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आम लोगों को महंगाई से राहत के लिए आलू-प्याज बेचेगी यूपी सरकार, जिलों में खुलेंगे बिक्री केंद्र

उत्तर प्रदेश में आसमान छूती सब्जियों की कीमत पर नियंत्रण के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार एक्शन में है। प्याज की स्टॉक लिमिट तय करने के बाद अब सरकार आलू और प्याज सीधे किसानों से लेकर उचित दर पर आम लोगों तक पहुंचाएगी।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Wed, 04 Nov 2020 02:17 PM (IST)Updated: Wed, 04 Nov 2020 06:13 PM (IST)
आम लोगों को महंगाई से राहत के लिए आलू-प्याज बेचेगी यूपी सरकार, जिलों में खुलेंगे बिक्री केंद्र
उत्तर प्रदेश में आसमान छूती सब्जियों की कीमत पर नियंत्रण के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार एक्शन में है।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश में आसमान छूती सब्जियों की कीमत पर नियंत्रण के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार एक्शन में है। प्याज की स्टॉक लिमिट तय करने के बाद अब सरकार आलू और प्याज सीधे किसानों से लेकर उचित दर पर आम लोगों तक पहुंचाएगी। इसके लिए सरकारी बिक्री केंद्र खोले जाने की योजना है। राजधानी लखनऊ में यह व्यवस्था शुरू करने के बाद अब इसे प्रदेश के सभी जिलों में लागू करने की तैयारी है।

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आम लोगों को आलू और प्याज उचित मूल्य पर उपलब्ध कराने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य औद्यानिक सहकारी विपणल संघ (हाफेड), मंडी परिषद, दुग्ध विकास विभाग और राज्य कल्याण निगम को बिक्री केंद्र स्थापित कराने को कहा गया है। हाफेड के प्रबंध निदेशक आरके तोमर के अनुसार लखनऊ में तीन बिक्री केंद्र संचालित हैं। जल्द ही अन्य जिलों में भी केंद्र स्थापित किए जाएंगे।

शीतगृहों में आलू भरपूर लेकिन आम आदमी से दूर : आलू की आसमान छूती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने 31 अक्टूबर तक कोल्ड स्टोरेज संचालित करने के निर्देश दिए थे, ताकि जमाखाेरी को रोका जा सके। आदेशों के बाद भी प्रदेश के शीतगृहों में करीब दस लाख मीट्रिक टन आलू भंडारित है। जो लगभग डेढ़ माह की खपत के लिए पर्याप्त है। उक्त आलू बाजार में तेजी से आना शुरू हो तो कीमतों पर काबू पाना आसान होगा।

पैदावार कम हाेने से कीमतों में उछाल : आलू की कीमतों में रिकॉर्ड उछाल की वजह इस वर्ष पैदावार कम हाेने के साथ भंडारण मात्रा में कमी आना भी है। गत वर्ष अक्टूबर माह के अंत तक प्रदेश के 1911 कोल्डस्टोरेज में करीब 30 लाख मीट्रिक टन आलू मौजूद था, जबकि इस मात्र दस लाख क्विंटल आलू उपलब्ध है। उद्यान विभाग के अधिकारी बताते है कि वर्तमान में मौजूद आलू प्रदेश की डेढ़ माह की खपत पूरी कर सकता है। इसके अलावा नवंबर माह के तीसरे सप्ताह में नया आलू भी बाजार में आने लगता है। ऐसे में आलू संकट जैसी कोई बात नहीं है परंतु फुटकर विक्रेताओं की मनमानी के चलते कीमतें काबू नहीं हो पा रही है।

थोक व फुटकर भाव में भारी अंतर : आलू की महंगाई जमाखाेरी के अलावा थोक व फुटकर कीमतों में भारी अंतर के कारण भी दिख रही है। मंडी में थोक में 25 से 27 रुपये प्रति किलोग्राम दर से बिकने वाला आलू फुटकर में 35 से 35 रुपये प्रति किलोग्राम बेचा जा रहा है। थोक और फुटकर की कीमतों के इस अंतर काे कम करने पर मंडी अधिकारी भी हाथ खड़े करते है।

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