GOOD NEWS : 20 हजार प्री मेच्योर बेबी हर साल पाएंगे मां का दूध
मिली सौगात इसमें तीन महीने तक सुरक्षित रहेगा मां का दूध तीन परियोजनाओं का हुआ लोकार्पण।
लखनऊ, जेएनएन। केजीएमयू में मंगलवार को तीन परियोजनाओं का लोकार्पण किया गया। इसमें प्रदेश के पहला हृयूमन मिल्क बैंक भी शामिल है। इसमें मां का दूध तीन महीने तक सुरक्षित रहेगा। प्री मेच्योर बेबी जिनका वजन 1800 ग्राम से कम होता है और वह एनआइसीयू में रखे जाते हैं। उन्हें मां का दूध दिया जाएगा। ऐसे बच्चे दिन भर में 300 एमएल तक दूध पीते हैं। हर साल करीब 20 हजार बच्चे इससे लाभान्वित होंगे।
इस बैंक की इंचार्ज प्रो. माला कुमार ने बताया कि यह दूध उन्हें पूरी तरह निश्शुल्क दिया जाएगा। नेशनल हेल्थ मिशन ने इसके लिए 94 लाख रुपये दिए हैं। यहां माताओं की काउंसिलिंग होगी कि वह अपने बच्चे को छह महीने तक अपना दूध पिलाएं और ऐसी माताएं जिनके पास अपने बच्चे के अलावा अतिरिक्त दूध है वह इसे दान कर दें। ऐसी माताएं जो बीमार हैं या जिनके प्री मेच्योर बेबी हुआ है उन्हें यह दूध दिया जाएगा। इसे पाश्चुराइज्ड करके डीप फ्रीजर में रखा जाएगा। इसके अलावा पंद्रह विभागों में सौर ऊर्जा सयंत्र लगाए गए हैं।
टेली मेडिसिन सेंटर हेल्थ रडार से विशेषज्ञ इलाज की सुविधा
केजीएमयू ने टेली मेडिसिन सेंटर हेल्थ रडार शुरू किया है। इससे दूर-दराज के गांव में बैठे मरीजों को विशेषज्ञ चिकित्सीय परामर्श की सुविधा ऑनलाइन मिलेगी। इसके लिए रोबोटिक ट्राईएज कियोस्क बस्ती, सिद्धार्थनगर, गोरखपुर, महाराजगंज, देवरिया और कुशीनगर में स्थापित किए गए हैं। इस ऑनलाइन सिस्टम के स्थापित करने से चिकित्सा विशेषज्ञों की परामर्श देने की क्षमता 40 प्रतिशत तक बढ़ जाएगी। दिमागी बुखार जेई व एई के मरीजों को इससे बड़ी राहत मिलेगी।
हाइपर बेरिक ऑक्सीजन थैरेपी से जल्द भरेंगे मरीजों के घाव
बर्न के मरीजों के घाव अब जल्द भर जाएंगे। उन्हें घाव में हो रहे रिसाव के कारण तड़पना नहीं पड़ेगा। इन्फेक्शन भी फैलने का खतरा कम होगा। केजीएमयू में हाइपर बेरिक ऑक्सीजन थैरेपी यूनिट शुरू होने जा रही है। केजीएमयू के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के अध्यक्ष प्रो. एके सिंह ने बताया कि इस मशीन के माध्यम से मरीज के शरीर के सभी अंगों को पर्याप्त आक्सीजन सप्लाई की जाती है। ऐसे में उन अंगों में जहां आक्सीजन पहुंचने में दिक्कत है वह आराम से पहुंच जाती है। इसमें हाई प्रेशर में आक्सीजन शरीर में प्रवेश करवाई जाती है।
ऐसा तब किया जाता है जब दवाओं का असर जब कम होता। इस हाइपर बेरिक ऑक्सीजन थैरेपी में मरीज को एक चैंबर में एक टेबल पर लिटाया जाता है। फिर इसमें आक्सीजन की सप्लाई से मरीज सांस लेता है। चैंबर में आक्सीजन का दबाव धीरे-धीरे बढ़ा दिया जाता है। यह थैरेपी एक चिकित्सा उपचार है। इसमें जब व्यक्ति के शरीर में 100 प्रतिशत आक्सीजन पहुंचती है तो शरीर की प्राकृतिक उपचार प्रक्रिया को बढ़ाती है।