अब डीजी सूर्य कुमार के राम मंदिर बनाने की शपथ का वीडियो वायरल
डीएम बरेली आर विक्रम सिंह की फेसबुक पोस्ट के बाद अब डीजी होमगार्ड्स डॉ.सूर्य कुमार शुक्ला का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है।
लखनऊ (जेएनएन)। वरिष्ठ अफसर ही राज्य सरकार की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं। डीएम बरेली आर विक्रम सिंह की फेसबुक पोस्ट के बाद अब डीजी होमगार्ड्स डॉ.सूर्य कुमार शुक्ला का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। वीडियो में वह अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की शपथ लेते नजर आ रहे हैं। एक वरिष्ठ आइपीएस अधिकारी का सार्वजनिक मंच पर इस तरह शपथ लेने पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। राज्य सरकार ने पूरे मामले पर डीजी से जवाब-तलब किया है। इस बीच आइपीएस एसोसिएशन (सेंट्रल) व यूपी आइपीएस एसोसिएशन ने डॉ. शुक्ला से किनारा कर लिया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भले ही बार-बार अफसरों को बेहतर काम करने की नसीहत दे रहे हैं लेकिन, अफसर अपने पद की जिम्मेदारी निभाने के बजाय कुछ न कुछ ऐसा कर रहे हैं जिससे सरकार की किरकिरी हो रही है। हाल ही में आइएएस बरेली के डीएम के फेसबुक पोस्ट से मचे बवाल के बाद वरिष्ठ आइपीएस अफसर के वायरल हुए एक वीडियो से हलचल मच गई है। लखनऊ विश्वविद्यालय के लोक प्रशासन विभाग में 28 जनवरी को राममंदिर निर्माण को लेकर चल रहे विवाद के शांतिपूर्ण समाधान पर एक विचार गोष्ठी आयोजित की गई थी। कार्यक्रम में डीजी होमगाड्र्स बतौर अतिथि पहुंचे थे।
कार्यक्रम के दौरान राममंदिर निर्माण की शपथ ली गई थी। वायरल हुए वीडियो में डीजी होमगार्ड्स भी अन्य लोगों के साथ शपथ लेते नजर आ रहे हैं। वीडियो पर बवाल मचने पर सफाई देते हुए डीजी होमगार्ड्स डॉ. सूर्य कुमार ने कहा कि गोष्ठी में वह अतिथि थे। जहां उन्होंने कहा कि इस समस्या का समाधान किए जाने का मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा यह कहा गया है कि यदि समाज के हिंदू-मुस्लिम पक्ष मिलकर निर्माण करते हैं तो किसी को कोई आपत्ति नहीं होगी। लेकिन सहमति नहीं बनती है तो फरवरी से प्रारंभ होने वाली सुनवाई के उपरांत होने वाले निर्णय का सभी लोगों को सम्मान करना चाहिए।
गोष्ठी में मुस्लिम विचारक कुंवर मु.आजम व रजा रिजवी के साथ आए मुस्लिम बुद्धजीवियों ने अपने विचारों में कहा था कि वे सुप्रीम कोर्ट की भावना के अनुरूप यह प्रयास कर रहे हैं कि राम मंदिर निर्माण विषय में सबकी सहमति बन जाए। जिससे यह पुराना लंबित विवाद समाप्त हो जाए। सभी लोगों ने शांतिपूर्ण वातावरण बनाकर भविष्य में इस समस्या का समाधान करने का संकल्प लिया था। उनका कहना है कि वीडियो का एक हिस्सा ही वायरल किया गया है, जिसमें पूरी बात नहीं है।
1982 बैच के हैं आईपीएस अफसर : डॉ.सूर्य कुमार शुक्ला 1982 बैच के आइपीएस अधिकारी हैं। डॉ. शुक्ला इसी वर्ष अगस्त में सेवानिवृत हो रहे हैं। पिछले दिनों डा. शुक्ला का नाम वरिष्ठता सूची के आधार पर डीजीपी की रेस में भी शामिल था। वैसे अपने वक्तव्यों को लेकर डॉ.सूर्य कुमार पहले भी चर्चा में रहे हैं।
उचित निर्णय लेगी सरकार : भाजपा
