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UP में अब चलेगी 'अटल भावनाओं' की लहर, अस्थि विसर्जन का रोडमैप तैयार

राज्य सरकार ने अटल की अंतिम यात्रा को आमजन से जोडऩे की पहल की है। निसंदेह इससे पूरे प्रदेश में अटल भावनाओं की लहर चलेगी।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Sat, 18 Aug 2018 10:21 AM (IST)Updated: Tue, 21 Aug 2018 08:16 AM (IST)
UP में अब चलेगी 'अटल भावनाओं' की लहर, अस्थि विसर्जन का रोडमैप तैयार
UP में अब चलेगी 'अटल भावनाओं' की लहर, अस्थि विसर्जन का रोडमैप तैयार

लखनऊ [आनन्द राय]। भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश कार्यसमिति में मेरठ में छह माह का रोडमैप तैयार कर भाजपा अपना चुनावी रथ आगे बढ़ाने की तैयारी में थी लेकिन, 16 अगस्त को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन ने कार्यकर्ताओं को हिला कर रख दिया। इसके बाद तो सभी कार्यक्रम स्थगित कर दिए गए। अब भाजपा सरकार और संगठन के सामने अटल की स्मृतियों को सहेजने और उससे आम जनता को जोडऩे का दायित्व है। राज्य सरकार ने अटल की अंतिम यात्रा को आमजन से जोडऩे की पहल की है। निसंदेह इससे पूरे प्रदेश में 'अटल भावनाओं' की लहर चलेगी।

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अटल की पैतृक भूमि आगरा के बटेश्वर, शिक्षा स्थल कानपुर, पहली बार संसद में भेजने वाले बलरामपुर व कर्मभूमि लखनऊ में विशिष्ट कार्य कराने की घोषणा पूर्व प्रधानमंत्री के निधन के बाद ही कर दी। भाजपा के सांगठनिक लिहाज से ब्रज, कानपुर-बुंदेलखंड और अवध क्षेत्र में पडऩे वाले उपरोक्त चारों इलाकों में अटल बिहारी से जुड़ी स्मृतियों को विराट रूप देने के फैसले ने अटल के प्रति समर्पण भाव को विस्तार दिया है।

भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष जेपीएस राठौर और प्रदेश महामंत्री गोविंद नारायण शुक्ल कहते हैं अटल की गौरवगाथा तो उत्तर प्रदेश के चप्पे-चप्पे से जुड़ी है और हर क्षेत्र में उनकी स्मृतियों के दस्तावेज हैं। अटल की अस्थियों का प्रवाह भी सभी जिलों की नदियों में होना है। वैसे सरकार स्तर पर पूर्व प्रधानमंत्री की अस्थियों को सभी प्रमुख नदियों में प्रवाहित करने की तैयारी शुरू कर दी गई है। इस अस्थि विसर्जन के दौरान प्रदेश के सभी 80 लोकसभा क्षेत्र की जनता को अटल के अंतिम दर्शन का मौका मिलेगा। इस दौरान करीब साढ़े तीन सौ विधानसभा क्षेत्रों से इनका काफिला गुजरेगा।

इस काफिले में पार्टी के वरिष्ठ नेता, केंद्र और प्रदेश सरकार के मंत्री, सांसद, विधायक और संगठन के पदाधिकारी भी शामिल होंगे। इसके अलावा कई बड़ी श्रद्धांजलि सभा भी आयोजित की जाएंगी। भाजपा मुख्यालय से लेकर जिलों में अन्य कई कार्यक्रम होंगे। भारत गौरव पर्व के तहत भाजपा महिला मोर्चा को कवि सम्मेलन और गीत-संगीत के आयोजन की जिम्मेदारी दी गई थी। चूंकि अटल जी खुद प्रतिष्ठित कवि थे, इसलिए इस आयोजन के स्वरूप को बदलते हुए इसे उनकी याद में किया जाएगा। एक संकेत साफ है कि अब भाजपा के चुनावी रथ पर 'अटल छत्र' होगा।

सरकार ने तैयार किया अस्थि विसर्जन का रोडमैप

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर अस्थि विसर्जन का रोडमैप तैयार कर लिया गया है। योगी ने कहा कि अटल जी का हर क्षेत्र से गहरा लगाव था। उनकी अंतिम यात्रा से जुडऩे का अवसर आमजन को भी दिया जाएगा। राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि आगरा में यमुना व चंबल, इलाहाबाद में गंगा, यमुना व टौंस, (तमसा), वाराणसी में गंगा, गोमती व वरुणा, लखनऊ में गोमती, गोरखपुर में घाघरा, राप्ती, रोहिन, कुआनो व आमी, बलरामपुर में राप्ती, कानपुर नगर में गंगा, कानपुर देहात में यमुना, अलीगढ़ में गंगा व करवन, कासगंज में गंगा, अंबेडकर नगर में घाघरा व टौंस (तमसा), अमेठी में सई व गोमती, अमरोहा में गंगा व सोत, औरैया में यमुना व सिंद्धु, आजमगढ़ में घाघरा व टौंस (तमसा), बदायूं में गंगा, रामगंगा व सोत, बागपत में यमुना, हिंडन व काली नदी, बहराइच में सरयू, घाघरा, करनाली व सूहेली, बलिया में गंगा, घाघरा, गंडक व टौंस (तमसा), बांदा में केन व यमुना, बाराबंकी में घाघरा व गोमती, बरेली में रामगंगा व अरिल, बस्ती में घाघरा, कुआनो व मनोरमा, बिजनौर में गंगा व रामगंगा, बुलंदशहर व चंदौली में गंगा, चित्रकूट में यमुना, देवरिया में गंडक, घाघरा व राप्ती, एटा में इसान और इटावा में चंबल व यमुना नदी में अटल जी की अस्थियां विसर्जित की जाएंगी।

ऐसे ही फैजाबाद में घाघरा व टौंस (तमसा), फर्रुखाबाद में गंगा व रामगंगा, फतेहपुर में यमुना व गंगा, फीरोजाबाद में यमुना, गौतमबुद्धनगर और गाजियाबाद में यमुना व हिंडन, गाजीपुर में गंगा व गोमती, गोंडा में घाघरा व कुआनो, हमीरपुर में यमुना, धसान व केन, हापुड़ में गंगा, हरदोई में रामगंगा व सई, हाथरस में करबन व सेंगर, जालौन में यमुना, सिंद्धु व बेतवा, जौनपुर में सई व गोमती, झांसी में धसान व बेतवा, कन्नौज में गंगा, कौशांबी में गंगा व यमुना, कुशीनगर में गंडक व बूढ़ी गंडक, लखीमपुर खीरी में शारदा, गोमती व सूहेली और ललितपुर में बेतवा, धसान, जामनी व शहजाद नदी में अटल जी की अस्थियां प्रवाहित की जाएंगी।

महराजगंज में गंडक, छोटी गंडक, राप्ती व रोहिन, महोबा में धसान, मैनपुरी में इसान व अरिन्द, मथुरा में यमुना व करवन, मऊ में घाघरा व टौंस (तमसा), मेरठ में गंगा व हिंडन, मीरजापुर में गंगा, मुरादाबाद में रामगंगा, मुजफ्फरनगर में गंगा, हिंडन व काली नदी, पीलीभीत में शारदा, गोमती, व देवहा (गर्रा), प्रतापगढ़ में सई व गंगा, रायबेरली में सई, गंगा व बकूलाही, रामपुर में रामगंगा, सहारनपुर में यमुना, हिंडन व काली नदी, संभल में गंगा व अरिल, संतकबीर नगर में घाघरा, राप्ती व कुआनो, संतरविदास नगर में गंगा व वरुणा, शाहजहांपुर में रामगंगा, गोमती व गर्रा, शामली में यमुना, श्रावस्ती में राप्ती, सिद्धार्थनगर में राप्ती, कून्हरा, घोघी व वान गंगा, सीतापुर में गोमती, घाघरा व शारदा, सोनभद्र में सोन, रेहंद व कान्हा, सुलतानपुर में गोमती एवं उन्नाव में गंगा नदी तथा सई नदी में पूर्व प्रधानमंत्री की अस्थियां विसर्जित की जाएंगी।

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने गुरुवार शाम 5.05 बजे इस दुनिया को अलविदा कह दिया। वाजपेयी के निधन से देशभर में शोक की लहर है। केंद्र सरकार की ओर से सात दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया है। राज्यों में भी राजकीय शोक का ऐलान किया गया है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सात दिन के राजकीय शोक का ऐलान किया है। उत्तर प्रदेश से अटल बिहारी वाजपेयी का गहरा नाता रहा है और इसी राज्य को उनकी कर्मभूमि कहा जाता है। वह लखनऊ से सांसद रहे और यूपी में बीजेपी को सत्ता के शिखर तक पहुंचाने में वाजपेयी का अहम योगदान है। 


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