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UP PF Scam : पीएफ घोटाले के आरोपितों की न्यायिक अभिरक्षा 29 तक बढ़ी, भ्रष्टाचार का आरोप

UP PF Scam इसके पहले एसआइटी ने तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर सीबीसीआइडी के विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट क्षितिश पांडेय के समक्ष पेश किया था।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Sun, 17 Nov 2019 01:42 PM (IST)Updated: Sun, 17 Nov 2019 01:42 PM (IST)
UP PF Scam : पीएफ घोटाले के आरोपितों की न्यायिक अभिरक्षा 29 तक बढ़ी, भ्रष्टाचार का आरोप
UP PF Scam : पीएफ घोटाले के आरोपितों की न्यायिक अभिरक्षा 29 तक बढ़ी, भ्रष्टाचार का आरोप

लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन कर्मियों के पीएफ में जमा धनराशि का दुर्विनियोग करने के आरोपित पावर कॉरपोरेशन के पूर्व प्रबंध निदेशक एपी मिश्रा, तत्कालीन सचिव प्रवीण कुमार एवं निदेशक वित्त सुधांशु द्विवेदी पर एसआइटी ने भ्रष्टाचार का आरोप लगाए जाने के कारण बढ़ाई गई धाराओं में न्यायिक रिमांड के लिए विशेष न्यायाधीश के समक्ष अर्जी दी गई। इस पर अदालत ने सुनवाई करते हुए तीनों आरोपितों की न्यायिक अभिरक्षा अवधि आगामी 29 नवंबर तक के लिए बढ़ाए जाने का आदेश दिया है।

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इसके पहले एसआइटी ने तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर सीबीसीआइडी के विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट क्षितिश पांडेय के समक्ष पेश किया था। यहां से उन्हें 16 नवंबर तक के लिए न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेजे जाने का आदेश दिया था। अदालत एसआइटी के अनुरोध पर तीनों आरोपितों को तीन दिन के लिए पुलिस कस्टडी रिमांड पर भी पूछताछ के लिए देने का आदेश दे चुकी है।

शनिवार को विवेचक ने सीबीसीआइडी की अदालत में अर्जी देकर कहा कि विवेचना के दौरान एकत्रित साक्ष्य के आधार पर तीनों आरोपितों के विरुद्ध धारा 13(2) भ्रष्टाचार निवारण का भी आरोप बनता है। लिहाजा उन्हें इन आरोपों में भी न्यायिक हिरासत में लिया जाए। विवेचक की इस अर्जी को अदालत ने विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम संदीप गुप्ता के समक्ष पेश करने का आदेश दिया। इस पर तीनों आरोपितों को न्यायिक रिमांड अर्जी के साथ विशेष अदालत में पेश किया गया, जहां पर विशेष न्यायाधीश ने तीनों आरोपितों की धारा 13(2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराएं बढ़ाते हुए 29 नवंबर तक के लिए न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया है।

न्यायिक रिमांड पर सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता शैलेन्द्र कुमार यादव का तर्क था कि तीनों आरोपितों ने उच्च पदों पर रहते हुए भारत सरकार की अधिसूचना में दिए गए निर्देशों के विपरीत जाकर पीएफ की करोड़ों रुपये की धनराशि गैर सरकारी संस्था को दे दिया तथा कूटरचित दस्तावेजों के सहारे धोखाधड़ी की है। इस प्रकार इन सभी पर भ्रष्टाचार का भी गंभीर आरोप बनता है। 


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