनोहर लोहिया संस्थान में सुपर स्पेशियलिटी इलाज की सुविधा होने के बावजूद यहां प्रत्यारोपण नहीं हो रहे हैं। संस्थान के निदेशक डॉ.दीपक मालवीय का कहना है कि वहां नेफ्रोलॉजी व यूरोलॉजी विभागों के समृद्ध होने के कारण गुर्दा प्रत्यारोपण तत्काल शुरू होने की संभावना है। वे स्वयं इसके लिए पहल करेंगे। उन्होंने कहा कि प्रत्यारोपण के लिए अनुमति की प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी और अगले तीन से चार माह के भीतर प्रत्यारोपण भी शुरू कर दिये जाएंंगे।

१५ लोग करा चुके पंजीकरण

संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के प्लास्टिक सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. राजीव अग्र्रवाल का कहना है कि हाथ व चेहरे का प्रत्यारोपण करने के लिए एसजीपीजीआइ पूरी तरह तैयार है। इसके लिए पंद्रह लोग पंजीकरण भी करा चुके हैं। दुर्घटना में अत्यधिक क्षतिग्र्रस्त हाथ, जला हुआ या पुराना कटा हुआ हाथ भी शरीरदान से प्राप्त शरीर के हाथ से बदला जा सकेगा। चेहरे का प्रत्यारोपण भी संभव है।


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