भाजपा प्रवक्ता डॉ. चंद्र मोहन ने डीजी सूर्य कुमार शुक्ला द्वारा दिए बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि अधिकारियों और कर्मचारियों को सेवा नियमावली का पालन करना चाहिए। शुक्ला ने अपने बयान पर सफाई भी दी है। इस बारे में संबंधित उच्चाधिकारी जांच पड़ताल के बाद उचित निर्णय लेंगे।
आइपीएस एसोसिएशन ने किया किनारा
आइपीएस एसोसिएशन (सेंट्रल) ने ट्वीट कर साफ किया है कि वीडियो में दिखाए गए वरिष्ठ आइपीएस अधिकारी के कृत्य से उसका कोई लेनादेना नहीं है। एसो का कहना है कि यह कृत्य तटस्थता, स्वच्छ आचरण व ईमानदारी की उन भावनाओं के प्रतिकूल है, जिनके लिए आइपीएस एसोसिएशन जानी जाती है। यूपी आइपीएस एसोसिएशन ने भी ट्वीट कर इसे निंदनीय कहा है।
सेवा नियमावली के अनुकूल नहीं
पूर्व डीजीपी श्रीराम अरुण का कहना है कि यह सेवा नियमावली के अनुकूल नहीं है। सेवा में रहते हुए अधिकारी को सार्वजनिक मंच पर किसी धर्म के पक्ष अथवा विरोध में कोई बात नहीं करनी चाहिए। वहीं पूर्व डीजीपी बृजलाल का कहना है कि सेवा नियमावली के विपरीत ऐसा आचरण करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। ऐसा कृत्य उचित नहीं है।
दो संस्थाओं ने मिलकर किया था आयोजन
लखनऊ विश्वविद्यालय में 28 जनवरी को अखिल भारतीय समग्र विचार मंच व मुस्लिम कारसेवक मंच ने मिलकर राम मंदिर निर्माण समस्या व समाधान विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया था। मुस्लिम कार सेवा मंच के अध्यक्ष कुंवर मोहम्मद आजम खान ने बताया कि उन्होंने दो साल पहले यह मंच बनाया था और राम मंदिर निर्माण की मुहिम छेड़ी थी। इससे पहले उन्होंने अयोध्या में एक कार्यक्रम आयोजित किया था, लेकिन उसमें सिर्फ मुस्लिम कारसेवक मंच के पदाधिकारी ही शामिल हुए थे। संस्था के लोगो ने गोरखनाथ मंदिर में भी राम मंदिर बनाने का संकल्प लिया था। यह पहला मौका था, जिसमें कोई प्रशासनिक अधिकारी मंच पर मौजूद था और उसने भी शपथ ली। बताया गया कि कार्यक्रम में जो राम विरोधी वह राष्ट्र विरोधी के नारे भी लगाए गए थे। इस पर संसद में कानून बनाकर जल्द मंदिर निर्माण करवाने की मांग भी उठाई गई थी।
कार्यक्रम में हिंदू महासभा के वकील हरिशंकर जैन, सनातन सभा के आनंद महाराज, वीरेंद्र मिश्रा और डॉ. प्रवीन सहित अन्य लोग मौजूद थे। लविवि ने संस्था को डीपीए सभागार की बुकिंग में पचास फीसद छूट भी दी थी। इस हाल में बाहरी व्यक्ति के बुकिंग करवाने पर पांच हजार रुपये और विवि के शिक्षक अथवा कर्मचारी द्वारा बुकिंग करवाने पर तीन हजार रुपये किराया लिया जाता है। लविवि के प्रवक्ता प्रो. एनके पांडेय का कहना है कि डीपीए सभागार की बुकिंग करवाने वाले आयोजकों ने यह बताया था कि वह अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की समस्या पर समाधान खोजेंगे। इसके लिए उन्हें सभागार दिया गया था, लेकिन उन्होंने कार्यक्रम में शपथ दिलाकर इसका दुरुपयोग किया। इस कार्यक्रम से लविवि का कोई सरोकार नहीं है।
आइपीएस एसोसिएशन ने किया किनारा
आइपीएस एसोसिएशन (सेंट्रल) ने ट्वीट कर साफ किया है कि वीडियो में दिखाए गए वरिष्ठ आइपीएस अधिकारी के कृत्य से उसका कोई लेनादेना नहीं है। एसो का कहना है कि यह कृत्य तटस्थता, स्वच्छ आचरण व ईमानदारी की उन भावनाओं के प्रतिकूल है, जिनके लिए आइपीएस एसोसिएशन जानी जाती है। यूपी आइपीएस एसोसिएशन ने भी ïट्वीट कर इसे निंदनीय कहा है।
