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UP MLC Election 2020: दांव पर भारतीय जनता पार्टी की साख, संगठनात्मक क्षमता की परीक्षा

UP MLC Election 2020 उपचुनाव में यथास्थिति बनाए रखने में सफल रही बीजेपी के लिए विधान परिषद चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करने की चुनौती और बड़ी हो गयी है। उच्च सदन में बड़े दल की भूमिका निभा रही समाजवादी पार्टी के सामने प्रतिष्ठा बचाए रखने का सवाल है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Tue, 17 Nov 2020 06:00 AM (IST)Updated: Tue, 17 Nov 2020 10:03 AM (IST)
UP MLC Election 2020: दांव पर भारतीय जनता पार्टी की साख, संगठनात्मक क्षमता की परीक्षा
विधान परिषद में दबदबा बनाए रखने वाले शिक्षक संघों को भी इस बार जोर लगाना पड़ रहा है।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश में विधानसभा की सात सीटों पर हुए उपचुनाव में यथास्थिति बनाए रखने में सफल रही भारतीय जनता पार्टी के लिए विधान परिषद की 11 सीटों (स्नातक व शिक्षक क्षेत्र) पर होने वाले द्विवार्षिक चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करने की चुनौती और बड़ी हो गई है। वहीं उच्च सदन में बड़े दल की भूमिका निभा रही समाजवादी पार्टी के सामने प्रतिष्ठा बचाए रखने का सवाल है।

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विधान परिषद के भीतर दशकों से दबदबा बनाए रखने वाले शिक्षक संघों को भी राजनीतिक दलों की सक्रियता बढ़ने से इस बार वजूद बचाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है। गत चुनाव में शिक्षक संघों को बड़े उलटफेर का शिकार होना पड़ा था। इस बार राजनीतिक दलों का दखल बढ़ने से संघर्ष और कड़ा होगा। कर्मचारी संगठनों के भी मैदान में उतर आने से मुकाबले और रोचक होने के संभावना है।

विधान परिषद की 11 सीटों में से छह शिक्षक तथा पांच स्नातक कोटे से हैं। इनमें से दो भाजपा, दो सपा, चार शिक्षक संघ शर्मा गुट तथा तीन अन्य के कब्जे में थीं। 2014 में स्नातक कोटे की पांच सीटों में आगरा सपा, वाराणसी व इलाहाबाद-झांसी भाजपा, मेरठ शिक्षक संघ शर्मा गुट और लखनऊ निर्दलीय के कब्जे में रही थी।

बाहरी से गुरेज नहीं, समर्थन देना भी रणनीति का हिस्सा : भाजपा उच्च सदन में अपनी ताकत बढ़ाने के लिए चुनाव में हर रणनीति आजमा रही है। इसीलिए बाहरी उम्मीदवार को मुकाबले में उतारने से गुरेज नहीं किया। वित्तविहीन संघ के उमेश द्विवेदी को लखनऊ शिक्षक क्षेत्र से उम्मीदवार बनाकर बाजी अपने हक में रखने को दांव चला है। इतना ही नहीं भाजपा ने वाराणसी व गोरखपुर में अपना उम्मीदवार सीधे न उतारने की रणनीति अपनायी है।

सपा प्रमुख अखिलेश ने खुद संभाली कमान : समाजवादी पार्टी वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में खुद को मुख्य विकल्प सिद्ध करने के लिए विधान परिषद चुनाव को भी गंभीरता से ले रही है। सपा ने अपने दोनों निवर्तमान एमएलसी संजय मिश्र व असीम यादव को फिर प्रत्याशी घोषित किया है। अन्य सीटों पर भी जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए उम्मीदवार उतारे गए हैं। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव स्वयं सीटवार चुनावी तैयारी की निगरानी कर रहे हैं। वहीं प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल, पूर्व मंत्रियों व प्रमुख पदाधिकारियों को क्षेत्रवार जिम्मेदारी दी गई है।

साख बचाने की जंग में फंसे शिक्षक संघ : विधान परिषद में दबदबा बनाए रखने वाले शिक्षक संघों खासकर शर्मा गुट को साख बचाने की चिंता है। इस बार शर्मा गुट को अन्य शिक्षक संगठनों से तगड़ी टक्कर मिलने के साथ राजनीतिक दलों द्वारा की जा रही घेराबंदी से भी जूझना पड़ रहा है। अब तक कभी नहीं हारने वाले शर्मा गुट के मुखिया ओमप्रकाश शर्मा भी कड़े मुकाबले में फंसे हैं।


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