बंदरगाह तक माल भेजने के लिए निर्यातकों को वित्तीय सहायता देगी सरकार, उत्तर प्रदेश में नीति लागू
उत्तर प्रदेश सरकार ने निर्यातकों को बंदरगाहों तक माल भेजने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने की घोषणा की है। इस नीति का उद्देश्य राज्य से निर्यात को बढ़ावा देना है, जिससे प्रदेश के निर्यातकों को प्रोत्साहन मिलेगा और वे अधिक निर्यात करने के लिए प्रेरित होंगे।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। निर्यात को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार निर्यातकों को विभिन्न प्रकार का वित्तीय प्रोत्साहन देगी। उत्तर प्रदेश निर्यात प्रोत्साहन नीति-2025-30 के तहत बंदरगाहों तक माल पहुंचाने के लिए निर्यातकों 20 से 40 हजार रुपये का वित्तीय प्रोत्साहन दिया जाएगा।
20 फुट के कंटेनर से माल भेजने पर 20 हजार रुपये, 40 फुट के कंटेनर से माल भेजने पर 40 हजार रुपये या कुल माल भाडे का अधिकतम 30 प्रतिशत जो भी कम हो दिया जाएगा। इसी प्रकार निर्यात के जोखिम से बचाव के लिए भारतीय निर्यात क्रेडिट गारंटी निगम (ईसीजीसी) से निर्यात साख बीमा कराने वाले निर्यातकों को प्रिमियम का 30 प्रतिशत या अधिकतम पांच लाख रुपये का प्रोत्साहन दिया जाएगा।
औद्योगिक विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव आलोक कुमार द्वारा इस संदर्भ में जारी शासनादेश के अनुसार तीन वर्षों में पांच करोड़ करोड़ रुपये का औसत निर्यात करने वाली इकाईयों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
शासनादेश में स्पष्ट किया गया है कि योजना के तहत समुद्री व शुष्क बंदरगाह (ड्राई पोर्ट) दोनों तक माल पहुंचाने के लिए निर्यातकों को वित्तीय सहायता दी जाएगी। बंदरगाहों तक माल पहुंचाने की योजना के तहत आने वाले आवेदनों को स्वीकृति प्रदान करने के लिए निर्यात आयुक्त की अध्यक्षता में आठ सदस्यीय समिति भी गठित की गई है।
वहीं, निर्यात साख बीमा के आवेदन के लिए निर्यातकों को बीमा कराने से 90 दिनों के भीतर आवेदन करना होगा। आवेदनों की स्वीकृति के लिए निर्यात आयुक्त की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति का गठन किया गया है।
औद्योगिक विकास विभाग ने डाकघर निर्यात केंद्र सहायता योजना के तहत विभिन्न प्रकार के उत्पादों के निर्यात पर डाक खर्च का 75 प्रतिशत या प्रति निर्यातक एक वर्ष में अधिकतम एक लाख रुपये का प्रोत्साहन दिए जाने का प्रविधान किया है।
हर तीन माह बाद निर्यातकों को योजना का लाभ लेने के लिए निर्यात प्रोत्साहन ब्यूरो में आनलाइन आवेदन करना होगा। दावों को स्वीकृति देने के लिए निर्यात आयुक्त की अध्यक्षता में चार सदस्यीय समिति गठित की गई है।
निर्यात बढ़ाने पर दिया जाएगा अधिकतम 20 लाख का प्रोत्साहन
निर्यात प्रदर्शन आधारित प्रोत्साहन योजना का लाभ लेने के लिए निर्यातकों को वर्ष दर वर्ष निर्यात में बढ़ोत्तरी करनी होगी। पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष निर्यात में जितनी बढ़ोत्तरी होगी संबंधित इकाई को उसका एक प्रतिशत या अधिकतम 20 लाख रुपये का प्रोत्साहन दिया जाएगा। इस योजना का लाभ उन्हीं इकाईयों को दिया जाएगा जो कम से कम तीन वर्षों से निर्यात कर रही हों। आवेदन को स्वीकृति के लिए निर्यात आयुक्त की अध्यक्षता में चार सदस्यीय समिति गठित की गई है।
प्रदर्शनी व मेलों के आयोजन के लिए एक करोड़ रुपये का प्रोत्साहन
सेवा क्षेत्र के निर्यातकों को विदेश में आयोजित होने वाले मेलों व बायर-सेलर मीटर में प्रतिभाग करने पर वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। आइटी, आइटीईएस, फिनटेक, पर्यटन. स्वास्थ्य, लाजिस्टिक, परिवहन, आपूर्ति श्रृंखला, आडियो-विजुअल सहित संबंधित क्षेत्रों के निर्यातकों को मेलों व प्रदर्शनियों में स्टाल लेने पर लागत का 75 प्रतिशत या दो लाख रुपये जो कम हो दिया जाएगा।
अंतरराष्ट्रीय मेलों व प्रदर्शनियों में प्रतिभाग करने पर निर्यातकों को वायुयान के किराए का 75 प्रतिशत व अधिकतम एक लाख रुपये का प्रोत्साहन दिया जाएगा। स्वदेश में आयोजित होने वाली अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रदर्शनी व मेलों में स्थल किराए पर लेने पर आने वाले खर्च का 75 प्रतिशत या 50 हजार रुपये दिए जाएंगे। वहीं इकाईयों के संचालकों को बस या रेल किराए के लिए 75 प्रतिशत या 25 हजार रुपये की राशि दी जाएगी।
विदेश में प्रदर्शनी या बायर-सेलर मीट आयोजित करने वाले भारतीय आयोजकों को कुल व्यय का 75 प्रतिशत या अधिकतम एक करोड़ रुपये का प्रोत्साहन दिया जाएगा। इन आयोजनों में देश की कम से कम 20 सेवा इकाईयों के प्रतिभाग लेने पर ही आयोजक योजना का लाभ ले सकेंगे।
इसी प्रकार भारत में अंतरराष्ट्रीय बायर-सेलर मीट का आयोजन कराने वालों को कुल व्यय का 75 प्रतिशत या अधिकतम 75 लाख रुपये का वित्तीय प्रोत्साहन दिया जाएगा। निर्यात आयुक्त की अध्यक्षता में आवेदनों को स्वीकृत करने के लिए सात सदस्यीय समिति का गठन किया गया है।

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