सेवा नियमावली के अनुकूल नहीं
पूर्व डीजीपी श्रीराम अरुण का कहना है कि यह सेवा नियमावली के अनुकूल नहीं है। सेवा में रहते हुए अधिकारी को सार्वजनिक मंच पर किसी धर्म के पक्ष अथवा विरोध में कोई बात नहीं करनी चाहिए। वहीं पूर्व डीजीपी बृजलाल का कहना है कि सेवा नियमावली के विपरीत ऐसा आचरण करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। ऐसा कृत्य उचित नहीं है।
दो संस्थाओं ने मिलकर किया था आयोजन
लखनऊ विश्वविद्यालय में 28 जनवरी को अखिल भारतीय समग्र विचार मंच व मुस्लिम कारसेवक मंच ने मिलकर राम मंदिर निर्माण समस्या व समाधान विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया था। मुस्लिम कार सेवा मंच के अध्यक्ष कुंवर मोहम्मद आजम खान ने बताया कि उन्होंने दो साल पहले यह मंच बनाया था और राम मंदिर निर्माण की मुहिम छेड़ी थी। इससे पहले उन्होंने अयोध्या में एक कार्यक्रम आयोजित किया था, लेकिन उसमें सिर्फ मुस्लिम कारसेवक मंच के पदाधिकारी ही शामिल हुए थे। संस्था के लोगो ने गोरखनाथ मंदिर में भी राम मंदिर बनाने का संकल्प लिया था। यह पहला मौका था, जिसमें कोई प्रशासनिक अधिकारी मंच पर मौजूद था और उसने भी शपथ ली। बताया गया कि कार्यक्रम में जो राम विरोधी वह राष्ट्र विरोधी के नारे भी लगाए गए थे। इस पर संसद में कानून बनाकर जल्द मंदिर निर्माण करवाने की मांग भी उठाई गई थी। कार्यक्रम में हिंदू महासभा के वकील हरिशंकर जैन, सनातन सभा के आनंद महाराज, वीरेंद्र मिश्रा और डॉ. प्रवीन सहित अन्य लोग मौजूद थे। लविवि ने संस्था को डीपीए सभागार की बुकिंग में पचास फीसद छूट भी दी थी। इस हाल में बाहरी व्यक्ति के बुकिंग करवाने पर पांच हजार रुपये और विवि के शिक्षक अथवा कर्मचारी द्वारा बुकिंग करवाने पर तीन हजार रुपये किराया लिया जाता है। लविवि के प्रवक्ता प्रो. एनके पांडेय का कहना है कि डीपीए सभागार की बुकिंग करवाने वाले आयोजकों ने यह बताया था कि वह अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की समस्या पर समाधान खोजेंगे। इसके लिए उन्हें सभागार दिया गया था, लेकिन उन्होंने कार्यक्रम में शपथ दिलाकर इसका दुरुपयोग किया। इस कार्यक्रम से लविवि का कोई सरोकार नहीं है।
सूर्य कुमार शुक्ला ने कहा यह शरारत की गई
डीजी होमगार्ड सूर्य कुमार शुक्ला ने कहा कि मुस्लिम समुदाय के कार्यक्रम में गया था। किसी ने शरारत की है। वीडियो ऐसे चलाया जा रहा है जैसे जोर जबरदस्ती से राम मंदिर निर्माण की बात कही जा रही है। वहां पर तो शांति व्यवस्था के साथ राम मंदिर निर्माण की बात हो रही थी। शांतिपूर्ण ढंग से विवाद के निपटारे की बात हो रही थी।
कांग्रेस ने की कार्रवाई की मांग
डीजी होमगार्ड सूर्य कुमार शुक्ला के मंदिर बनवाने के संकल्प वाले वीडियो पर कांग्रेस ने कहा है कि प्रदेश में अधिकारियों पर कानून-व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेजारी है, वो खुद ही माहौल बिगाडऩे में जुटे हैं। उत्तर प्रदेश के कांग्रेस प्रवक्ता सुबोध श्रीवास्तव कहा कि आईपीएस अधिकारी ने सर्विस रूल का उल्लंघन किया है। इस मामले में योगी आदित्यनाथ सरकार को उनके खिलाफ कार्रवाई जरूर करनी चाहिए।