प्रदूषण घटाने को इलेक्ट्रिक व्हीकल पालिसी लाने की तैयारी में यूपी सरकार
सरकार जिन छह शहरों में अलग-अलग क्षेत्रों को केंद्र में रखकर 'रोड शो करने जा रही है, उनमें 19 और 21 दिसंबर को कोलकाता एवं हैदराबाद के शो में ऊर्जा पर ही फोकस होगा।
लखनऊ [गिरीश पांडेय]। बढ़ते प्रदूषण पर लगाम लगेगी और डीजल, पेट्रोल और सीएनजी का खर्चा भी बचेगा। प्रदेश सरकार 21-22 फरवरी को होने वाले 'इन्वेसटर्स समिट के पहले इसके लिए 'इलेक्ट्रिक व्हीकल (इवी) पालिसी लाएगी। शुरुआत में इन वाहनों की चार्जिंग के लिए पेट्रोल पंपों पर व्यवस्था होगी। बाद में इसके लिए अलग संरचना बनायी जाएगी। सरकार का जोर सौर ऊर्जा के अधिकतम प्रयोग पर होगा। सरकार ने 'इन्वेसटर्स समिट के दौरान ऊर्जा क्षेत्र में दस हजार करोड़ रुपये के निवेश का लक्ष्य रखा है।
सरकार जिन छह शहरों में अलग-अलग क्षेत्रों को केंद्र में रखकर 'रोड शो करने जा रही है, उनमें 19 और 21 दिसंबर को कोलकाता एवं हैदराबाद के शो में ऊर्जा पर ही फोकस होगा। बैटरी चालित वाहनों का उत्सर्जन शून्य होता है। बढ़ती आबादी और मांग के अनुसार सरकार अगर अपनी नीति पर सही तरीके से अमल करा पाती है तो आने वाले समय में उत्तर प्रदेश ऐसे वाहनों के उत्पादन का हब बन सकता है। सरकार की मंशा भी यही है।
इवी की खूबियां
ऊर्जा प्रयोग में यह सर्वाधिक सक्षम होती हैं। मसलन पेट्रोल और डीजल चालित वाहन प्राप्त ऊर्जा का क्रमश: 15 और 20 फीसद प्रयोग करते हैं तो इवी की दक्षता करीब 80 फीसद होती है। इनसे शोर भी नहीं के बराबर होता है।
भविष्य इवी का ही है
'इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड और जार्जटाउन विश्वविद्यालय के एक शोध के अनुसार अमेरिका, कनाडा सहित कई विकसित देशों में वर्ष 2040 तक 90 फीसद से अधिक वाहन बैटरी चालित ही होंगे। कई देशों ने तो इसके लिए समय सीमा भी तय कर दी है। नार्वे ने वर्ष 2025, ब्रिटेन, नीदरलैंड और फ्रांस में 2040 के बाद सिर्फ इवी ही चलेगी। चीन जहां सर्वाधिक इवी बनती हैं वह भी इससे सहमत है, पर उसने कोई समय सीमा नहीं तय की है।