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यूपी चुनाव 2022: मुलायम सिंह यादव के दुर्ग मैनपुरी में जलवा कायम रखने की चुनौती, चार सीटों में से तीन पर सपा का कब्जा

UP Vidhan Sabha Election 2022 राजनीतिक दल पिछले चुनावों की तरह इस बार भी जातीय समीकरण का गणित बिठाने में जुटे हैं। मैनपुरी करहल व किशनी सीटों में यादव मतदाताओं की बहुलता है क्षत्रिय मतदाता दूसरे नंबर पर हैं।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Tue, 18 Jan 2022 06:00 AM (IST)Updated: Tue, 18 Jan 2022 04:46 PM (IST)
यूपी चुनाव 2022: मुलायम सिंह यादव के दुर्ग मैनपुरी में जलवा कायम रखने की चुनौती, चार सीटों में से तीन पर सपा का कब्जा
मुलायम सिंह यादव के दुर्ग मैनपुरी में जलवा कायम रखने की चुनौती।

मैनपुरी [दिलीप शर्मा]। यादव बाहुल्य मैनपुरी जिले में जीत का एक ही फार्मूला है-जातीय गोलबंदी। यादवों के साथ अन्य पिछड़ी जातियों को मिलाकर सपा जीत का परचम फहराती आ रही है। वर्तमान में चार में से तीन सीटों पर सपा का कब्जा है, जबकि भोगांव पर भाजपा काबिज हैं। भाजपा ने सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के इस दुर्ग को भेदने के लिए सरकार बनने के बाद से ही ताकत झोंकी है। जिले के एकमात्र भाजपा विधायक रामनरेश अग्निहोत्री को कैबिनेट मंत्री बनाने के साथ भोगांव-शिकोहाबाद मार्ग को फोरलेन करने और सैनिक स्कूल का संचालन शुरू कराया। हालांकि इस स्कूल की स्वीकृति सपा सरकार में ही मिली थी।

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2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा हर बूथ तक नहीं पहुंच सकी थी। इस बार प्रत्येक बूथ स्तर तक संगठन मजबूत किया है। जिला पंचायत अध्यक्ष पद का चुनाव जीतकर पार्टी तैयारियों का रिहर्सल भी कर चुकी है। मुलायम सिंह यादव के दामाद (भाई की बेटी के पति) अनुजेश यादव भी 2019 में भाजपाई हो चुके हैं। उन्हें करहल सीट से दावेदार भी माना जा रहा है। इसके अलावा सपा की हर गतिविधि पर भाजपा नेताओं की नजर है।

जातीय समीकरणों पर दांव : राजनीतिक दल पिछले चुनावों की तरह इस बार भी जातीय समीकरण का गणित बिठाने में जुटे हैं। मैनपुरी, करहल व किशनी सीटों में यादव मतदाताओं की बहुलता है, क्षत्रिय मतदाता दूसरे नंबर पर हैं। भोगांव में लोधी मतदाता पहले और यादव दूसरे नंबर पर हैं। माना जा रहा है कि सपा जातीय समीकरण बैठाने के लिए प्रत्याशी चयन में अपना पुराना दांव दो यादव, एक अनुसूचित जाति और एक गैर यादव पिछड़ा वर्ग का फार्मूला अपनाएगी। सपा के दो विधायकों पर भाजपा की निगाह टिकी है। एक सीट पर सैफई परिवार के रिश्तेदार टिकट मांग रहे हैं, जबकि दूसरी सीट पर सैफई परिवार के करीबियों की नजर है। फेरबदल की सूरत में भाजपा असंतोष को कैश कर सकती है। शाक्य और कठेरिया समाज को साधने के लिए भी भाजपा में माथापच्ची चल रही है। हर क्षेत्र में सजातीय नेताओं को माहौल बनाने के लिए लगाया गया है। बसपा गांव-गांव संपर्क में जुटी है। हर सीट पर जातीय समीकरणों के लिहाज से प्रत्याशी चयन की कोशिश है। इसमें पिछड़ी जातियों और गैर जाटव को प्रतिनिधित्व देने पर विचार हो रहा है, वहीं बीते चुनाव में गठबंधन में खाली मैदान छोडऩे वाली कांग्रेस इस बार पूरी ताकत झोंक रही है। कांग्रेस ने मैनपुरी सीट पर जिलाध्यक्ष विनीता शाक्य और करहल सीट पर ज्ञानवती यादव को प्रत्याशी भी घोषित कर दिया है। अन्य सीटों पर भी प्रत्याशियों का मंथन चल रहा है।

सपा का दबदबा : जिले में सपा ने पहला चुनाव 1993 में लड़ा था। तब पांच सीटों में चार पर जीत हासिल की। 1996 में सपा ने सभी पांचों सीटें जीतींं। फिर 2002 के चुनाव में भोगांव और किशनी सीट पर विजय हासिल की। 2007 में भोगांव और किशनी के साथ करहल सीट पर जीत हासिल की। परंतु 2012 के चुनाव में सपा ने फिर चारों सीटों पर कब्जा कर लिया। 2017 में भाजपा ने भोगांव सीट 20 हजार से ज्यादा मतों के अंतर से जीती। जबकि करहल, किशनी और मैनपुरी में दूसरे नंबर पर रही थी। भाजपा इससे पहले 1991, 1993, 2002 और 2007 में मैनपुरी सीट पर जीत हासिल करने में कामयाब हुई। जबकि करहल सीट 2002 में जीती थी। बसपा भी घिरोर सीट पर दो बार जीत हासिल कर चुकी है। परंतु परिसीमन के बाद 2012 में यह सीट समाप्त कर इसके क्षेत्रों को मैनपुरी और करहल विधानसभा में शामिल कर दिया गया। कांग्रेस 1985 के बाद से जिले में कोई चुनाव नहीं जीती है।

जिले में जातीय समीकरण

  • पिछड़ा वर्ग : 55 फीसद
  • सवर्ण : 20 फीसद
  • अनुसूचित जाति : 20 फीसद
  • मुस्लिम : पांच फीसद

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