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विधान परिषद में UPCOCA बिल का प्रस्ताव गिरा, योगी सरकार को तगड़ा झटका

उत्तर प्रदेश संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक विधान परिषद में रखे गए थे, लेकिन यहां विपक्ष की संख्या अधिक होने के कारण यह दोनों विधेयक ध्वनिमत से अस्वीकार हो गए।

By Ashish MishraEdited By: Published: Wed, 14 Mar 2018 11:15 AM (IST)Updated: Wed, 14 Mar 2018 11:15 AM (IST)
विधान परिषद में UPCOCA बिल का प्रस्ताव गिरा, योगी सरकार को तगड़ा झटका
विधान परिषद में UPCOCA बिल का प्रस्ताव गिरा, योगी सरकार को तगड़ा झटका

लखनऊ (जेएनएन)। विधान परिषद में मंगलवार को उत्तर प्रदेश संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक (यूपीकोका) 2017 व उत्तर प्रदेश सहकारी समिति संशोधन विधेयक गिर गया। ये दोनों विधेयक प्रवर समिति द्वारा प्रतिवेदित होने के बाद विधान परिषद में रखे गए थे, लेकिन यहां विपक्ष की संख्या अधिक होने के कारण यह दोनों विधेयक ध्वनिमत से अस्वीकार हो गए। यह दूसरा मौका है जब यह दोनों विधेयक परिषद में अस्वीकार हुए हैं। इससे पहले परिषद में जब यह विधेयक रखे गए थे उस समय भी विपक्ष की संख्या अधिक होने के कारण यह दोनों विधेयक प्रवर समिति के हवाले भेज दिए गए थे।

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विधान परिषद में भोजनावकाश के बाद सबसे पहले सहकारिता मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा ने उत्तर प्रदेश सहकारी समिति संशोधन विधेयक 2017 रखा। इसे प्रवर समिति ने 15 फरवरी 2018 को प्रतिवेदित किया था। इस पर सपा सदस्य शतरुद्र प्रकाश ने कहा कि सपा ने प्रवर समिति के समक्ष तीन लिखित संशोधन दिए थे, लेकिन इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया। यह लोकतंत्र की हत्या है। सहकारिता आंदोलन को दबाने के लिए है। इसलिए यह प्रतिवेदन अस्वीकार करने योग्य है। नेता प्रतिपक्ष अहमद हसन ने कहा कि सरकार हटधर्मी कर रही है।

सरकार इस पर वोटिंग करा ले। नेता सदन डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि प्रवर समिति के समक्ष सुझाव नहीं बल्कि विधेयक पर आपत्तियां की गईं थीं। प्रवर समिति ने इसे बगैर किसी संशोधन के परिषद में भेज दिया है। इसलिए इसे पारित किया जाए। इस मसले पर सत्ता पक्ष व विपक्ष में काफी देर तक नोकझोंक होती रही। बाद में यह विधेयक ध्वनिमत से गिर गया।

इसके बाद सरकार उत्तर प्रदेश संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक 2017 लेकर आई। इसे भी प्रवर समिति ने पांच मार्च 2018 को प्रतिवेदित किया था। इसे परिषद में नेता सदन डॉ. दिनेश शर्मा ने रखा। उन्होंने कहा कि इस विधेयक पर भी सदस्यों ने कोई संशोधन नहीं दिया था। केवल तीन सदस्यों ने इस विधेयक पर ही आपत्तियां उठाई थीं। इसलिए प्रवर समिति द्वारा प्रतिवेदित विधेयक पारित कर दिया जाए। इसमें भी सदन में सत्ता पक्ष व विपक्ष में तीखी नोकझोंक हुई। नेता सदन ने कहा कि इस विधेयक में अब विचार की कोई जरूरत नहीं है इसे पारित कर देना चाहिए। नेता प्रतिपक्ष अहमद हसन व बसपा नेता सुनील कुमार चित्तौड़ ने भी इस विधेयक पर वोटिंग कराने की मांग की। अंत में विपक्ष की संख्या अधिक होने के कारण यह विधेयक विधान परिषद में अस्वीकार हो गया।

विधानसभा से दोबारा विधेयक पारित होने पर बन जाएगा कानून

यूपीकोका व सहकारी समिति संशोधन विधेयक भले ही इस समय परिषद में गिर गया हो लेकिन, विधानसभा में दूसरी बार पास होने के बाद यह कानून बन जाएंगे। परिषद में विधेयक गिरने के कारण अब इसे लागू होने में बस विलंब लग सकता है। विधान परिषद से इन विधेयकों को पास कराने के बाद इसे विधान परिषद में पास कराना जरूरी नहीं होगा। विधान परिषद के वरिष्ठतम सदस्य ओम प्रकाश शर्मा भी इस नियम की पुष्टि करते हैं। वे कहते हैं कि सरकार विधान सभा में विधेयक पास कराने के बाद सीधे राज्यपाल के पास भेज सकती है। इसके बाद परिषद में केवल विधेयक पास होने की सूचना आएगी।  


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