UP News: पीलीभीत टाइगर रिजर्व व शेखा झील इको सेंसिटिव जोन होंगे घोषित, एक किलोमीटर क्षेत्र होगा प्रतिबंधित
प्रदेश सरकार पीलीभीत टाइगर रिजर्व में करीब दो किलोमीटर व अलीगढ़ की शेखा झील में एक किलोमीटर के क्षेत्र को इको सेंसिटिव जोन घोषित करवाने जा रही है। मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय समिति में इसको लेकर सहमति बन गई है।
लखनऊ, राज्य ब्यूरो: प्रदेश सरकार पीलीभीत टाइगर रिजर्व में करीब दो किलोमीटर व अलीगढ़ की शेखा झील में एक किलोमीटर के क्षेत्र को इको सेंसिटिव जोन घोषित करवाने जा रही है। मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय समिति में इसको लेकर सहमति बन गई है। जल्द ही यहां से प्रस्ताव केंद्र सरकार भेजा जाएगा। इको सेंसिटिव जोन घोषित होने के बाद इसकी सीमा में पेड़ कटान, तेज रफ्तार वाहन, प्रेशर हार्न, मिट्टी कटाव जैसी गतिविधियां प्रतिबंधित हो जाएंगी। इससे जंगल को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों को नियंत्रित व प्रतिबंधित करने में मदद मिलेगी।
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत इको सेंसिटिव जोन अधिसूचित करता है। इसका मूल उद्देश्य राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों के आस-पास कुछ गतिविधियों को प्रतिबंधित व नियंत्रित करना है, ताकि संरक्षित क्षेत्रों के निकटवर्ती संवेदनशील पारिस्थितिक तंत्र पर ऐसी गतिविधियों के नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सके।
तीन श्रेणियों में बांटा गया है जोन
प्रदेश सरकार पीलीभीत टाइगर रिजर्व के साथ ही अलीगढ़ की शेखा झील के आस-पास के क्षेत्र को इको सेंसिटिव जोन घोषित करवाने जा रही है। वन एवं पर्यावरण विभाग के अधिकारी इसमें शामिल किए जाने वाले क्षेत्रों को अंतिम रूप देने में लगे हुए हैं। जल्द ही इसे केंद्र सरकार भेजा जाएगा। इको सेंसिटिव जोन में गतिविधियों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है।
वाणिज्यिक खनन, प्रदूषक उद्योगों की स्थापना व बड़ी जल विद्युत परियोजना की स्थापना पूरी तरह प्रतिबंधित है। पेड़ों की कटाई, होटल और रिसार्ट की स्थापना, प्राकृतिक जल का व्यावसायिक उपयोग, कृषि प्रणाली में भारी बदलाव, कीटनाशकों का उपयोग व सड़कों का चौड़ीकरण आदि कार्यों को विनियमित गतिविधियों की श्रेणी में रखा गया है। तीसरी श्रेणी में वर्षा जल संचयन, जैविक खेती एवं कृषि और बागवानी को रखा गया है। यानी इनके लिए अनुमति दी जा सकती है।