यूपी जल निगम के 5327 कर्मचारी अन्य विभागों में होंगे समायोजित, वेतन व पेंशन संकट दूर करने के लिए उठाया कदम
जल निगम वित्तीय संकट से जूझ रहा है। उसे वेतन व पेंशन देने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में कर्मचारियों को दूसरे विभागों में समायोजित किया जा रहा है। इन कर्मियों को उसी जिले व मंडल में तैनाती दी जाएगी जहां यह पहले से तैनात हैं।
लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। वेतन एवं पेंशन के संकट को दूर करने के लिए उत्तर प्रदेश जल निगम के 5,327 फील्ड कर्मचारियों को जल्द पंचायती राज विभाग और नगर निकायों के अधीन कार्यालयों में जल्द समायोजित किया जाएगा। शुक्रवार को जल निगम के प्रबंध निदेशक अनिल कुमार की ओर से निगम के चतुर्थ श्रेणी कर्मियों को समायोजित किए जाने के लिए पंचायती राज विभाग के अपर मुख्य सचिव और स्थानीय निकाय, उत्तर प्रदेश के निदेशक को सूची भी भेज दी गई।
जल निगम लगातार वित्तीय संकट से जूझ रहा है और उसे वेतन व पेंशन देने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में इन कर्मचारियों को दूसरे विभागों में समायोजित किया जा रहा है। इन कर्मियों को उसी जिले व मंडल में तैनाती दी जाएगी, जहां यह पहले से तैनात हैं। जल निगम के यह फील्ड कर्मचारी चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी हैं और पंप आपरेटर व फिटर हैं। दरअसल, बीते करीब छह महीने से 9,500 जल निगम कर्मियों को वेतन और 15,000 सेवानिवृत्त कर्मियों को पेंशन देने के लाले हैं। वेतन व पेंशन समय से मिल सके इसके लिए यह कदम उठाया गया है।
उधर, जल निगम संघर्ष समिति इस आदेश के विरोध में उतर आई है। संघर्ष समिति के पदाधिकारियों को का कहना है कि इस निर्णय से तो जल निगम का अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा। जिन कर्मचारियों को दूसरे विभागों में समायोजित किया जा रहा है, उनकी उम्र 50 साल से अधिक है। आखिर सेवा शर्तें क्या होंगी? फिलहाल इसके विरोध में आंदोलन शुरू किया जाएगा।
पिछले छह महीनों से जल निगम के 9500 कर्मचारियों और 15000 पेंशनभोगियों को वेतन व पेंशन नहीं मिल रहा है। इस फैसले पर कर्मचारियों का कहना है कि इससे तो जल निगम का अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा। फील्ड कर्मचारी दूसरे विभागों में चले जाएंगे तो उनका काम कौन सम्भालेगा?