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वायु प्रदूषण पर अंकुश के लिए यूपी में नई व्यवस्था, निर्माण एजेंसियों को करना होगा डस्ट कंट्रोल ऑडिट

उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने वायु प्रदूषण कम करने के लिए नई पहल शुरू की है। निर्माण परियोजनाओं को अपने यहां धूल नियंत्रण ऑडिट की स्वघोषणा करनी होगी। इसके लिए उन्हें 10 अक्टूबर तक का समय दिया गया है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Thu, 24 Sep 2020 08:41 AM (IST)Updated: Thu, 24 Sep 2020 08:43 AM (IST)
वायु प्रदूषण पर अंकुश के लिए यूपी में नई व्यवस्था, निर्माण एजेंसियों को करना होगा डस्ट कंट्रोल ऑडिट
उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने वायु प्रदूषण कम करने के लिए नई पहल शुरू की है। (सांकेतिक तस्वीर)

लखनऊ [शोभित श्रीवास्तव]। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने वायु प्रदूषण कम करने के लिए नई पहल शुरू की है। निर्माण परियोजनाओं को अपने यहां धूल नियंत्रण ऑडिट की स्वघोषणा करनी होगी। इसके लिए उन्हें 10 अक्टूबर तक का समय दिया गया है। बोर्ड ने इसके लिए एक ऑनलाइन प्रारूप बनाया है, जिसके जरिये निर्माण एजेंसियां अपने यहां धूल नियंत्रण के लिए अपनाए गए उपायों को परख सकती हैं। इससे उन्हें यह जानकारी भी मिलेगी कि किन उपायों को अपना कर वायु प्रदूषण कम किया जा सकता है।

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उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का मानना है कि आमजनों को जागरूक करके ही वायु प्रदूषण कम किया जा सकता है। इसलिए उसने निर्माण परियोजनाओं को अपने यहां धूल नियंत्रण की स्वघोषणा करने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए बोर्ड ने एक वेब एप्लीकेशन तैयार कराया है। बिल्डिंग, सड़क, बुनियादी ढांचे, क्षेत्र के विकास, औद्योगिक निर्माण व सामान्य सुविधाओं की निर्माण परियोजनाओं को वेबसाइट dustapp.upecp.in पर पंजीकृत कर धूल नियंत्रण ऑडिट की शीट भरनी होगी। इसमें ऐसे प्रश्न हैं जिसका उत्तर हां या नहीं में देना है। पूरा भरने के बाद इसे अपलोड करना होगा। अंत में स्कोर शीट आपके सामने होगी।

ऑडिट शीट में धूल पर नियंत्रण के लिए कुछ तो अनिवार्य और कुछ इच्छा अनुसार कार्रवाई दी गई हैं। यह निर्माण एजेंसियों के मार्गदर्शन के साथ पर्यावरण मानदंडों के प्रभावी अनुपालन की सुविधा प्रदान करेगा। इसका उद्देश्य निर्माण एजेंसियों को प्रेरित करना और समय-समय पर ऑडिट द्वारा सुधार सुनिश्चित करना है। बोर्ड ने यह भी साफ किया कि स्वघोषणा के अनुसार किसी भी प्रोजेक्ट पर कोई कार्रवाई नहीं होगी। बोर्ड कार्रवाई तब ही करेगा, जब उसके अफसर मौके का निरीक्षण करेंगे और उसमें कमियां पाई जाएंगी।

बड़ी परियोजनाओं को लगाना होगा पीटीजेड कैमरा : बड़ी निर्माण परियोजनाओं को अपने यहां पैन टिल्ट जूम (पीटीजेड) कैमरा लगाना होगा। इसकी ओपेन एक्सेस प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास रहेगी। यह कैमरा 360 डिग्री में घूमकर वीडियो लेता है। यदि वायु प्रदूषण फैलाने वाले कार्य हुए तो बोर्ड कार्रवाई करेगा।

इस तरह के प्रश्नों के देने होंगे जवाब

  • निर्माण साइट में धूल न उड़े, इसके लिए ट्रीटेड वॉटर का उपयोग किया जाना।
  • बड़ी निर्माण परियोजनाओं के परिसर में एंटी स्मॉग गन लगाना।
  • कंस्ट्रक्शन साइट के लेआउट को ऐसा डिजाइन करना, जिससे धूल कम से कम उत्पन्न हो। इसमें संपर्क मार्ग, प्रवेश द्वार और निकास द्वार, स्टोरेज पाइल्स, वाहन स्टेजिंग क्षेत्र और धूल उत्सर्जन के अन्य संभावित स्रोत शामिल हैं।
  • भंडारण क्षेत्र में निर्माण सामग्रियों को नेट से ढककर रखना।
  • जब हवा तेज चले तो निर्माण की गतिविधियों को सीमित करना।
  • निर्माण सामग्री लेकर आने वाले वाहनों का प्रदूषण सर्टिफिकेट।
  • निर्माण सामग्रियों को ढककर लेकर आना।
  • वाहनों के पहियों को धुलवाना ताकि धूल संपर्क मार्गों पर न आए।
  • सैंडिंग और कटिंग मशीनरी का उपयोग करते समय धूल उड़ने से बचाव या फिर उसे एकत्र करने के उपकरण संलग्न होने चाहिए।
  • जब भी संभव हो वैक्यूम क्लीनिंग की जाए।

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