UP Election Result 2022: उत्तर प्रदेश के चुनाव में चेहरे बदलकर भी इन 50 सीटों पर बाजी नहीं पलट सकी भाजपा
UP Vidhan Sabha Election Result 2022 चुनाव से पहले सुगबुगाहट थी कि स्थानीय तमाम कारणों की वजह से भाजपा के तमाम विधायकों के प्रति जनता में नाराजगी है। माना जा रहा था कि इस नाराजगी को दूर करने के लिए भाजपा बड़ी संख्या में विधायकों के टिकट काटेगी।
लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। रणनीतिकार मान रहे थे मोदी-योगी के चेहरे विधानसभा चुनाव में भाजपा की ताकत हैं, लेकिन कई सीटों पर स्थानीय विधायकों के प्रति नाराजगी का नुकसान उठाना पड़ सकता है। यही वजह है कि पार्टी ने 173 सीटों पर नए प्रत्याशी उतारे। समग्रता में देखें तो प्रयास सफल रहा और इनमें से 99 प्रत्याशी जीत भी गए, लेकिन यह रणनीति वहां अधिक कारगर नहीं साबित हुई, जिन सीटों पर 2017 में भाजपा को हार मिली थी। हारी 85 सीटों पर 69 नए चेहरों पर दांव लगाया गया, लेकिन उनमें से सिर्फ 19 ही बाजी पलटकर चुनाव जीत सके। यानी 50 सीटों पर पार्टी चुनाव हार गई।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की आहट के साथ ही सुगबुगाहट शुरू हो गई थी कि स्थानीय तमाम कारणों की वजह से भाजपा के तमाम विधायकों के प्रति जनता में नाराजगी है। माना जा रहा था कि इस नाराजगी को दूर करने के लिए भाजपा बड़ी संख्या में विधायकों के टिकट काटेगी।
फिर जब योगी सरकार में मंत्री रहे पिछड़ा वर्ग से ताल्लुक रखने वाले स्वामी प्रसाद प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान और डा. धर्म सिंह सैनी सहित कई विधायक भाजपा छोड़कर सपा में शामिल हो गए तो अटकलें लगाई जाने लगीं कि भाजपा अब कम से कम विधायकों के टिकट काटेगी। मगर, देखने में आया कि सत्ताधारी दल की रणनीति पर इस भगदड़ का खास फर्क नहीं पड़ा।
पार्टी ने कुल 104 विधायकों को दोबारा लड़ने का मौका न देते हुए प्रत्याशी बदल दिए। इस निर्णय ने स्थानीय स्तर पर उठ रही सत्ता विरोधी लहर को काफी हद तक कुंद कर दिया और 80 नए प्रत्याशी जीत गए। अब इस आंकड़े में उन सीटों को भी शामिल कर लें, जिन पर 2017 के चुनाव में भाजपा को हार मिली थी तो ऐसी सीटों की संख्या 85 थी। हारी हुई सीटों को जीतने के लिए 69 सीटों पर नए चेहरे जनता के सामने लाए गए, जिसमें से 19 प्रत्याशी ही जनता का विश्वास जीतकर विधानसभा पहुंच सके हैं।
वहीं, पिछली बार के 16 पिटे चेहरों पर दांव लगाया गया। इनमें से सिर्फ चार ही पुरानी बाजी बदल पाने में सफल हुए। इस तरह 85 हारी सीटों में से मात्र 23 यानी 27 प्रतिशत पर ही भाजपा को इस जीत मिल सकी है। कुल बदलाव का परिणाम देखें तो बदले गए 173 प्रत्याशियों में से 99 को जिताकर जनता ने विधानसभा भेजा है।
योगी-स्वतंत्रदेव ने खूब बहाया पसीना : पिछली बार जिन सीटों को जीतने में भाजपा सफल नहीं हुई, वह भाजपा की रणनीति में प्राथमिकता पर थीं। सरकार और संगठन ने इन पर माहौल बनाने के लिए साझा कार्यक्रम शुरू किया। चुनाव अभियान शुरू होने से पहले ही इन सीटों को चिह्नित कर वहां के लिए विकास योजनाएं बनवाई गईं। काम कराए गए। फिर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह ने अधिकांश विधानसभा क्षेत्रों में सतत संयुक्त सभाएं कीं। वहां योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया।