यूपी में राजस्व संहिता संशोधन विधेयक में बदलाव की तैयारी, शासन भेजा गया प्रस्ताव
औद्योगीकरण को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने विधानमंडल के पिछले बजट सत्र में उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता में संशोधन के लिए विधेयक पेश किया था।
लखनऊ [राजीव दीक्षित]। उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता में संशोधन विधेयक के प्रावधान का बेजा इस्तेमाल कर लोग फार्म हाउस बनाने के लिए 5.0586 हेक्टेयर से अधिक कृषि भूमि न खरीद सकें, इसके लिए राज्य सरकार उसमें संशोधन करने जा रही है। इसके लिए राजस्व परिषद ने अध्यादेश लाने का प्रस्ताव शासन को भेज दिया है।
औद्योगीकरण को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने विधानमंडल के पिछले बजट सत्र में उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता में संशोधन के लिए विधेयक पेश किया था। राजस्व संहिता की मौजूदा व्यवस्था के तहत चैरिटेबल या औद्योगिक प्रयोजनों के लिए ही 5.0586 हेक्टेयर से अधिक कृषि भूमि सरकार की अनुमति से ही खरीदी जा सकती है। प्रस्तावित संशोधन में कहा गया है कि 5.0586 हेक्टेयर से अधिक कृषि भूमि खरीदने की सरकार मंजूरी दे सकती है यदि ऐसा अर्जन किसी रजिस्टर्ड फर्म, कंपनी, पार्टनरशिप फर्म, लिमिटेड लाइबिलिटी पार्टनरशिप फर्म, न्यास, समिति या किसी शैक्षिक या चैरिटेबल संस्था के पक्ष में हो। इसके साथ ही ऐसा अर्जन लोकहित में हो और इससे आर्थिक गतिविधियां और रोजगार पैदा हों।
विधानमंडल से पारित इस विधेयक को राज्यपाल राम नाईक ने राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा था जिस पर केंद्र सरकार ने कहा है कि लोग इस प्रावधान का दुरुपयोग कर आर्थिक गतिविधियों की आड़ में फार्म हाउस बनाने के लिए तय सीमा से ज्यादा जमीन खरीद सकते हैं। केंद्र के सुझाव पर राज्य सरकार प्रस्तावित विधेयक में संशोधन कर यह स्पष्ट करेगी कि तय सीमा से अधिक खेती की जमीन कृषि से इतर कार्यों के लिए इस्तेमाल की जाएगी।
रजिस्ट्रेशन एक्ट में संशोधन के लिए भी अध्यादेश लाने का प्रस्ताव
खेती की जमीन को तीन साल तक पट्टे पर देने पर उस पट्टा करार को रजिस्ट्री से छूट दिलाने के लिए रजिस्ट्रेशन एक्ट में संशोधन किया जाएगा। राजस्व परिषद ने रजिस्ट्रेशन एक्ट में संशोधन करने के लिए अध्यादेश लाने का प्रस्ताव भी शासन को भेजा है। रजिस्ट्रेशन एक्ट केंद्रीय अधिनियम है। राजस्व परिषद के अनुरोध पर केंद्र ने तीन साल तक के पट्टा करार को रजिस्ट्री से छूट देने के लिए राज्य सरकार को अनुमति दी है।